
भोर करीब 5 बजे जब मेरे परिवार में हर कोई सो रहा था, एक कार के टकराने जैसी बड़ी आवाज सुनकर मैं जाग उठी।
जब मैं आधी–अधूरी नींद में थी, तब गोलियों की फायरिंग और धमाके जैसी आवाज सुनाई दी। अचानक मेरी नींद खुल गई। मैंने अपने पति को जगाया। बाहर से गोलियां चलाने की आवाज के साथ–साथ लोगों के चिल्लाने और मोटरसाइकिल के तेजी से चलने की आवाज भी आई। सब तरफ गड़बड़ी और हलचल मच गई।
क्योंकि मेरे पति और मैं नहीं जान सके थे कि बाहर क्या हो रहा है, इसलिए हम उलझन में पड़ गए थे। मेरे पति ने कहा, “बाहर झगड़ा चल रहा होगा। बाहर डरावना दृश्य होगा। बिल्कुल घर के बाहर न जाना।”
थोड़ी देर बाद ऐसी आवाज आई जैसे बहुत लोग मेरे घर के आंगन की तरफ दौड़कर आ रहे हों। मैं बहुत डर गई, क्योंकि मैंने सोचा कि कुछ लोगों ने शायद मेरे परिवार को नुकसान पहुंचाने के लिए घर के आंगन को घेर लिया होगा। उसी बीच मेरी मां भी जाग उठी।
अंधेरे में हमने अपनी सांसों को थाम लिया। तब एक विस्फोट जैसी आवाज के साथ ही किसी चीज के टूटने की आवाज आई। मैं चुप होकर नहीं बैठ सकी। इसलिए मैंने सावधानी से घर का दरवाजा खोला।
जैसे ही मैंने दरवाजा खोला, मैं एकदम जम–सी गई। एक बहुत बड़ी आग हमारे घर की ओर आ रही थी। उस क्षण जिस चीज की मैं कल्पना कर सकी, वह सिर्फ मौत थी; मैंने महज 10 मीटर से भी कम दूरी पर कभी ऐसी धधकती आग को नहीं देखा था।
“आग! वह आ रही है! जल्दी!”
मेरा पति जोर से चिल्लाया। हमने जल्दबाजी से महत्वपूर्ण कागजात और अपना सामान लिया। क्योंकि मेरी मां को चलने में दिक्कत होती थी, हम उन्हें लेकर बाहर निकले। भयंकर आग ने हमारे पड़ोसियों के घरों को पूरी तरह घेर लिया था।
आग की लपटें मेरे घर के आंगन में लगे पेड़ तक फैल गईं। उसके ठीक बगल में मेरा घर था, जो लकड़ी से बना हुआ था। यह स्पष्ट था कि आगे क्या होनेवाला है।
“सब कुछ खत्म हो गया!”
निराश होकर, मेरे पैरों में ताकत नहीं रही, और मैं वहीं गिर पड़ी।
“हमारा घर भी जरूर जल जाएगा।”
मेरे पति की आवाज निराशा से भरी थी। कोई आशा नहीं थी, क्योंकि आग बिजली की तार और पड़ोसी के घर के गैस सिलेंडर के नजदीक आ रही थी।
लेकिन मेरी मां की प्रतिक्रिया अलग थी।
“चिंता मत करो। स्वर्गीय पिता और माता हमारी और हमारे घर की रक्षा करेंगे!”
मेरी मां की आत्मविश्वास से भरी आवाज सुनकर, मुझे अपने आपको संभाला। दमकल–गाड़ी की प्रतीक्षा करते हुए, मैंने परमेश्वर से प्रार्थना की कि आग और अधिक न फैल जाए।
अग्निशामक कर्मी आए और आग बुझाने लगे, लेकिन कर्मियों की कमी के कारण आग पर काबू पाने का दम नहीं दिखाई दे रहा था। फिर से डर मुझ पर हावी हो गया। मेरा हाथ कांप रहा था। फिर भी मेरे होंठ मेरे पति से कह रहे थे, “पिता और माता हमें और हमारी सभी चीजों को बचाएंगे।” सौभाग्य से और अधिक दमकल–गाड़ियां आ गईं, और सुबह करीब 7 बजे आग पर पूरी तरह काबू पा लिया गया। वह आखिरी आग जो बुझाई गई, हमारे घर के ठीक सामने थी। मेरे पति ने चकित होकर कहा, “मैंने कभी नहीं सोचा कि हमारा घर ऐसी बड़ी आग से बच जाएगा।”
करीब 8 बजे हम घर के अंदर यह सोचते हुए गए कि कुछ नुकसान पहुंचा होगा जिसकी हमें मरम्मत करनी होगी। हम पहले रसोईघर में गए, क्योंकि वह पड़ोस के जले हुए घरों के सबसे करीब था। लेकिन हैरानी की बात थी कि सिर्फ रसोई घर नहीं, बल्कि मेरे दो–मंजिला घर में कहीं भी आग से जलने का निशान नहीं था। भले ही वह एक ऐसी भयंकर आग थी जिसकी खबर न्यूज चैनल पर प्रसारित की गई थी, लेकिन हमारे घर में कोई नुकसान नहीं हुआ था।
हमने कुछ घंटे पहले घटी हुई घटनाओं को याद किया। आग की तेज लपटों का भयावह दृश्य मेरी आंखों के सामने सजीव हो गया। लेकिन वह आग हमारे घर के बाड़े के बाहर रुकी रही। आग ने हमारे आस–पड़ोस के 6 घरों को जला दिया था, लेकिन हमारे घर को नहीं जलाया था।
लोग कह सकते हैं कि यह केवल संयोग से घटित हुआ है, लेकिन हम जानते हैं कि स्वर्गीय पिता और माता ने फसह के पर्व की सामर्थ्य के द्वारा हमारी रक्षा की। बड़ी विपत्ति से मेरे परिवार और मेरे घर को बचाने के लिए हम सच में परमेश्वर को धन्यवाद देते हैं। हम चाहते हैं कि हम स्वर्गीय पिता और माता और फसह के चमत्कार के जीवित गवाह होंगे।