पूरीम
“पूरीम” शब्द “पूर” शब्द से निकाला गया जिसका अर्थ है, “चिट्ठी डालना।”
हामान ने सारे फारस[मादी-फारस] में हर यहूदी को मार डालने के दिन को “पूर(चिट्ठी)” डालकर नियुक्त किया(एस 3:7)। मगर उसी दिन जिसे हामान ने यहूदियों को मारने के दिन के रूप में चुना, एस्तेर और मोर्दकै ने हामान को पराजित किया(एस 9:1)। इस घटना का स्मरण करने का दिन पूरीम है। मूसा की व्यवस्था में तीन बार में सात पर्व हैं जो परमेश्वर ने मूसा के द्वारा स्थापित किए। लेकिन “पूरीम” इस्राएलियों का एक पर्व है जो तीन बार के सात पर्वों में शामिल नहीं है।
आइए हम “पूरीम” की शुरुआत के बारे में देखें।
1. ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
यहूदियों को बेबीलोन में बंदी बनाया गया था। हालांकि, बेबीलोन थोड़े समय के बाद फारस[मादी-फारस] के द्वारा नष्ट हो गया। इसलिए फारस ने यहूदियों पर शासन किया। यहूदी अल्पसंख्यक जाति के थे, लेकिन वे परमेश्वर के चुने हुए लोग होने पर अधिक गर्व करने के कारण हमेशा परमेश्वर की इच्छा का पालन करने की कोशिश करते थे।
जब परमेश्वर के द्वारा निर्धारित बेबीलोन की बंधुआई के 70 वर्ष पूरे हुए, तब यहूदी दो बार यरूशलेम वापस लौटे: प्रथम वापसी और द्वितीय वापसी। यह घटना उन यहूदियों के साथ घटी, जो राजा क्षयर्ष के शासनकाल में प्रथम वापसी और द्वितीय वापसी के दौरान फारस में थे।
2. एस्तेर का रानी बनना
एक दिन, फारस के राजा क्षयर्ष ने अपने सब हाकिमों और सैन्य कर्मचारियों को भोज में आमंत्रित किया। और उसने उस भोज में अपनी रानी वशती को भी बुलाया ताकि वह वहां उसकी सुन्दरता को प्रगट कर सके। लेकिन रानी ने, जो अन्य स्त्रियों के साथ दूसरे भोज का आनन्द ले रही थी, राजा की आज्ञा न मानी और राजा के सामने आने से इनकार कर दिया। राजा क्षयर्ष को बड़ा क्रोध आया, और उसने रानी को पद से निकाल दिया। उसने नई रानी को चुनने का फैसला किया, और “एस्तेर,” जो फारस की राजधानी शूशन में एक यहूदी थी, रानी के रूप में चुनी गई और फारस की रानी बन गई। एस्तेर मोर्दकै की भतीजी थी। चूंकि उसके माता-पिता नहीं थे, मोर्दकै ने उसको अपनी बेटी की तरह पाला था।
3. मोर्दकै ने राजा का जीवन बचाया
एक दिन, मोर्दकै ने राजा के खोजों को राजा क्षयर्ष की हत्या करने के बारे में बातें करते सुना। उसने यह रानी एस्तेर को बता दिया और राजा क्षयर्ष की जान बचाई, और दोनों खोजों को फांसी के खम्भों पर लटकाया गया।
4. हामान और मोर्दकै
इसके बाद, राजा क्षयर्ष ने हामान का सम्मान किया, और उसकी पदोन्नति कर दी और उसे दूसरे मुखियाओं से अधिक बड़ा, महत्वपूर्ण और आदर का पद दे दिया। राजा के द्वार पर राजा के सभी मुखिया हामान के आगे झुक कर उसे आदर देने लगे। किन्तु मोर्दकै ने हामान के आगे झुकने अथवा उसे आदर देने को मना कर दिया। तब हामान मोर्दकै पर बहुत ही क्रोधित हुआ, और मोर्दकै की हत्या करने की साजिश रचने लगा। अन्त में हामान ने फैसला किया कि सिर्फ मोर्दकै की ही नहीं, लेकिन उसके सभी लोग, यानी सभी यहूदियों की हत्या की जाए। हामान ने यह जानने के लिए कि किस महीने में और किस दिन को यहूदियों को मार डाले, उसने चिट्ठी डाली, और चिट्ठी अदार नामक बारहवें महीने पर निकली।
5. हामान का झूठा दोष लगाना
दुष्ट हामान ने राजा क्षयर्ष के सामने यहूदियों पर इस प्रकार झूठा दोष लगाया:
“तेरे राज्य के सब प्रान्तों में रहनेवाले देश देश के लोगों के मध्य में तितर-बितर और छिटकी हुई एक जाति है, जिसके नियम और सब लोगों के नियमों से भिन्न हैं; और वे राजा के कानून पर नहीं चलते, इसलिए उन्हें रहने देना राजा को लाभदायक नहीं है। यदि राजा को स्वीकार हो तो उन्हें नष्ट करने की आज्ञा लिखी जाए…” एस 3:8-9
6. यहूदियों पर संकट
राजा ने अपनी राजकीय अंगूठी निकाली और यह कहते हुए हामान को दी, “जैसा तेरा जी चाहे वैसा ही करे।” यहूदियों के दुश्मन, हामान ने राजा के सचिवों को बुलाया। उन्होंने हामान के आदेशानुसार राजा के मुखियाओं, सभी प्रदेशों के राज्यपालों और सभी जातियों के शासकों को, प्रत्येक प्रदेश की लिपि तथा प्रत्येक जाति की भाषा में पत्र लिखे। ये पत्र उन्होंने स्वयं राजा क्षयर्ष की ओर से लिखे, और आदेशों को स्वयं राजा की अपनी अंगूठी से अंकित किया गया।
“एक ही दिन में, अर्थात् अदार नामक बारहवें महीने के तेरहवें दिन को, क्या जवान, क्या बूढ़ा, क्या स्त्री, क्या बालक, सब यहूदी मार डाले जाएं, और उनकी धन सम्पत्ति लूट ली जाए।” एस 3:13
प्रत्येक प्रदेश में जहां-जहां राजा की आज्ञा और आदेश की घोषणा हुई थी, वहां-वहां यहूदी बड़ा विलाप करने और उपवास करने और रोने पीटने लगे। वे टाट पहिने और राख डाले हुए पड़े रहे, और परमेश्वर से उन्हें बचाने के लिए विनती की।
7. चाहे मैं मर ही क्यों न जाऊं, जैसे भी बन पड़ेगा, ऐसा करूंगी।
मोर्दकै ने एक व्यक्ति को एस्तेर के पास भेजा, और संकट से पार पाने के लिए यहूदियों की मदद करने को कहा।
“क्या जाने तुझे ऐसे ही कठिन समय के लिए राजपद मिल गया हो?” Est 4:14
एस्तेर को फारस का यह नियम मालूम था कि यदि कोई बिना बुलाए राजा के पास जाए, तो राजा के अपना स्वर्ण राजदण्ड उसकी ओर बढ़ाए बिना उसे प्राणदण्ड दिया जाएगा। मगर तीन दिन उपवास करने के बाद, वह इस दृढ़ संकल्प के साथ राजा के पास गई, “चाहे मैं मर ही क्यों न जाऊं, जैसे भी बन पड़ेगा, ऐसा करूंगी।” एस्तेर को अपनी ओर आते देखकर, राजा ने अपना स्वर्ण राजदण्ड उसकी ओर बढ़ाया। एस्तेर ने राजा से हामान के साथ अपने द्वारा तैयार किए गए भोज में आने के लिए कहा। बिना अन्दर की बात जाने, हामान इस बात पर खुश हुआ कि रानी ने राजा के साथ सिर्फ उसे निमंत्रण दिया है।
8. मोर्दकै का सम्मान
राजा क्षयर्ष ने रात को इतिहास की पुस्तक पढ़ी, और उसे पता चला कि भले ही मोर्दकै ने उन दो खोजों को प्रगट किया था जिन्होंने राजा की हत्या की योजना बनाई थी, फिर भी उसकी कोई प्रतिष्ठा और बड़ाई नहीं की गई थी।
इस बीच, हामान ने मोर्दकै को मार डालने के लिए पचास हाथ ऊंचा फांसी का एक खम्भा बनवाया और उस पर मोर्दकै को लटकाने की अनुमति पाने के लिए राजा के पास गया। लेकिन, उसे राजा से मोर्दकै की प्रतिष्ठा करने की आज्ञा दी गई। हामान को मोर्दकै को राजकीय वस्त्र पहनाने पड़े, उसके सिर पर राजकीय मुकुट पहनाना पड़ा, और उसे घोड़े पर बैठाकर नगर के चौक में घोड़ा घुमाते हुए घोषित किया, “राजा जिसको सम्मान देना चाहते हैं, उसके साथ ऐसा ही किया जाता है।”
(हाथ: एक इकाई है जिसकी लम्बाई कोहनी से मध्यमा उंगली के अंत तक होती है। आम तौर पर एक हाथ 17.5 इंच है।)
9. हामान की मृत्यु
भोज पर रानी एस्तेर ने राजा को अपने और अपने लोगों के बारे में बताया।
“ओ राजा, मेरे और मेरी जाति के लोगों से संबंध में यह निर्णय लिया जा चुका है कि हमारा विनाश और वध किया जाए।”
“वह कौन है, वह कहां है, जो ऐसा करने का साहस करता है?”
राजा क्षयर्ष बहुत ही क्रोधित हुआ जब उसने सुना कि कोई रानी और उसके लोगों को मार डालने की कोशिश में है।
“हमारा विरोधी और शत्रु यह दुष्ट हामान है!”
अन्त में शत्रु हामान को जिसने यहूदियों को मार डालने की कोशिश की थी, उसी खम्भे पर, जो उसने मोर्दकै को फांसी पर चढ़ाने के लिए बनाया था, लटका दिया गया, और यहूदियों के लिए, जो मरने पर थे, जीने का मार्ग खुल गया।
10. यहूदियों के लिए पत्र
फारस की व्यवस्था में, कोई भी उस पत्र को पलट नहीं सकता था जो राजा की अपनी अंगूठी से अंकित किया गया। इसलिए राजा को नई घोषणा का पत्र देना पड़ा।
“इन चिट्ठियों में सब नगरों के यहूदियों को राजा की ओर से अनुमति दी गई, कि वे इकट्ठे हों और अपना अपना प्राण बचाने के लिए तैयार होकर, जिस जाति या प्रान्त के लोग अन्याय करके उनको या उनकी स्त्रियों और बालबच्चों को दु:ख देना चाहें, उनको घात और नष्ट करें, और उनकी धन सम्पत्ति लूट लें। यह एक ही दिन में किया जाए, अर्थात् अदार नामक बारहवें महीने के तेरहवें दिन को।” एस 8:11-12
यहूदियों को आनन्द और हर्ष हुआ और उनकी बड़ी प्रतिष्ठा हुई।
“अत: यहूदियों ने अपने सब शत्रुओं को तलवार से मारकर और घात करके नष्ट कर डाला। उन्होंने हामान के दसों पुत्रों को फांसी के खम्भों पर लटका दिया, परन्तु धन को न लूटा।” एस 9:5-16
11. पूरीम
बारहवें महीने के चौदहवें दिन यहूदियों ने महाभोज का आयोजन किया और आनन्द मनाया। उसके बाद वे बारहवें महीने के चौदहवें और पंद्रहवें दिन को आनन्द ओर जेवनार और खुशी का दिन नियुक्त करके मानते थे और उन दिनों को पूरीम कहते थे, जो इब्रानी शब्द “पूर” से बना है जिसका मतलब है “चिट्ठियां डालना।” पूरीम शारीरिक यहूदियों का एक राष्ट्रीय पर्व है। इसका उस उद्धार के साथ कोई संबंध नहीं है जो परमेश्वर हमें देते हैं। यह कोरियाई लोगों के लिए स्वतंत्रता दिवस के जैसा है।
12. आत्मिक यहूदियों के लिए शिक्षा
हम इन अन्त के दिनों में आत्मिक यहूदी हैं। इसलिए एस्तेर का हमसे गहरा संबंध है।
शत्रु हामान, जिसने राजा के सामने यहूदियों पर झूठा दोष लगाया, शैतान को दर्शाता है जिसने परमेश्वर के सामने हम पर दोष लगाया(प्रक 12:10)। यहूदियों को मार डालने की हामान की साजिश के कारण यहूदी संकट में आए; यह इतिहास दिखाता है कि अन्त के दिनों में आत्मिक यहूदी बड़ा संकट का सामना करेंगे। हालांकि, जैसे संकट में पड़े यहूदी रानी एस्तेर की सहायता के द्वारा अपना जीवन बचा सके, ठीक वैसे ही आत्मिक यहूदी अन्त के दिनों में पवित्र आत्मा और दुल्हिन की सहायता के द्वारा संकट से बचाए जाएंगे और उन्हें जीवन दिया जाएगा। हामान उसी खम्भे पर लटकाया गया जो उसने मोर्दकै को लटकाने के लिए तैयार किया था; यह भी इस बात को दर्शाता है कि शैतान उस फंदे में फंसेगा जो उसने आत्मिक यहूदियों को फंसाने के लिए तैयार किया है। जैसे शारीरिक यहूदी एक हुए और शत्रु के विरुद्ध लड़ाई जीत ली, वैसे ही आत्मिक यहूदी एक होंगे और शत्रु शैतान के विरुद्ध लड़ाई जीतेंगे। अब वह दिन बहुत ही जल्दी आएगा जब आत्मिक यहूदियों को परमेश्वर की शक्ति पर निर्भर करने के मजबूत विश्वास एवं सुंदर एकता की जरूरत होगी।
जितनी बातें पहिले से लिखी गईं, वे हमारी ही शिक्षा के लिये लिखी गईं हैं… रो 15:4
जो कुछ हुआ था, वही फिर होगा, और जो कुछ बन चुका है वही फिर बनाया जाएगा; और सूर्य के नीचे कोई बात नई नहीं है। क्या ऐसी कोई बात है जिसके विषय में लोग कह सकें कि देख यह नई है? यह तो प्राचीन युगों में वर्तमान थी। सभ 1:9-10