मैंने अपने परमेश्वर की पूरी रीति से बात मानी
यहो 14:6–15
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लंबे समय का जंगल का जीवन समाप्त करने के बाद, इस्राएलियों ने आखिरकार कनान में प्रवेश किया। परमेश्वर की आज्ञा के अनुसार सभी गोत्रों ने यह तय करने के लिए चिट्ठी डाली कि वे भूमि का कौन–सा हिस्सा ले लेंगे। जब यरदन के पश्चिमी भाग को बांटने का समय आया, तब कालेब यहोशू के पास आया।
कालेब ने कहा, “अब मैं पचासी वर्ष का हो गया हूं। मैं अब भी उतना ही शक्तिशाली हूं जितना शक्तिशाली मैं उस समय था, जब मूसा ने कनान देश का भेद लेने के लिए मुझे भेजा था। इसलिए वह पहाड़ी प्रदेश(हेब्रोन) मुझको दे दो जिसे यहोवा ने बहुत पहले मुझे देने का वचन दिया था। मैं जानता हूं कि वहां शक्तिशाली अनाकी लोग रहते हैं और बड़े बड़े गढ़वाले नगर भी हैं। किन्तु यदि परमेश्वर मेरे साथ हैं, तो मैं जरूर उन्हें उनके प्रदेश से निकाल सकूंगा।”
45 वर्ष पहले, परमेश्वर ने मूसा के द्वारा यह प्रतिज्ञा की कि कालेब हेब्रोन का अधिकारी होगा। कालेब परमेश्वर की उस प्रतिज्ञा को कभी नहीं भूल गया।
तब यहोशू ने कालेब के दृढ़ संकल्प को देखकर उसे आशीष दी और हेब्रोन नगर को उसके अधिकार में दे दिया।
भले ही इस्राएलियों ने कनान देश में प्रवेश किया था, लेकिन वे हेब्रोन जैसे शक्तिशाली नगर पर कब्जा नहीं ले सके थे। हेब्रोन जो कालेब पाना चाहता था, वह केवल युद्ध करने के द्वारा ही लिया जा सकता था। लेकिन फिर भी कालेब बूढ़ा होने के बावजूद जरा भी नहीं हिचकिचाया। उसने दृढ़ता से विश्वास किया कि यदि परमेश्वर उसके साथ हों, तो वह किसी भी नगर पर कब्जा ले सकेगा। भले ही बहुत वर्ष बीत गए और परिस्थिति पहले की तुलना में पूरी तरह बदल गई, लेकिन कालेब का मन नहीं बदला, और उसका यह विश्वास हमेशा एक जैसा रहा कि परमेश्वर की प्रतिज्ञा अवश्य पूरी होगी।
“परन्तु मैंने अपने परमेश्वर यहोवा की पूरी रीति से बात मानी।” यहो 14:8
चाहे समय बीत जाए और परिस्थिति बदले, लेकिन परमेश्वर की प्रतिज्ञा कभी नहीं बदलती। यदि कुछ बदलता है, तो वह हमारा मन है जो उस प्रतिज्ञा को थामे रखता है। आइए हम परमेश्वर की बात पूरी तरह मानें, उस कालेब की तरह जिसने बिना डगमगाए और बिना हिचके आगे बढ़कर उस भाग को प्राप्त किया जिसकी प्रतिज्ञा की गई थी।