स्वर्गीय माता का दर्द और बलिदान जो मुझे आयरलैंड में महसूस हुआ
छंगजू, कोरिया से छोई नान–यंग
मैं अपने उस एहसास को बांटना चाहती हूं जो मुझे डबलिन, आयरलैंड में आठ महीनों के लिए सुसमाचार के मार्ग पर चलते हुए प्राप्त हुआ।
उत्तर अटलांटिक महासागर के पूर्वोत्तर भाग में स्थित आयरलैंड, यूरोपीय देशों में से कैथोलिक धर्म से बहुत प्रभावित है। कैथोलिक के त्यौहार देश में बड़ी छुट्टियां बन गए हैं, और आप कहीं भी दोपहर 12 बजे और शाम 6 बजे प्रार्थना समय की घंटी सुन सकते हैं। धर्म राजनीतिक और सांस्कृतिक क्षेत्र में और लोगों के जीवन में भी एक विशेष भूमिका निभाता है, और ऐसा लगता है कि आयरिश लोग परमेश्वर से अविभाज्य हैं।
लेकिन, जब मैंने सुसमाचार प्रचार किया, तब यह मेरी अपेक्षा से अलग था। ज्यादातर लोग परमेश्वर को नहीं खोजते थे, और जो चर्च जाते थे वे अपने ज्ञान को बाइबल से ऊपर रखते थे। आयरिश लोगों के लिए बाइबल संसार में बहुत सी पुस्तकों में से एक थी यहां तक कि एक ऐसी पुस्तक जिसे वे पुस्तकों के ढेर में सबसे नीचे रखते और उसे देखते भी नहीं थे।
उनके बीच में भी, ऐसी आत्माएं थीं जो परमेश्वर को खोज रही थीं और परमेश्वर के वचन के लिए तरस रही थीं। भाई वोज्शिएक ने यह जानने के बाद कि चर्च बाइबल का पालन नहीं करते लेकिन उनके बनाए नियमों का पालन करते हैं, चर्च जाना बन्द किया था। भले ही वह चर्च नहीं गया, लेकिन परमेश्वर पर विश्वास करने में कोई बदलाव नहीं था। जब उसने माता परमेश्वर और फसह के बारे में सुना, तब वह चकित हो गया। वह उस शाम सिय्योन में आया और उद्धार की प्रतिज्ञा में भाग लिया। अब तक जिन लोगों से मैं मिली, उनके विपरीत वह बाइबल का अध्ययन करना सचमें पसंद करता था; मुझे पता था कि वह परमेश्वर की संतान है इसलिए वह दूसरों से अलग है।
भारत से आए भाई प्रतीक हिन्दू संस्कृति में पला बड़ा और उसने कभी बाइबल नहीं पढ़ा था, लेकिन उसने परमेश्वर के वचन में दिलचस्पी दिखाई। फिर, वह अनन्त जीवन की आशीष पाना चाहता था जिसे माता परमेश्वर देती हैं, और उसने सत्य ग्रहण किया। वह माता परमेश्वर में बहुत सी आशीषों को इकट्ठा करके स्वर्ग जाने की आशा से भरा है।
मैं भाई पैट्रीक की कहानी नहीं भूल सकती। जब वह छोटा था, वह बाएं हाथ का था, तो इस कारण उसे भूत ग्रस्त माना गया और तेज हथियार से उसके बाएं हाथ पर वार किया गया था। उसके घायल बाएं हाथ की तुलना में उसके हृदय पर अधिक गहराई से चोट लगी थी। इस भयानक अनुभव के बाद से, वह चर्च से अलग रहता था।
सुसमाचार प्रचार करते समय, हमें महसूस हुआ कि बहुत से लोग थे जिनकी आत्माओं को चोट लगी थी, और वे भाई पैट्रीक की तरह परमेश्वर से दूर हो गए थे। सुसमाचार प्रचार करते हुए हमें इस पर गर्व महसूस हुआ क्योंकि प्रचार करना घायल आत्माओं को सबसे अच्छी दवा देने और स्वस्थ होने में उनकी मदद करने का काम है।
मैंने यह सबक भी सीख लिया है प्रचार करने के लिए मेरे पास परमेश्वर को प्रेरित करनेवाला विश्वास होना चाहिए। भाई एडवर्ड जिन्होंने भाई पैट्रीक का नेतृत्व किया, वह करीब अस्सी वर्ष के होने के बावजूद जोशीले हैं। आत्मिक रूप से वह भोर की ओस के समान युवा वयस्क हैं। भाई एडवर्ड केवल प्रचार ही नहीं, बल्कि यदि सुसमाचार या सिय्योन के बारे में कुछ हो, तो वाहन या नाश्ता प्रदान इत्यादि के लिए बहुत उत्साही हैं। थोड़े दिनों पहले, उन्हें अस्पताल उपचार से गुजरना पड़ा क्योंकि उनकी सेहत अच्छी नहीं थी। हालांकि, उपचार शुरू करने से एक सप्ताह पहले तक उन्होंने प्रचार में भाग लिया; हम सब प्रेरित हुए। चूंकि परमेश्वर ने उन्हें भाई पैट्रीक को फल बनने दिया, तो ऐसा लगता है कि हमसे पहले परमेश्वर प्रेरित हुए थे।
जैसे मैंने डबलिन सिय्योन के सदस्यों के जोश और प्रेम के द्वारा एक एक करके नए सदस्यों का नेतृत्व परमेश्वर के पास होते देखा, तो मैंने सोचा कि परमेश्वर के पास एक आत्मा का नेतृत्व करने की प्रक्रिया एक बच्चे के पैदा होने और बढ़ने की प्रक्रिया के समान है। नवजात शिशु अपने पास व्यक्ति के साथ भी आंख से संपर्क नहीं कर सकता। समय बीतने पर, वह चीजों पर ध्यान केंद्रित कर सकता है और अपने माता–पिता को पहचानने लगता है। उसी तरह, हमारी आत्मा पहले हमारे स्वर्गीय माता–पिता को पूरी तरह से नहीं पहचान सकती। लेकिन, परमेश्वर के वचन का अध्ययन करने के द्वारा, हम आत्मिक रूप से बाइबल पर ध्यान केंद्रित करना शुरू करते हैं और विवेक पाते हैं और धीरे–धीरे स्वर्गीय पिता और माता को पहचानते हैं।
माता–पिता बच्चों को उन्हें पहचानने से संतुष्ट नहीं होते। वे अपनी संतानों के बड़े होने तक उन्हें प्रेम देते और उनकी देखभाल करते हैं। डबलिन सिय्योन में, नए सदस्यों का स्वागत करने के लिए, मैंने हर कोने को साफ किया, परमेश्वर के वचन को जांचा और ध्यान से सदस्यों के हृदयों को देखा। ऐसा करके, मुझे महसूस हुआ कि हर एक तुच्छ चीज जिस पर मैंने सिय्योन में उस समय तक ध्यान नहीं दिया था, वह किसी न किसी की देखभाल और प्रेम से भरा था।
मैं एक बच्चे की तरह थी जो केवल उन चीजों के लिए मांगती थी कि मैं चाहती हूं। जब मैं आयरलैंड में आई, तब मैं आखिर में स्वर्गीय माता के दर्द और बलिदान को समझ सकी जो अपनी संतानों की देखभाल करती हैं। मुझे लगता है कि मैं अब मुश्किल से भोर की ओस के समान युवा वयस्क के रूप में योग्य बन सकी जो स्वेच्छा से सुसमाचार कार्य करता है।
मैं पिता और माता को धन्यवाद देती हूं कि मुझे यह महसूस करने की अनुमति दी कि एक आत्मा को बचाने के लिए कितनी देखभाल और ध्यान देने की जरूरत है और मैंने शारीरिक और आत्मिक रूप से बड़ी होने तक कितना अधिक प्रेम पाया है। आज भी, माता अपनी संतानों के उद्धार के लिए आराम नहीं कर पातीं। मैं माता के प्रेम को मन में रखकर अपने भाइयों और बहनों की देखभाल करके माता की सहायता करनेवाली परिपक्व संतान बनूंगी।