प्रेरितों के काम की नई पुस्तक के नायक बनने की आशा करते हुए

सैंटियागो डे लॉस कैबेलोस, डोमिनिकन गणराज्य से सोंग ह्ये जु

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‘ओ परमेश्वर, यदि मैं स्वर्ग जा सकती हूं, तो मैं कुछ भी करूंगी। कृपया मुझे अपने उद्धार का यकीन होने दीजिए।’

यह वह बात थी जिसे मैं हमेशा प्रार्थना करते समय जरूर कहती थी, क्योंकि भले मैं चर्च जाती थी, लेकिन मुझे अपने उद्धार का यकीन नहीं था। मैं छोटी बच्ची थी, लेकिन मुझे नरक जाने से इतना डर लगता था कि मैं गिरजाघर की सारी सभा, स्तुति-आराधनाओं और भोर की आराधनाओं में शामिल होती थी। मैं हर दिन बाइबल भी पढ़ती थी और इंतजार करती थी कि मुझे स्वर्ग जाने का यकीन हो।

एक सर्दी के दिन मैं दो स्वर्गदूतों से मिली जो सत्य का प्रचार कर रहे थे, और मैंने सब्त का दिन, फसह का पर्व और दूसरे बहुत से सत्य के वचन सुने। मैंने तुरन्त नया जीवन प्राप्त किया और हर दिन सिय्योन में जाकर बाइबल का अध्ययन किया।

जितना अधिक मैंने बाइबल का अध्ययन किया, उतना अधिक मुझे उद्धार का यकीन होने लगा। मैं इस सत्य को मुझ तक ही सीमित रखना नहीं चाहती थी, और मुझे ऐसा लगता था कि सभी लोग सत्य को सुनने पर ही तुरन्त स्वीकार करेंगे। इसलिए मैंने अपने आसपास के लोगों को सुसमाचार का प्रचार किया। लेकिन मेरी अपेक्षा के विपरीत, वचन सुनना कोई नहीं चाहता था। उसके बजाय उन्होंने मुझे सब्त का दिन मनाने से रोका।

आत्मिक कठिनाइयों का अनुभव करते हुए, मैंने सब्त का दिन मनाने में मेरी मदद करने के लिए परमेश्वर से हर दिन आंसुओं के साथ प्रार्थना की। मेरी प्रार्थनाओं को सुनकर परमेश्वर ने मेरे परिवारवालों के मन को बदला जो मेरा विरोध कर रहे थे, और मुझे अपना विश्वास रखने दिया।

एक विशाल पहाड़ को पार करने के बाद, सुसमाचार के कार्य के प्रति मेरा जोश धधक उठा। दिनों-दिन मेरा विदेश में प्रचार करने का सपना बड़ा और बड़ा होता गया, जिसे मैंने सत्य को ग्रहण करने के बाद देखा था। मैंने नहीं सोचा कि वह असंभव होगा, क्योंकि मैंने पहले ही से अनुभव किया था कि परमेश्वर मेरी सभी प्रार्थनाओं को सुनते हैं जो मैं पूरी ईमानदारी से चढ़ाती हूं। वह विश्वास जल्द ही एक असलियत बन गया।

वह पहला विदेशी स्थान जहां मैं प्रचार के लिए गई, अमेरिका में न्यूयॉर्क था। न्यूयॉर्क के भाई-बहनों के उस उत्साह और जोश को अपनाकर, जिसके बारे में बहुत पहले ही सुनने को मिला था, मैंने अति उत्साहित होकर सुसमाचार का प्रचार किया और खुशी-भरा समय बिताया। और मेरी शादी हुई जो जीवन की प्रमुख घटनाओं में से एक है, और मैंने अपने पति के साथ नॉर्थ कैरोलिना के रॉली में अपना एक घोंसला बनाया। रॉली सिय्योन एक छोटा हाउस चर्च था जो शॉर्ट टर्म मिशन के दौरान खोजी गई तीन आत्माओं से शुरू हुआ था।

हाउस चर्च का जीवन बड़े आकार के चर्च के जीवन से पूरी तरह अलग था। उस समय तक हम चर्च में बस तभी जाते थे जब पर्व होते थे या फिर चर्च का कोई कार्यक्रम होता था; चर्च में जो हो रहा था बस उसका हम पालन करते थे। लेकिन एक हाउस चर्च में हमें सभी चीजों को खुद करना ही था, जैसे कि पर्वों के लिए तैयारी करना, खाना पकाना, भाई-बहनों की देखभाल करना इत्यादि। चूंकि मुझे ऐसी स्थिति में डाला गया जहां मुझे चीजों का पालन करने के बजाय उनका नेतृत्व करना था, मैं स्पष्ट रूप से महसूस कर सकी कि मैंने उस समय तक सिय्योन में आरामदायक जीवन व्यतीत किया था। यह समझकर कि परमेश्वर और भाई-बहनों ने खुद को बहुत समर्पित किया था और मुझे प्रेम दिया था ताकि मैं सिय्योन में वचन का चारा खाते हुए अच्छी तरह बड़ी हो सकूं, मेरे मुंह से अनायास ही धन्यवाद के शब्द निकले।

रॉली से विलमिंगटन तक, विलमिंगटन से पेंसिल्वेनिया राज्य के पिट्सबर्ग तक और फिर पिट्सबर्ग से वापस रॉली तक, अलग-अलग जगहों पर घूमते हुए मुझे दो वर्ष बीत गए। जब हम वापस रॉली आए, तब भाई-बहनों की संख्या 10 से बढ़कर 60 तक हो चुकी थी। भाई-बहनों की संख्या लगातार बढ़ती रही। आखिरकार 100 से अधिक सदस्यों ने हाउस चर्च में आराधना की। जगह बहुत छोटी पड़ गई थी। इसलिए हमने सीढ़ियों और गलियारों सहित सभी जगहों का उपयोग किया, फिर भी वह काफी नहीं था। जल्द ही रॉली में एक सुंदर मंदिर का निर्माण हुआ। मुझे अब भी याद है कि भाई और बहनें अपने बाड़े से स्वतन्त्र हुए बछड़ों के समान खुशी के मारे उछल-कूद कर रहे थे।

मेरे पति और मैंने सभी सुंदर यादों को अपने मन में संजोकर परमेश्वर के मार्गदर्शन के अनुसार अमेरिका को छोड़ा, और अब हम डोमिनिकन गणराज्य में प्रेरितों के काम की नई पुस्तक लिखने पर हैं। यहां भी बहुत से लोग सत्य की ज्योति का इंतजार कर रहे हैं।

एक दिन माओ में जो डोमिनिकन गणराज्य में वल्वेर्दे प्रांत का राजधानी शहर है, हम प्रचार करने गए और वहां हम एक स्त्री से मिले। मुझे जान पड़ा कि वह माओ में एक स्कूल की मुख्य प्रबंधक हैं। उन्होंने हमसे अपने स्कूल के शिक्षकों और छात्रों को माता परमेश्वर के सत्य का प्रचार करने का निवेदन किया। इसलिए हम प्रजेन्टेशन और चर्च का परिचय वीडियो लेकर स्कूल गए। उस दिन हमने 150 से अधिक लोगों के सामने सत्य का प्रचार किया।

तब स्कूल के एक प्रबंधक ने सत्य से प्रेरित होकर कहा, “यहां असली चर्च के जैसा कोई चर्च नहीं है। मुझे आशा है कि चर्च ऑफ गॉड माओ में स्थापित होगा ताकि हर कोई बच सके।”

उनकी बात सुनकर, हमने अधिक स्पष्ट रूप से अपने हृदयों पर उस मिशन को उत्कीर्ण किया जिसे हमें डोमिनिकन गणराज्य में पूरा करना चाहिए। हम प्रार्थना करते हैं कि चर्च ऑफ गॉड सिर्फ माओ में ही नहीं, बल्कि सारे डोमिनिकन गणराज्य में स्थापित हो, ताकि माता की इच्छा और उनकी इच्छा के अनुसार बहुत सी आत्माएं उद्धार पाएं।

परमेश्वर की बुलाहट के अनुसार सुसमाचार की यात्रा करते हुए मैंने बहुमूल्य क्षणों का अनुभव किया। जब कभी मुझे भाई-बहनों को खाना परोसने के लिए किराने का सामान खरीदना होता था, तब मैं एक बड़ा बैग, शापिंग बैग और एक ट्राली बैग लेकर बस में सवार होती थी और सुपरमार्केट से सिय्योन तक जाती थी। सभी भारी बैगों को उठाना आसान नहीं था, लेकिन मैं थकी होने की अपेक्षा अधिक आनन्दित और आभारी होती थी। भले ही मैं माता के तुल्य नहीं हो सकती, लेकिन जब कभी मैं किराने का सामान उठाती हूं, मुझे ऐसा लगता है जैसे मैं माता के मार्ग का थोड़ा सा पालन कर रही हूं जिन्होंने हमारे चर्च के प्रथम दिनों में अपनी संतानों को पर्याप्त रूप से खिलाने के लिए अपने सिर पर आलू की भारी बोरी को उठाया था।

कभी-कभी मैं भाई-बहनों से एक अजीब अनुरोध करती हूं; मैं उन्हें मुझे चिकोटी काटने के लिए कहती हूं, क्योंकि मुझे लगता है कि कहीं मैं सपना तो नहीं देख रही हूं। यह अब भी एक सपने जैसा लगता है कि यह पापी मनुष्य सुसमाचार की सेविका बनी है और परमेश्वर के द्वारा चलाए जा रहे उद्धार के कार्य में भाग ले रही हूं।

स्वर्गीय पिता और माता की महिमा जल्द ही डोमिनिकन गणराज्य के सभी लोगों में प्रसारित की जाएगी। उस दिन के आने तक, और सभी 7 अरब लोगों को सुसमाचार का प्रचार करने का मिशन पूरा होने तक मैं सुसमाचार के पथ पर बिना रुके चलूंगी, क्योंकि मैं सदा के लिए प्रेरितों के काम की उस नई पुस्तक की नायिका के रूप में रहना चाहती हूं, जो स्वर्ग के राज्य में लिखी जा रही है।