1. बाइबल की भाषाएं
“बाइबल” शब्द यूनानी भाषा में “βιβλος(Biblos = किताब)” शब्द से निकला है।
(1) पुराना नियम इब्रानी भाषा में लिखा गया था।
※ पुराने नियम की कुछ पुस्तकें(एज्रा 4:8–6:18; 7:12–26; यिर्म 10:11; दान 2:4–7:28) उस अरामी[कसदी] भाषा में लिखी गई थीं जिसका उपयोग बेबीलोन में होता था। यह कहा जाता है कि बेबीलोन में बंदी बनाए जाने के बाद, यहूदी लोग इब्रानी और अरामी दोनों भाषाओं में बात करते थे।
(2) नया नियम उस यूनानी भाषा में लिखा गया था जिसका उपयोग उस समय दुनिया भर में होता था। यूनानी भाषा पहली शताब्दी में रोमन साम्राज्य की आधिकारिक भाषा बन गई।
※ नया नियम इब्रानी या अरामी में नहीं, लेकिन यूनानी में इसलिए लिखा गया था, क्योंकि सुसमाचार का प्रचार अन्यजातियों को भी किया जाना चाहिए था।(उन दिनों में जब सिकंदर महान ने पूर्वी देशों को जीता, ज्यादातर देश यूनानी भाषा का उपयोग करते थे)

2. बाइबल की विशेषताएं
मूसा के समय से लेकर, जिसने पुराने नियम की पहली पांच पुस्तकें लिखीं, प्रेरित यूहन्ना के समय तक, जिसने नए नियम की आखिरी कई पुस्तकें लिखीं, बाइबल लगभग 1,600 वर्षों की अवधि में लिखी गई थी। यह विभिन्न पृष्ठभूमि के दर्जनों लोगों के द्वारा लिखी गई थी; दाऊद की तरह राजा थे, आमोस की तरह चरवाहे थे, और कई अन्य लोग थे।(आम 1:1) बाइबल की पुस्तकें अलग–अलग ऐतिहासिक परिस्थितियों में और अलग–अलग समय पर लिखी गई थीं। हालांकि, एक बात है जिस पर हमें ध्यान देना चाहिए: वह परमेश्वर हैं जिन्होंने सब नबियों को बाइबल लिखने दिया।
चूंकि बाइबल के लेखक मनुष्य नहीं, पर परमेश्वर हैं, इसलिए बाइबल की सभी पुस्तकें परस्पर विरुद्ध नहीं हैं – उत्पत्ति से लेकर प्रकाशितवाक्य तक बाइबल की 66 पुस्तकों के सभी वचन आपस में सुसंगत हैं। हर वचन के पास सामर्थ्य और अधिकार है, और सभी भविष्यवाणियां पूरी हो गई हैं और पूरी हो रही हैं। इसी के कारण बाइबल पवित्र मानी जाती है और बहुत सारे लोगों के द्वारा पढ़ी जाती है।
- 2तीम 3:16 सम्पूर्ण पवित्रशास्त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है।
- 2पत 1:21 क्योंकि कोई भी भविष्यद्वाणी मनुष्य की इच्छा से कभी नहीं हुई, पर भक्त जन पवित्र आत्मा के द्वारा उभारे जाकर परमेश्वर की ओर से बोलते थे।
3. वैधानिक ग्रंथ और गैर वैधानिक ग्रंथ
(1) वैधानिक ग्रंथ : पुराने नियम की 39 पुस्तकें, और नए नियम की 27 पुस्तकें
※ पुराने नियम की 39 पुस्तकों को आधिकारिक रूप से इब्रानी बाइबल का वैधानिक ग्रंथ माना गया।
(2) गैर वैधानिक ग्रंथ : अनेक बार जांच परख करने के बाद बाइबल के वैधानिक ग्रंथों में शामिल नहीं किए गए।
ये ऐसे ग्रंथ हैं जो मलाकी नबी(400 ई.पू.) के समय के बाद यीशु के जन्म से पहले तक लिखे गए थे।
गैर वैधानिक ग्रंथों का नैतिक स्तर बहुत नीचे है, और उनमें बाइबल का विरोध करने वाले सिद्धांत भी हैं। इस कारण से, उन्हें यहूदियों के पारंपरिक और वैधानिक ग्रंथों के भाग के रूप में कभी स्वीकार नहीं किया गया। चूंकि वे इस प्रकार की घटिया गुणवत्ता के हैं और उनका कोई ऐतिहासिक मूल्य नहीं है, इसलिए उन्हें अपोक्रिफा भी कहा जाता है। जब यीशु ने उपदेश दिया, उन्होंने कभी अपोक्रिफा से हवाला नहीं दिया।
※ रोमन कैथोलिक चर्च ने आधिकारिक तौर पर अपोक्रिफा को स्वीकार कर लिया; चौथी शताब्दी के आसपास बिशपों में से एक संत जेरोम ने बाइबल का अनुवाद लैटिन भाषा में किया और फिर एक परिशिष्ट के रूप में अपोक्रिफा का भी अनुवाद किया, जिससे गैर वैधानिक ग्रंथों के उपयोग के लिए रास्ता बनाया गया। जब धर्म सुधारकों ने अपोक्रिफा को अस्वीकार किया, तो कैथोलिक चर्च ने ट्रेंट की परिषद(1545–1547) गठित की और घोषित किया कि अपोक्रिफा बाइबल का हिस्सा बनेगा।
4. बाइबल की संरचना
बाइबल में 66 पुस्तकें हैं – पुराने नियम की 39 पुस्तकें और नए नियम की 27 पुस्तकें
(1) पुराने नियम की पुस्तकों का क्रम
① पंचग्रंथ(मूसा की 5 पुस्तकें) : उत्पत्ति, निर्गमन, लैव्यव्यवस्था, गिनती, और व्यवस्थाविवरण
② इतिहास की पुस्तकें : यहोशू, न्यायियों, रूत, 1शमूएल, 2शमूएल, 1राजाओं, 2 राजाओं, 1इतिहास, 2इतिहास, एज्रा, नेहम्याह, और एस्तेर
③ कविता की पुस्तकें : अय्यूब, भजन संहिता, नीतिवचन, सभोपदेशक, और श्रेष्ठगीत
④ भविष्यवाणी की पुस्तकें : यशायाह, यिर्मयाह, विलापगीत, यहेजकेल, दानिय्येल, होशे, योएल, आमोस, ओबद्याह, योना, मीका, नहूम, हबक्कूक, सपन्याह, हाग्गै, जकर्याह, और मलाकी
※ जैसे ऊपर दिखाया गया है, बाइबल की पुस्तकें कालानुक्रमिक क्रम में नहीं, लेकिन इतिहास, कविता, भविष्यवाणी आदि विषयों के आधार पर व्यवस्थित हैं।
उदा. 1) यिर्मयाह की पुस्तक, जो बेबीलोन की बंधुवाई से पहले और उसके दौरान लिखी गई थी, भविष्यवाणी की पुस्तक के रूप में वर्गीकृत की गई। लेकिन 2इतिहास की पुस्तक, जो बेबीलोन की बंधुवाई से लौटने के बाद लिखी गई थी, इतिहास की पुस्तक के रूप में वर्गीकृत की गई, और इसलिए उसे यिर्मयाह की पुस्तक के पहले व्यवस्थित किया गया है।
- यिर्म 25:11 भविष्यवाणी की गई कि यहूदी लोग सत्तर वर्ष तक बेबीलोन में बंदी बनाए जाएंगे।
- 2इत 36:21 इसकी पूर्णता का वर्णन किया गया।
उदा. 2) यशायाह की पुस्तक, जो बेबीलोन की बंधुवाई के लगभग 100 साल पहले लिखी गई थी, एक भविष्यवाणी की पुस्तक है और बाइबल की तेईसवीं पुस्तक के स्थान पर व्यवस्थित की गई है। लेकिन एज्रा की पुस्तक, जो बेबीलोन की बंधुवाई से लौटने के बाद लिखी गई थी, इतिहास की पुस्तक के रूप में वर्गीकृत की गई और बाइबल की पन्द्रहवीं पुस्तक के स्थान पर व्यवस्थित की गई।
- यश 45:1 भविष्यवाणी की गई कि यहूदी बेबीलोन की बंधुवाई से कुस्रू के द्वारा छुड़ाए जाएंगे।
- एज्रा 1:1 उसकी पूर्णता का वर्णन किया गया।
(2) नए नियम की पुस्तकों का क्रम
① चारों सुसमाचार(यीशु के कामों के अभिलेख) : मत्ती, मरकुस, लूका, और यूहन्ना
※ यूहन्ना रचित सुसमाचार मत्ती, मरकुस, लूका तीनों सुसमाचार के लगभग बीस और तीस वर्ष बाद लिखा गया है।
② इतिहास की पुस्तक(प्रेरितों के कामों के अभिलेख) : प्रेरितों के काम
③ संदेशपत्र : रोमियों, 1कुरिन्थियों, 2कुरिन्थियों, गलातियों, 1थिस्सलुनीकियों, 2थिस्सलुनीकियों, 1तीमुथियुस, 2तीमुथियुस, तीतुस, इफिसियों, फिलिप्पियों, कुलुस्सियों, और फिलेमोन
※ यात्री पत्र(प्रेरित पौलुस के मिशनरी यात्रा पर लिखे पत्र) : रोमियों, 1कुरिन्थियों, 2कुरिन्थियों, गलातियों, 1थिस्सलुनीकियों, और 2थिस्सलुनीकियों
※ मेषपालीय पत्र(पादरियों के लिए पौलुस के पत्र) : 1तीमुथियुस, 2तीमुथियुस, और तीतुस
※ जेल से पत्र(पौलुस के बन्दीगृह से लिखे पत्र) : इफिसियों, फिलिप्पियों, कुलुस्सियों, और फिलेमोन
④ सामान्य संदेशपत्र(अज्ञात या सामान्य इलाकों में ईसाई समुदाय को संबोधित पत्र) → इब्रानियों, याकूब, 1पतरस, 2पतरस, 1यूहन्ना, 2यूहन्ना, 3यूहन्ना, और यहूदा
⑤ भविष्यवाणी की पुस्तक : प्रकाशितवाक्य
※ पुराने नियम की पुस्तकों के जैसे, नए नियम की पुस्तकें भी कालानुक्रमिक क्रम में नहीं, लेकिन विषयों के अनुसार व्यवस्थित की गई हैं।
उदा.) 2पतरस की पुस्तक को नए नियम की बाईसवीं पुस्तक के स्थान पर व्यवस्थित किया गया है, लेकिन वह यूहन्ना रचित सुसमाचार के पहले लिखी गई थी जो बाइबल के नए नियम में चौथी पुस्तक के स्थान पर व्यवस्थित की गई है।
- 2पत 1:14 पतरस ने लिखा कि उसके शरीर के डेरे के गिराए जाने का समय शीघ्र आनेवाला है।
- यूह 21:19 यह साबित हुआ कि यूहन्ना की पुस्तक पतरस की मृत्यु के बाद लिखी गई।