इस्राएल

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1. याकूब का दूसरा नाम

एक रात, परमेश्वर ने स्वप्न में याकूब से अपनी मां के भाई लाबान के घर को छोड़कर अपनी जन्मभूमि पर लौटने के लिए कहा। इसलिए याकूब अपने सभी परिवारवालों को और पशुओं को संग लेकर अपनी जन्मभूमि के लिए निकला। अपने घर लौटने के मार्ग पर, जब वह यब्बोक नदी पर पहुंचा, तो उसने अपने परिवारवाले और अपना सब कुछ नदी के पार सुरक्षित जगह में उतार दिया। तो याकूब अकेला रह गया, तब एक पुरुष आकर पौ फटने तक उससे मल्लयुद्ध करता रहा। जब उसने देखा कि वह याकूब पर प्रबल नहीं होता, तब उसकी जांघ की नस को छुआ, और याकूब की जांघ की नस उससे मल्लयुद्ध करते ही करते चढ़ गई। तब उस पुरुष ने कहा, “मुझे जाने दे, क्योंकि भोर होने वाला है।” लेकिन याकूब ने कहा, “जब तक तू मुझे आशीर्वाद न दे, तब तक मैं तुझे जाने न दूंगा।” तब उसने याकूब से पूछा, “तेरा नाम क्या है?” उसने कहा “याकूब।”

तब उस पुरुष ने कहा, “तेरा नाम अब याकूब नहीं, परन्तु इस्राएल होगा, क्योंकि तू परमेश्वर से और मनुष्यों से भी युद्ध करके प्रबल हुआ है(उत 32:24–28)।” उसके बाद, याकूब को इस्राएल से बुलाया जाने लगा।

※ “इस्राएल” इस नाम का मतलब है, “जो परमेश्वर से युद्ध करके प्रबल हुआ है।”

2. याकूब के वंश

याकूब के वंश “इस्राएल के वंश” या “इस्राएल” कहलाते थे।

पर इस्राएलियों के विरुद्ध, क्या मनुष्य क्या पशु, किसी पर कोई कुत्ता भी न भोंकेगा; जिससे तुम जान लो कि मिस्त्रियों और इस्राएलियों में मैं यहोवा अन्तर करता हूं। निर्ग 11:7

इसलिए, “इस्राएल” शब्द याकूब और उसके वंश दोनों को संकेत करता है।

3. देश का नाम

राजा सुलैमान की मृत्यु के बाद, इस्राएल देश दो अलग अलग राज्यों में विभाजित हुआ था: दक्षिणी राज्य यहूदा कहा जाता था, और उत्तरी राज्य इस्राएल कहा जाता था। दक्षिणी राज्य का यहूदा, जिसमें यहूदा और बिन्यामीन के दो गोत्र थे, सुलैमान के बेटे रहूबियाम के द्वारा शासित किया जाता था, और उत्तरी राज्य का इस्राएल, जिसमें दस गोत्र थे, यारोबाम से शासित किया जाता था। उस समय से, दोनों राज्यों को इस प्रकार कहा जाने लगा, “इस्राएल का घराना” और “यहूदा का घराना”(यिर्म 11:10)

70 ई. में, यरूशलेम रोमन सेना के द्वारा नष्ट हो गया था। 1,900 वर्षों के बाद, याकूब के वंश ने अपना देश वापस पा लिया और उन्होंने उस देश का नाम “इस्राएल” रखा।

4. आत्मिक इस्राएल

पुराने नियम के समय, इस्राएली उस देश के वारिस बनने के लिए जो परमेश्वर उन्हें देने वाले थे, प्रतिज्ञा की संतान थे। शारीरिक इस्राएल नए नियम के आत्मिक इस्राएल की छाया है। आत्मिक इस्राएली परमेश्वर के उन चुने हुए लोगों को दर्शाते हैं जो नई वाचा के द्वारा स्वर्ग के राज्य के वारिस बनेंगे।

इसलिए नए नियम में, “इस्राएल” शब्द का मतलब “आत्मिक इस्राएल” भी है।

जितने इस नियम पर चलेंगे उन पर, और परमेश्वर के इस्राएल पर शान्ति और दया होती रहे। गल 6:16

यदि तुम मसीह के हो तो अब्राहम के वंश और प्रतिज्ञा के अनुसार वारिस भी हो। गल 3:29

हे बैतलहम, तू जो यहूदा के प्रदेश में है, तू किसी भी रीति से यहूदा के अधिकारियों में सबसे छोटा नहीं; क्योंकि तुझ में से एक अधिपति निकलेगा, जो मेरी प्रजा इस्राएल की रखवाली करेगा। मत 2:6

अनन्त स्वर्ग के राज्य की विरासत शारीरिक इस्राएलियों को नहीं, पर सिर्फ आत्मिक इस्राएलियों को ही दी जाएगी।