
विशाल समुद्र का पानी भूमि से हर प्रकार की गंदी चीजों को लेने पर भी नहीं सड़ जाता। इसके कई कारण हैं, जैसे उसमें प्रदूषित पदार्थों को शुद्ध करने वाले नमक का विद्यमान होना, उसका लगातार लहरों को ऊंचा उठाते हुए गतिशील होना, उसमें रहने वाले सूक्ष्मजीवों का हानिकारक पदार्थों को विघटित करना आदि।
समुद्र जो अशुद्ध और गंदी चीजों को स्वीकार करता है और उन्हें शुद्ध बनाता है, वह माता से बहुत मिलता जुलता है। माता अपने बच्चों की सभी गलतियों को ढकती और स्वीकार करती है और अनंत बलिदान और प्रेम के साथ उन्हें बदलती है। समुद्र को चीनी भाषा की लिपि में 海 लिखा जाता है और उसमें 母(माता) है। फ्रेंच भाषा की लिपि में भी माता को mère लिखा जाता है और उसमें mer है जिसका मतलब है, समुद्र। यदि हम समुद्र और माता की विशेषताओं के बारे में सोचें, तो यह काफी सार्थक है।
जिस प्रकार समुद्र सारी गंदगियों को ले लेता है और उसे साफ करता है, हमारा मन खुला और इतना सुन्दर होना चाहिए जिससे हम अपने भाइयों और बहनों की गलतियों को ढक सकें। माता की शिक्षा में से
स्वर्गीय माता सारी मानव जाति के अधर्म और अपराध का आलिंगन करती हैं और उन्हें शुद्ध और साफ करती हैं। दुनिया में सबसे अधिक मूल्यवान प्रेम के साथ वह बिना आराम किए लगातार ऐसा करती रहती हैं।
इसलिए आइए हम कोशिश करें कि हमारा मन माता के मन के समान बने। चाहे हमारे दिल को चोट पहुंचाने वाली कोई घटना घटित हो, यदि हम अपने भाइयों और बहनों की गलतियों को ढक सकेंगे, तो हम समुद्र की तरह, स्वर्गीय माता की तरह सचमुच सुन्दर रूप में फिर से नया जन्म ले सकेंगे।