
चर्च की छात्र सभा से घर लौटते वक्त मुझे अचानक मां की याद आई, और मैंने उन्हें फोन किया।
“मां, मैं सभा के बाद घर के रास्ते में हूं।”
“अच्छा! सयन, खैर…”
“हां?”
“मैं वास्तव में मीठा चावल का डोनट बहुत खाना चाहती हूं।”
मैंने उनसे कहा कि मैं उनके लिए वह लाऊंगी और फोन काट दिया। फिर मैंने अपने बैग में देखा। तब मुझे 1,000 वॅन काएक नोट और कुछ सिक्के मिले। मैंने सोचा कि मैं शायद एक डोनट खरीद पाऊंगी, और बेकरी के अंदर गई। पर अच्छा हुआ कि मैं दो डोनट खरीद पाई। यह सोचकर कि मां कितनी खुश हो जाएंगी, मेरे कदम हल्के हो गए। आखिरकार मैंने मां को वो डोनट दिए।
“मां, यह लीजिए!”
“ओह, सच में?”
“हां, मैं सिर्फ दो लाई हूं क्योंकि मेरे पास ज्यादा पैसे नहीं थे।”
“तुम्हारा धन्यवाद, सयन!”
मां के साथ डोनट बांटते वक्त हमने खुशी से बातचीत की। मां जिनको मीठे चावल के डोनट खाना पसंद है, उनके प्रभाव से मैं भी अक्सर उसे खाती हूं। पर उस दिन वह दूसरे दिनों से ज्यादा स्वादिष्ट था। चाहे दो ही डोनट थे, परन्तु मैं और मां ने खुशी से उन्हें खाया। यह शायद इसलिए था कि उसके अंदर प्रेम निहित था। वह सच में बहुत ही धन्यवादित दिन था कि मेरे पास मेरा परिवार है जिसके साथ मैं छोटी छोटी चीजें भी बांट सकती हूं।