
अरस्तू ने कहा, “कोई जानवर नहीं लेकिन मनुष्य हंसता है।” कभी–कभी, जानवर भी हंसने जैसे दिखते हैं, लेकिन वास्तव में वे नहीं हंसते। भले ही उनके पास मातृ प्रेम और पितृ प्रेम की तरह पारिवारिक प्रेम है, लेकिन वे अपने परिवार को हार्दिक मुस्कान नहीं दे सकते।
इसके बारे में सोचें तो, यह हमारे लिए एक महान आशीष है कि हम हमारे प्यारे परिवार की तरफ और साथ ही दूसरों की तरफ मुस्कुरा सकते हैं। हंसी के बिना, हमारा घर, स्कूल और समाज बहुत ही निर्दय होगा।
हंसी संक्रामक होती है। जब एक पिता हंसते हैं, तब उनके बच्चे भी हंसते हैं; जब बच्चे हंसते हैं, तब उनकी मां भी हंसती है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कौन पहले हंसता है; यदि परिवारवालों में से एक जन हंसता है, तो अन्त में सभी परिवारवाले हंसेंगे। परिवारवालों में से किसी के पहले हंसने का इंतजार न कीजिए। पहले आपकी मुसकान दिखाइए!
- टिप्स
- जब आप सुबह उठते हैं, अपने परिवारवालों पर मुस्कुराइए।
- ऐसी जगह पर जहां सभी परिवारवाले देख सकते हैं, फोटो या छोटी वस्तु रखिए, जो परिवारवालों को हंसाता है।
- जब आप अपने परिवारवालों से सहायता मांगते हैं, तब मुस्कान के साथ बात कीजिए।
- जब परिवारवाले आपसे सहायता मांगते हैं, तब मुस्कान के साथ उसे स्वीकार कीजिए।
- बिना किसी कारण के आपके परिवारवालों पर मुस्कुराइए।
- जब परिवारवाले कुछ गलती करते हैं, मुस्कुराहट के साथ सांत्वना दीजिए।
- जब परिवारवाले बाहर जाते हैं, तब मुस्कुराहट के साथ विदा कीजिए।
- जब परिवारवाले घर लौट आते हैं, तब मुस्कुराहट के साथ उनका स्वागत कीजिए।
- जब परिवारवाले थक जाते हैं, तब मुस्कुराहट के साथ उसे सांत्वना दीजिए।