जब परमेश्वर ने कहा, “उजियाला हो,” उजियाला हो गया, और जब परमेश्वर ने एक अन्तर बनाकर उसके नीचे के जल और उसके ऊपर के जल को अलग अलग किया, वैसा ही हो गया। वे परमेश्वर की दृष्टि में अच्छे थे। हालांकि, इस युग में जो पवित्र आत्मा और दुल्हिन की आवाज का पालन करते हैं और उनके बुलाने पर उनके पास आते हैं, वे लोग परमेश्वर की दृष्टि में सबसे सुंदर हैं।
हम अनन्त स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने के लक्ष्य की दिशा में विश्वास के मार्ग की ओर जा रहे हैं। इस विश्वास के जंगल की यात्रा में कुछ लोग मनुष्यों को प्रसन्न करने के लिए विश्वास के मार्ग पर चल रहे हैं, और दूसरे परमेश्वर को प्रसन्न करने के मार्ग पर विश्वास का जीवन जी रहे हैं।
प्रथम चर्च के इतिहास में हम देख सकते हैं कि प्रेरितों और संतों ने यह कहते हुए, “अब मैं क्या मनुष्यों को मानता हूं, या परमेश्वर को?”(गल 1:10) परमेश्वर को प्रसन्न करने की दिशा में विश्वास के मार्ग पर चलने का प्रयत्न किया। इस युग में हमारे साथ भी ऐसा ही है। हमें स्वर्गीय स्वभाव में भाग लेने का प्रयत्न करना चाहिए और हमेशा मुस्कुराहट से भरा जीवन जीना चाहिए जिस प्रकार माता ने हमें सिखाया है, क्योंकि यह परमेश्वर की दृष्टि में अच्छा है। हमें परमेश्वर की नजरों में प्रशसनीय ठहरने वाला जीवन चुनना चाहिए, लेकिन कभी–कभी हम वह जीवन चुनते हैं जो हमारी और दूसरों की नजरों में प्रसन्न करने वाला होता है। हर स्थिति में, आइए हम हमेशा परमेश्वर को प्रसन्न करने वाले मार्ग में विश्वास का जीवन जीएं, ताकि “यह परमेश्वर की दृष्टि में अच्छा है,” यह लिखा जा सके।
परमेश्वर ने अपनी इच्छा से पृथ्वी, आकाश और उसकी प्रत्येक वस्तु की सृष्टि की। जब हम उत्पत्ति के पहले अध्याय में परमेश्वर के कार्य को देखते हैं, हम देख सकते हैं कि सब वस्तुएं परमेश्वर के वचन के अनुसार सृजी गई हैं।
जब परमेश्वर ने कहा, “उजियाला हो,” तो उजियाला हो गया। और परमेश्वर ने उजियाले को देखा कि अच्छा है; और परमेश्वर ने उजियाले को अन्धियारे से अलग किया। और परमेश्वर ने उजियाले को दिन और अन्धियारे को रात कहा। तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकार पहला दिन हो गया। उत 1:3–5
फिर परमेश्वर ने कहा, “आकाश के नीचे का जल एक स्थान में इकट्ठा हो जाए और सूखी भूमि दिखाई दे,” और वैसा ही हो गया। परमेश्वर ने सूखी भूमि को पृथ्वी कहा; तथा जो जल इकट्ठा हुआ उसको उसने समुद्र कहा: और परमेश्वर ने देखा कि अच्छा है। उत 1:9–10
जब परमेश्वर ने आकाश और पृथ्वी को बनाया, उन्होंने पहले उजियाला बनाया, और परमेश्वर के वचन के द्वारा बनाया गया उजियाला उनकी दृष्टि में अच्छा था। परमेश्वर ने एक अन्तर बनाकर उसके नीचे जल और उसके ऊपर के जल को अलग किया, और वैसा ही हो गया। परमेश्वर ने भूमि और समुद्र को विभाजित किया और वैसा ही हो गया। यह भी परमेश्वर की नजरों में अच्छा था। बाइबल में दर्ज है कि परमेश्वर की दृष्टि में सब कुछ जो परमेश्वर के वचन के अनुसार बनाया गया और पूरा किया गया, अच्छा था(उत 1:11–31)
जिस प्रकार स्वर्ग और पृथ्वी परमेश्वर के वचन के अनुसार बनाई गई, हमें भी सब चीजों को उस मार्ग में जो परमेश्वर की दृष्टि में अच्छा है, परमेश्वर के मापक के अनुसार करना चाहिए। जब हम चीजों को अपने तरीकों से या लोगों को प्रसन्न करने के एक मकसद से करना चाहते हैं, हम परमेश्वर के प्रति अवज्ञाकारी बनते हैं और परमेश्वर की व्यवस्था व आदेशों का पालन करने में असफल होते हैं और व्यवस्था के उल्लंघन की ओर बढ़ते हैं। इसलिए, यद्यपि यह एक आत्म–विनाश के लिए मार्ग है, लेकिन हम इसे अच्छा समझते हुए मूर्खता कर बैठेंगे।
हमें परमेश्वर की दृष्टि में सही मार्ग चुनना और उसका विश्वास के साथ पालन करना चाहिए। विश्वास के पूर्वजों के कार्यों के द्वारा, जो परमेश्वर की दृष्टि में अच्छे थे, आइए हम इस युग में हमारे विश्वास के जीवन की जांच करें।
जितनी बातें पहले से लिखी गईं, वे हमारी ही शिक्षा के लिये लिखी गईं हैं कि हम धीरज और पवित्रशास्त्र के प्रोत्साहन द्वारा आशा रखें। रो 15:4–5
बाइबल में बहुत सी चीजें हैं जो परमेश्वर की दृष्टि में अच्छी हैं। हमारी उद्धार के मार्ग पर अगुवाई करने के लिए, परमेश्वर ने हमारे विश्वास के पूर्वजों के कार्यों को बाइबल में दर्ज किया, और उनके द्वारा परमेश्वर हमें सिखाते हैं कि उनकी नजरों में कौन सा सही और गलत मार्ग है।
पुराने समय में दानिय्येल के तीन दोस्त, शद्रक, मेशक और अबेदनगो को धधकते हुए भट्ठे में फेंक दिया गया, क्योंकि उन्होंने राजा के आदेश, यानी मूर्ति को दण्डवत् करने से इनकार किया था। वे आग के भट्ठे में फेंके जाने से भी न डरे और परमेश्वर के वचन का पालन किया, और परमेश्वर उनसे बहुत प्रसन्न हुए। यहां तक कि अपनी जान का जोखिम होने के बावजूद, उन्होंने परमेश्वर के वचन का पालन किया, और उनका दृढ़ विश्वास परमेश्वर की दृष्टि में बहुत अच्छा और प्रसन्न करने वाला था कि परमेश्वर ने उन्हें आग के भट्ठे में से भी बचा लिया(दान 3:1–30)
दानिय्येल ने भी विश्वास का एक उदाहरण दिखाया जो परमेश्वर की दृष्टि में अच्छा और प्रसन्न करने वाला था। वह दिन में तीन बार अपनी खिड़की को यरूशलेम की ओर खोलकर प्रार्थना किया करता था। फिर उसके विरोधियों ने उसे मिटा देने के लिए एक साजिश रची; उन्होंने राजा को एक नया आदेश देने के लिए मनाया कि राजा को छोड़ जो कोई मनुष्य या देवता से वितनी करेगा सिंहों की मांद में डाल दिया जाएगा। हालांकि, वह आज्ञा सुनने के बाद भी, दानिय्येल परमेश्वर से प्रार्थना करने से न रुका। इस तरह से दानिय्येल परमेश्वर की इच्छा के अनुसार लगातार प्रार्थना करता रहा, और यह परमेश्वर की दृष्टि में अच्छा और प्रसन्न करने वाला था। जब दानिय्येल को सिंहों की मांद में डाला गया, परमेश्वर ने उसे बचाया और उन्हें जिन्होंने उसकी चुगली की थी, सिंहों का खाना बनने दिया(दान 6:1–28)
परमेश्वर उन सभी की सहायता करते हैं जो वह करते हैं जो परमेश्वर की नजरों में अच्छा है, और उन्हें अधिक से अधिक महिमा देते हैं। यदि हम ध्यानपूर्वक बाइबल का अध्ययन करें, हम देख सकते हैं कि जब परमेश्वर की सृष्ट वस्तुएं उनके वचन में आज्ञाकारी थीं, तो ऐसा वर्णन किया गया, “यह परमेश्वर की दृष्टि में अच्छा है।” परमेश्वर की दृष्टि में आज्ञाकारिता, यानी अपने पूरे हृदय, आत्मा और मन से परमेश्वर के वचन का पालन करना ही एक अच्छा कार्य है।
इन्होंने विश्वास ही के द्वारा राज्य जीते; धर्म के काम किए; प्रतिज्ञा की हुई वस्तुएं प्राप्त कीं; सिंहों के मुंह बन्द किए; आग की ज्वाला को ठंडा किया; तलवार की धार से बच निकले; निर्बलता में बलवन्त हुए; लड़ाई में वीर निकले; विदेशियों की फौजों को मार भगाया। स्त्रियों ने अपने मरे हुओं को फिर जीवित पाया; कितने तो मार खाते खाते मर गए और छुटकारा न चाहा, इसलिये कि उत्तम पुनरुत्थान के भागी हों। कई एक ठट्ठों में उड़ाए जाने; और कोड़े खाने वरन् बांधे जाने, और कैद में पड़ने के द्वारा परखे गए। पथराव किए गए; आरे से चीरे गए; उनकी परीक्षा की गई; तलवार से मारे गए; वे कंगाली में, और क्लेश में, और दु:ख भोगते हुए भेड़ों और बकरियों की खालें ओढ़े हुए, इधर उधर मारे मारे फिरे; और जंगलों, और पहाड़ों, और गुफाओं में, और पृथ्वी की दरारों में भटकते फिरे। संसार उनके योग्य न था। इब्र 11:33–38
प्रथम चर्च के संत, जिन्होंने कठिनाइयों और क्लेशों के होने के बावजूद अपना विश्वास रखा, परमेश्वर की दृष्टि में सुंदर थे। उन्होंने कभी भी रोम के उत्पीड़न के सामने आत्मसमर्पण या हार नहीं मानी, और चाहे तो उनके ऊपर कितनी भी कठिनाइयां या पीड़ाएं आ पड़ीं, उन्होंने परमेश्वर के वचन का पालन करना जारी रखा। क्योंकि उन्होंने परमेश्वर के वचन पर पूरी तरह विश्वास किया और अपने खुद के जीवन से अधिक बढ़कर बहुमूल्य समझा। वे सत्य के योद्धाओं के समान आत्मिक रूप से विजय हुए चाहे तो वे कई बार जंगलों, पहाड़ों, गुफाओं और धरती में बने बिलों में भटकते रहे, कई बार उपहास और मारना पीटना सहा, कई बार उन्हें जंजीरों में जकड़ा और जेल में डाल दिया गया, और यहां तक कि मार भी डाला गया।
रोमन कैथोलिक चर्च ने रोम की सरकार के साथ हाथ मिलाया और परमेश्वर को प्रसन्न करने के मार्ग के बजाय संसार को प्रसन्न करने के मार्ग को चुना। फिर सूर्य आराधना के सिद्धांत जैसा कि रविवार की आराधना और क्रिसमस जो बाइबल में नहीं हैं, चर्च में लाए जाने लगे, मानो वे सब ईसाई धर्म के मूल सिद्धांत हों। हालांकि, उन्होंने जो सत्य से प्रेम करते थे, उन सिद्धांतों को नहीं अपनाया, लेकिन अंत तक सत्य का पालन किया। उन्होंने वह मार्ग चुना जो परमेश्वर की दृष्टि में अच्छा और प्रसन्न करने वाला था।
उनके समान, आइए हम भी चाहे किसी भी स्थिति में क्यों न हों, परमेश्वर की दृष्टि में प्रसन्न करने वाले मार्ग को चुनें। परमेश्वर ने हमें एक बहुमूल्य उपहार, बाइबल दी है। बाइबल, जो परमेश्वर का वचन है, उद्धार की ओर अगुवाई करने वाला ज्ञान रखती है।
और बचपन से पवित्रशास्त्र तेरा जाना हुआ है, जो तुझे मसीह पर विश्वास करने से उद्धार प्राप्त करने के लिये बुद्धिमान बना सकता है। 2तीम 3:15
बाइबल के द्वारा परमेश्वर ने हमें उद्धार का संदेश दिया और हमें उद्धार का मार्ग भी बताते हैं। यदि हम बाइबल की इन विशेषताओं को समझें, हमें परमेश्वर के वचन का पालन करते हुए परमेश्वर की दृष्टि में एक अच्छा जीवन जीना चाहिए।
मैं हर एक को जो इस पुस्तक की भविष्यद्वाणी की बातें सुनता है, गवाही देता हूं: यदि कोई मनुष्य इन बातों में कुछ बढ़ाए तो परमेश्वर उन विपत्तियों को, जो इस पुस्तक में लिखी हैं, उस पर बढ़ाएगा। यदि कोई इस भविष्यद्वाणी की पुस्तक की बातों में से कुछ निकाल डाले, तो परमेश्वर उस जीवन के वृक्ष और पवित्र नगर में से, जिसका वर्णन इस पुस्तक में है, उसका भाग निकाल देगा। प्रक 22:18–19
हमें उनमें न कुछ बढ़ाना चाहिए और उनमें से न कुछ घटाना चाहिए। फिर, हमें “परमेश्वर की दृष्टि में सम्पूर्ण अच्छा” होने के लिए खासकर कौन से वचन का पालन करना चाहिए।
आत्मा और दुल्हिन दोनों कहती हैं, “आ!” और सुननेवाला भी कहे, “आ!” जो प्यासा हो वह आए, और जो कोई चाहे वह जीवन का जल सेंतमेंत ले। प्रक 22:17
वह पल परमेश्वर की दृष्टि में सबसे प्रसन्न करने वाला होता है जब लोग पवित्र आत्मा और दुल्हिन की पुकार का जवाब देते हैं और परमेश्वर के पास आकर जीवन के जल के सत्य में निवास करते हैं। जब परमेश्वर ने कहा, “उजियाला हो,” उजियाला हो गया, और जब परमेश्वर ने एक अन्तर बनाकर उसके नीचे के जल और उसके ऊपर के जल को अलग अलग किया, वैसा ही हो गया। वे परमेश्वर की दृष्टि में अच्छे थे। हालांकि, इस युग में जो पवित्र आत्मा और दुल्हिन की आवाज का पालन करते हैं और उनके बुलाने पर उनके पास आते हैं, वे लोग परमेश्वर की दृष्टि में सबसे सुंदर हैं।
इस पवित्र आत्मा के युग, यानी इन अंतिम दिनों में परमेश्वर पवित्र आत्मा और दुल्हिन के रूप में हमें प्रतिज्ञा देने के लिए और हमें प्रतिज्ञा की सन्तान बनाने के लिए आए हैं।
हे भाइयो, हम इसहाक के समान प्रतिज्ञा की सन्तान हैं। और जैसा उस समय शरीर के अनुसार जन्मा हुआ आत्मा के अनुसार जन्मे हुए को सताता था, वैसा ही अब भी होता है। गल 4:28–29
प्रतिज्ञा जिसे हमें परमेश्वर ने दिया, अनन्त जीवन है(1यूह 2:25)। प्रतिज्ञा की सन्तान जो अनन्त जीवन की प्रतिज्ञा को पाती हैं, अत्याचार को सहती हैं। चूंकि प्रतिज्ञा जो उन्होंने पाई है, बहुत आशीषित और बहुमूल्य है, इसलिए शैतान उनके मार्ग में बाधाएं डालने के द्वारा उनसे उसे दूर ले जाने का प्रयत्न करता है। परमेश्वर ने हमारे विश्वास के पूर्वजों के लिए इस प्रतिज्ञा को आरक्षित नहीं किया, लेकिन आज हमारे लिए किया है।
… और जंगलों, और पहाड़ों, और गुफाओं में, और पृथ्वी की दरारों में भटकते फिरे। संसार उनके योग्य न था। विश्वास ही के द्वारा इन सब के विषय में अच्छी गवाही दी गई, तौभी उन्हें प्रतिज्ञा की हुई वस्तु न मिली। क्योंकि परमेश्वर ने हमारे लिये पहले से एक उत्तम बात ठहराई, कि वे हमारे बिना सिद्धता को न पहुंचे। इब्र 11:35–40
भले ही प्रथम चर्च के सभी संतों को उनके विश्वास के द्वारा अच्छी गवाही दी गई, और उनके पास ऐसा महान विश्वास था कि संसार भी उनके योग्य नहीं था, फिर भी उनमें से किसी ने भी जो प्रतिज्ञा की गई थी, उसे नहीं पाया। इसकी वजह यह है कि जिस प्रकार जीवन सिर्फ एक माता के द्वारा ही दिया जाता है, प्रतिज्ञा की सन्तान स्वर्गीय माता के द्वारा जन्म पा सकती हैं। हमें पवित्र आत्मा के साथ जीवन का जल देने वाली दुल्हिन, यानी हमारी स्वर्गीय यरूशलेम माता के प्रकट होने तक इसहाक के समान प्रतिज्ञा की सन्तान जन्म नहीं ले सकतीं(प्रक 21:9–10, गल 4:26–31)
अब हम स्त्री की शेष सन्तान हैं(प्रक 12:17), जो परमेश्वर की दृष्टि में प्रसन्न करने वाली हैं। यशायाह की पुस्तक हमारे बारे में यह भविष्यवाणी करती है;
“हे यरूशलेम से सब प्रेम रखनेवालो, उसके साथ आनन्द करो और उसके कारण मगन हो; हे उसके विषय सब विलाप करनेवालो, उसके साथ हर्षित हो! जिससे तुम उसके शान्तिरूपी स्तन से दूध पी पीकर तृप्त हो; और दूध पीकर उसकी महिमा की बहुतायत से अत्यन्त सुखी हो।” क्योंकि यहोवा यों कहता है, “देखो, मैं उसकी ओर शान्ति को नदी के समान, और जाति जाति के धन को नदी की बाढ़ के समान बहा दूंगा; और तुम उस से पीओगे, तुम उसकी गोद में उठाए जाओगे और उसके घुटनों पर कुदाए जाओगे। जिस प्रकार माता अपने पुत्र को शान्ति देती है, वैसे ही मैं भी तुम्हें शान्ति दूंगा; तुम को यरूशलेम ही में शान्ति मिलेगी। तुम यह देखोगे और प्रफुल्लित होगे; तुम्हारी हड्डियां घास के समान हरी भरी होंगी, और यहोवा का हाथ उसके दासों के लिये प्रगट होगा, और उसके शत्रुओं के ऊपर उसका क्रोध भड़केगा।” यश 66:10–14
एक छोटे बच्चे के बारे में सोचें जो अपनी मां के स्तन से दूध पीता है और उसके साथ संतुष्टता और आनन्द महसूस करता है। शायद इससे बड़ा संतोष और आनन्द नहीं होगा। इस प्रकार की खुशियां और आशीषें उन्हें जो यरूशलेम से प्रेम करते हैं, दी जाएंगी। ये वे लोग हैं जिन्होंने पवित्र आत्मा और दुल्हिन की पुकार का जवाब दिया है।
तब, परमेश्वर की दृष्टि में यरूशलेम से प्रेम रखने वाले लोग किस प्रकार के लोग हैं? वे वह हैं जो परमेश्वर की दृष्टि में प्यारे और सुंदर हैं। क्योंकि उन्होंने पवित्र आत्मा और दुल्हिन के रूप में आए परमेश्वर के वचन का पूरी तरह से पालन किया और उनकी शिक्षाओं का लगातार पालन करना जारी रखा। वे सच में परमेश्वर की सन्तान, प्रतिज्ञा की सन्तान और स्वतंत्र स्त्री की सन्तान हैं।
इस युग में परमेश्वर ने हमें हमारी स्वर्गीय माता के अस्तित्व के बारे में जानने दिया। बाइबल की शिक्षाओं के द्वारा, परमेश्वर ने हमसे यह कहा कि उन्होंने हमारे लिए एक उदाहरण दिखा दिया है कि जैसा उन्होंने किया, हम भी वैसा ही करें, और फिर उन्होंने यह कहा कि हम इस बाइबल के वचनों में कुछ भी न बढ़ाएं और उनमें से कुछ भी न घटाएं।
यदि हम बाइबल के वचनों में कुछ न बढ़ाते और उनमें से कुछ न घटाते हुए माता के अस्तित्व के बारे में बात करें, हम इस निष्कर्ष पर आ पहुंचेंगे कि हमें माता परमेश्वर पर विश्वास करना चाहिए। बाइबल हमें शुरुआत से लेकर अंत तक लगातार बताती आई है कि हमारे पास माता परमेश्वर हैं। पृथ्वी की वस्तुएं स्वर्ग की वस्तुओं का प्रतिरूप और छाया हैं(इब्र 8:5)। इससे अनुमान लगाते हुए हम यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि यह हठ सिर्फ एक बहाना है कि स्वर्ग में स्वर्गीय माता का कोई अस्तित्व नहीं होता जबकि इस पृथ्वी पर माता होती है: यह ऐसा कहने से अलग नहीं है कि भले ही एक छाया है, लेकिन उसकी वास्तविकता का कोई अस्तित्व नहीं है।
यरूशलेम माता पर विश्वास करने के साथ, हमें ईमानदारी से उनकी शिक्षाओं का पालन करना चाहिए। रूत ने अपनी सास से कहा था, “जिधर तू जाए उधर मैं भी जाऊंगी; जहां तू टिके वहां मैं भी टिकूंगी; तेरे लोग मेरे लोग होंगे, और तेरा परमेश्वर मेरा परमेश्वर होगा; जहां तू मरेगी वहां मैं भी मरूंगी, और वहीं मुझे मिट्टी दी जाएगी।” सोचिए उसके सम्मानित कार्य क्यों बाइबल में दर्ज किए गए हैं। बाइबल वह किताब है जो हमें वह बुद्धि देती है जो हमारी उद्धार की ओर अगुवाई करती है। यदि हम बाइबल में प्रत्येक दृश्य को सही समझ के साथ देखें, हम जान पाएंगे कि बाइबल में जो कुछ भी है वह हमारे उद्धार से संबंध रखता है।
आइए हम इस बात से गर्व करें कि हम उस विश्वास के मार्ग पर चल रहे हैं जो परमेश्वर की दृष्टि में अच्छा और प्रसन्न करने वाला है। हम, जो आज जी रहे हैं, प्रतिज्ञा की सन्तान के रूप में चुने गए हैं और असीमित आशीषों को पाया है। ये आशीषें माता के द्वारा आई हैं। इसका एहसास करते हुए कि हमारी आशीषें कितनी महान हैं, आइए हम अपने एलोहीम परमेश्वर को जो हमें स्वतंत्र स्त्री की शेष सन्तान बनने की आशीषों और अनन्त जीवन की प्रतिज्ञा की ओर अगुवाई करते हैं, अधिक धन्यवाद, महिमा और प्रशंसा दें।
परमेश्वर की दृष्टि में अच्छा और प्रसन्न करने वाला बनने के लिए, हमें परमेश्वर के वचन के अनुसार जीना चाहिए। परमेश्वर के वचन के अनुसार जीने का मार्ग पिता और माता के मार्ग का पालन करना है। परमेश्वर ने हमें बाइबल दी है, ताकि हम परमेश्वर के उदाहरण के अनुसार एक मन, एक आत्मा और एक उद्देश्य रखकर परमेश्वर को आदर दे सकें। सिय्योन में भाइयो और बहनो! स्त्री की शेष सन्तान, प्रतिज्ञा की सन्तान होने के नाते, आइए हम अंत तक अनन्त जीवन का मुकुट जिसकी परमेश्वर ने हमसे प्रतिज्ञा की है, थामे रहें औैर आनन्द की चिल्लाहट के साथ स्वर्ग की उज्ज्वल महिमा में प्रवेश करें।