जो मेरा आदर करें मैं उनका आदर करूंगा

1शमूएल 2:12-35

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इस्राएल में राजा स्थापित होने से पहले, एली एक महायाजक के रूप में इस्राएलियों का नेता था, और होप्नी और पीनहास नामक उसके दो पुत्र थे। दोनों पुत्रों ने भी अपने पिता के साथ याजक का पद पाया था। हालांकि, उन्होंने परमेश्वर को मेलबलि चढ़ाने से पहले ही उसका मांस अपने लिए लिया और परमेश्वर की भेंट का तिरस्कार करने की हिम्मत की। जिन्होंने याजक के पद को भूलकर सब बुरा काम किया उन दोनों पुत्रों की अफवाह पूरे इस्राएल में फैल गई।

उसे सुनकर, एली ने अपने पुत्रों से आग्रहपूर्वक कहा कि वे कुकर्म करना बन्द करें, तो भी उन्होंने न तो अपनी गलती के लिए पछतावा किया और न ही अपने कुकर्म से फिरे। तब परमेश्वर के एक जन ने एली के पास आकर उसे परमेश्वर का वचन सुनाया। “इसलिये इस्राएल के परमेश्वर यहोवा की यह वाणी है, कि मैं ने कहा तो था कि तेरा घराना और तेरे मूलपुरुष का घराना मेरे सामने सदैव चला करेगा; परन्तु अब यह बात मुझ से दूर हो; क्योंकि जो मेरा आदर करें मैं उनका आदर करूंगा, और जो मुझे तुच्छ जानें वे छोटे समझे जाएंगे।” एली के दो पुत्रों ने परमेश्वर की निरंतर चेतावनियों को नजरअंदाज किया और अपने कुकर्मों को नहीं छोड़ा। अन्त में, वे एक ही दिन मर गए। इसके विपरीत, शमूएल को, जो अपने पूरे हृदय से परमेश्वर का भय मानता था, इस्राएल के आखिरी न्यायी के रूप में स्वर्ग प्रदत्त आदेश दिया गया।

वास्तव में शमूएल याजक, जिसने बाद में राजा दाऊद का अभिषेक किया, याजक के परिवार में नहीं जन्मा था। वह एक मनुष्य था जो उसकी माता हन्ना के मन्नत मांगने के बाद परमेश्वर को अर्पित किया गया। तो फिर, परमेश्वर का अनुग्रह जैसा शमूएल पर था, वैसा एली के दो पुत्रों पर क्यों नहीं रहा? वे सिर्फ इस तथ्य से परमेश्वर की आशीष पाने के लिए पर्याप्त थे कि वे पवित्र तेल से अभिषिक्त किए गए महायाजक के परिवार में जन्मे थे। इसके बावजूद, वे नष्ट हुए क्योंकि उन्होंने परमेश्वर का भय नहीं माना और पापों का ढेर लगाया।

चाहे एक मनुष्य किसी भी आशीषित किए जाने के पद पर नियुक्त हो, अगर वह परमेश्वर का भय नहीं मानता और उनको तुच्छ मानता है, तो उसकी आशीष किसी भी वक्त छीन ली जा सकती है।

“जो मेरा आदर करें मैं उनका आदर करूंगा, और जो मुझे तुच्छ जानें वे छोटे समझे जाएंगे।”

परमेश्वर अपने सिद्धांत के अनुसार हमारे साथ व्यवहार करेंगे।