मैं ऐसी बड़ी दुष्टता करके परमेश्वर का अपराधी क्यों बनूं?
उत्पत्ति का 39वां अध्याय

यूसुफ जिसे उसके ईष्र्यालु भाइयों ने एक दास के रूप में बेच दिया था, वह उस पोतीपर के घर में सेवा करने लगा जो मिस्र का हाकिम और अंगरक्षकों का प्रधान था। परमेश्वर यूसुफ के साथ रहते थे, इसलिए यूसुफ हर काम में कामयाब रहता था। पोतीपर ने यह देखकर उसे अपने घर का अधिकारी बनाया और अपना सब कुछ उसके हाथ में सौंप दिया। तो परमेश्वर यूसुफ के कारण पोतीपर के घर में आशीष देने लगे।
यूसुफ ईमानदारी व वफादारी से अपने स्वामी के घर की देखभाल करता था। लेकिन एक दिन उसे संकट का सामना करना पड़ा। पोतीपर की पत्नी की नजर यूसुफ को रिझाने–लुभाने में लग गई। परन्तु यूसुफ ने उस प्रलोभन को ठुकरा दिया और कहा, “मैं ऐसी बड़ी दुष्टता करके परमेश्वर का अपराधी क्यों बनूं?” इस पर पोतीपर की पत्नी क्रोधित हो गई और उसने उस पर झूठा दोष लगाया।
यूसुफ को जो अपने विश्वास और विवेक की रक्षा कर रहा था, बन्दीगृह में डाला गया। बन्दीगृह में भी परमेश्वर यूसुफ के साथ रहते थे और उसे सफल बनाते थे। इसलिए बन्दीगृह का दारोगा यूसुफ पर भरोसा करने लगा और उसने वहां का सब प्रबन्ध यूसुफ के हाथों में दे दिया। बाद में यूसुफ आजाद हुआ और मिस्र का प्रशासक बन गया।
“भाग्य उलट–पलट होता है” इस कहावत का मतलब है कि हमारे जीवन के भाग्य का पूर्वानुमान करना कठिन है, क्योंकि हमारे जीवन के भाग्य में बड़ा परिवर्तन आता रहता है। कभी–कभी एक अशुभ घटना में एक आशीष छिपी हो सकती है।
यूसुफ का जीवन वैसा ही था। उसे उसके सगे भाइयों के कारण एक दास के रूप में बेच डाला गया था। जब वह सोच रहा था कि उस अनजान देश में जहां उसके लिए सब कुछ अपरिचित था, आखिर वह रहने का आदी हो चुका है, तब उसे झूठे आरोप में फंसकर जेल में डाला गया। भले ही उसकी जिन्दगी इतनी बदलती रही कि उसे अगले दिन का भरोसा नहीं था, लेकिन उसके जीवन में एक चीज कभी नहीं बदल गई: वह परमेश्वर के प्रति उसका मन था। यूसुफ इसे कभी नहीं भूला कि परमेश्वर हमेशा उसके साथ हैं।
भले ही आप परमेश्वर में धार्मिक और निष्कपट जीवन जीएं, लेकिन परीक्षाएं आपके मार्ग में आ सकती हैं। यदि आपका चित्त दर्द और पीड़ा के वश में हो, तो आप दिल की गहराई से स्वयं को लाचार और निराश महसूस करेंगे। ऐसी स्थिति में कभी–कभी आपको सब कुछ भूलकर अपना जीवन अपनी इच्छानुसार जीने को मन करेगा।
यदि आप परीक्षा का सामना कर रहे हैं, तो सिर्फ एक चीज है जिसे आपको याद रखना है: वह यह है कि परमेश्वर इस क्षण भी आपके साथ हैं। चाहे आपके पास कैसी भी कठिन स्थिति आए, आपको पापमय कार्यों से दूर रहना चाहिए। यदि आप अपने विश्वास और विवेक की रक्षा करते हुए पूरे विश्वास के साथ सत्य का पालन करेंगे, तो परमेश्वर आखिर सफलता का मार्ग खोलेंगे, ठीक जैसे परमेश्वर ने धर्मी यूसुफ को संकट से बचाया, उसे मिस्र का प्रशासक बनाया और उसे फिर से अपने परिवार से मिलने की खुशी भी दी(उत्पत्ति 46:29–30)।