आज चर्च यीशु मसीह पर विश्वास करते हैं। लेकिन 2,000 वर्ष पहले जब यीशु आए, तब क्यों लोगों ने यीशु पर विश्वास नहीं किया और उन्हें क्रूस पर चढ़ा दिया?

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इसके अनेक कारण थे; 2,000 वर्ष पहले यहूदियों के यीशु को अस्वीकार करने के प्रमुख कारणों में सबसे बड़ा कारण यह था कि उन्होंने बाइबल की भविष्यवाणियों पर विश्वास नहीं किया(यूह 5:46–47)। यीशु ने कहा कि वह जो उनके मसीह होने की गवाही देता है, बाइबल है। और जिस दिन उनका पुनरुत्थान हुआ, उस दिन भी उन्होंने अपने चेलों को, जिन्हें यकीन नहीं था कि वह मसीह हैं, बाइबल के द्वारा अपने बारे में गवाही देकर उनके हृदयों में दृढ़ विश्वास प्रदान किया(यूह 5:39; लूक 24:25–27, 32)। इसी कारण प्रेरितों ने भी बाइबल के द्वारा गवाही दी कि यीशु मसीह हैं(प्रे 17:2)।

यहूदी लोग बाइबल की भविष्यवाणियों को न तो जानते थे और न ही उन पर विश्वास करते थे। चूंकि वे सिर्फ ऐसे परमेश्वर को जानते थे जिनकी उन्होंने अपने पूर्वाग्रह के साथ कल्पना की थी, इसलिए वे परमेश्वर को नहीं पहचानते थे और सताते थे जो मृत्यु के भय के मारे जीवन भर दासत्व में फंसे रहे पापियों को बचाने के लिए स्वयं शरीर में आए थे(यूह 15:18–21)। बाहरी रूप से उन्होंने बाइबल एवं परमेश्वर को जानने का और उन पर विश्वास करने का दावा किया, लेकिन आखिर वे बाइबल की भविष्यवाणियों को महसूस नहीं कर पाए। इसलिए उन्होंने यीशु को क्रूस पर चढ़ाया और अपने ऊपर विनाश लाए।

यहूदियों के यीशु को नकारने का दूसरा कारण यह था कि उन्होंने बाइबल की भविष्यवाणियों को नहीं, लेकिन सिर्फ यीशु के शारीरिक पहलुओं को देखा। यीशु ने कहा कि बाइबल उनकी गवाही देती है, लेकिन यह तो नहीं कहा कि वह उनके शारीरिक पहलुओं की गवाही देती है। फिर भी 2,000 वर्ष पहले, यहूदियों ने यीशु के शारीरिक परिवार, जीवन, परिस्थिति इत्यादि की आलोचना करते हुए यीशु का इनकार किया।

शरीर में आने वाले परमेश्वर के बारे में भविष्यवाणी

परमेश्वर ने बाइबल की भविष्यवाणी के द्वारा हमें यह जानने दिया है कि यदि हम मसीह के शारीरिक पहलुओं को देखेंगे, तो हम उन्हें कभी ग्रहण नहीं कर सकेंगे और ठोकर खाकर गिर जाएंगे। यीशु के पृथ्वी पर आने से 700 वर्ष पहले यशायाह नबी ने स्पष्ट रूप से भविष्यवाणी की थी कि जब मसीह आएंगे तो वह एक ऐसी जड़ के समान होंगे जो अच्छी तरह से उग नहीं पाती, और उनका रूप हमें ऐसा दिखाई नहीं देगा कि हम उन्हें चाहेंगे।

क्योंकि वह उसके सामने अंकुर के समान, और ऐसी जड़ के समान उगा जो निर्जल भूमि में फूट निकले; उसकी न तो कुछ सुन्दरता थी कि हम उसको देखते, और न उसका रूप ही हमें ऐसा दिखाई पड़ा कि हम उसको चाहते। यश 53:2

इस भविष्यवाणी के बावजूद, यहूदियों ने मसीह को शारीरिक पहलुओं के द्वारा पहचानने की कोशिश की। इसलिए वे असहाय होकर गिर पड़े।

सेनाओं के यहोवा ही को पवित्र जानना; उसी का डर मानना, और उसी का भय रखना। और वह शरणस्थान होगा, परन्तु इस्राएल के दोनों घरानों के लिये ठोकर का पत्थर और ठेस की चट्टान, और यरूशलेम के निवासियों के लिये फन्दा और जाल होगा। और बहुत से लोग ठोकर खाएंगे, वे गिरेंगे और चकनाचूर होंगे; वे फन्दे में फंसेंगे और पकड़े जाएंगे। यश 8:13–15

परमेश्वर लोगों के लिए ठोकर का पत्थर और ठेस की चट्टान, और फन्दा और जाल बनते हैं, और लोग परमेश्वर के कारण ठोकर खाते हैं, गिरते हैं और चकनाचूर होते हैं। इसका कारण यह है कि परमेश्वर हमारे समान शरीर में इस पृथ्वी पर आते हैं(यश 9:6)। उन लोगों के लिए जो बाइबल की भविष्यवाणी को नहीं, बल्कि सिर्फ शारीरिक पहलुओं को देखते हैं, मसीह भले ही नींव और बहुमूल्य जीवता पत्थर हैं जो उद्धार के लिए अति आवश्यक है, लेकिन ठोकर का पत्थर और ठेस की चट्टान बनते हैं।

उसके पास आकर, जिसे मनुष्यों ने तो निकम्मा ठहराया परन्तु परमेश्वर के निकट चुना हुआ और बहुमूल्य जीवता पत्थर है, तुम भी आप जीवते पत्थरों के समान आत्मिक घर बनते जाते हो, जिससे याजकों का पवित्र समाज बनकर, ऐसे आत्मिक बलिदान चढ़ाओ जो यीशु मसीह के द्वारा परमेश्वर को ग्राह्य हैं। इस कारण पवित्र शास्त्र में भी आया है: “देखो, मैं सिय्योन में कोने के सिरे का चुना हुआ और बहुमूल्य पत्थर धरता हूं: और जो कोई उस पर विश्वास करेगा, वह किसी रीति से लज्जित नहीं होगा।” अत: तुम्हारे लिये जो विश्वास करते हो वह तो बहुमूल्य है, पर जो विश्वास नहीं करते उनके लिये “जिस पत्थर को राजमिस्रियों ने निकम्मा ठहराया था, वही कोने का सिरा हो गया,” और “ठेस लगने का पत्थर और ठोकर खाने की चट्टान हो गया है,” क्योंकि वे तो वचन को न मानकर ठोकर खाते हैं और इसी के लिये वे ठहराए भी गए थे। 1पत 2:4–8

यीशु का जीवन और उनकी परिस्थिति

2,000 वर्ष पहले यीशु का जीवन और उनकी परिस्थिति उन दिनों के लोगों के लिए सचमुच अच्छी नहीं दिखाई देती थी। उन दिनों में, बिना हाथ धोए भोजन करना वैसा ही था, जैसे आज लोग चम्मच या कांटे के बिना गंदे हाथों से भोजन खाते हों। लेकिन यीशु ने ऐसा किया।

जब वह बातें कर रहा था तो किसी फरीसी ने उससे विनती की कि मेरे यहां भोजन कर। वह भीतर जाकर भोजन करने बैठा। फरीसी को यह देखकर अचम्भा हुआ कि उसने भोजन करने से पहले स्नान नहीं किया। लूक 11:37–38

इसके अलावा, लोग जो यीशु के साथ चलते फिरते थे, वे चुंगी लेनेवाले, वेश्याएं इत्यादि थे। उस समय, यहूदी समाज में चुंगी लेनेवालों को तुच्छ माना जाता था। चूंकि वे रोमन साम्राज्य के लिए चुंगी वसूल करते थे, इसलिए उन्हें रोमन साम्राज्य का जासूस माना जाता था। लेकिन चुंगी लेनेवालों और वेश्याओं के जैसे पापियों ने जिन्हें यहूदी तुच्छ मानते थे, यीशु का पालन किया। इतना ही नहीं, यीशु ने यह सिखाया कि ऐसे पापी लोग उन दिनों के कपटी धार्मिक नेताओं से पहले परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करेंगे।

सब चुंगी लेनेवाले और पापी उसके पास आया करते थे ताकि उसकी सुनें। पर फरीसी और शास्त्री कुड़कुड़ाकर कहने लगे, “यह तो पापियों से मिलता है और उनके साथ खाता भी है।” लूक 15:1–2

… यीशु ने उनसे कहा, “मैं तुम से सच कहता हूं कि महसूल लेनेवाले और वेश्याएं तुम से पहले परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करते हैं।” मत 21:31

कुछ लोगों ने यीशु मसीह के शारीरिक परिवार के सदस्यों को बहस का विषय बनाकर यीशु का इनकार किया।

क्या यह बढ़ई का बेटा नहीं? और क्या इसकी माता का नाम मरियम और इसके भाइयों के नाम याकूब, यूसुफ, शमौन और यहूदा नहीं? और क्या इसकी सब बहिनें हमारे बीच में नहीं रहतीं? फिर इसको यह सब कहां से मिला? इस प्रकार उन्होंने उसके कारण ठोकर खाई… मत 13:55–57

और उन्होंने कहा, “क्या यह यूसुफ का पुत्र यीशु नहीं, जिसके माता–पिता को हम जानते हैं? तो वह कैसे कहता है कि मैं स्वर्ग से उतरा हूं?” यूह 6:42

कुछ दूसरे लोगों ने यीशु के निवास–स्थान के क्षेत्र को लेकर सवाल उठाया। यीशु के दिनों में(रोमन युग में), इस्राएल तीन भागों में विभाजित था: यहूदा, सामरिया और गलील। उनमें से गलील उत्तर दिशा की ओर स्थित था और हमेशा दूसरे देशों के आक्रमण से पीड़ित रहता था। और चूंकि गलील का क्षेत्र अन्यजातियों के लोगों से घिरा रहता था, इसलिए वहां दूसरे क्षेत्रों की तुलना में बाहरी अन्यजातियों का रंग अधिक गहरा होता था। इसके अतिरिक्त, करीब 734 ईसा पूर्व में जब से अश्शूर ने उत्तर इस्राएल के क्षेत्र में स्थित गलील पर कब्जा कर लिया और लोगों को बन्दी बनाया, तब से गलील लंबे समय तक अन्यजातियों के शासन के अंतर्गत आता रहता था। इसलिए वहां इस्राएलियों से अधिक अन्यजातियों के लोग रहते थे(2रा 15:29)। इसलिए यहूदा में यहूदी लोग गलील और सामरिया को तुच्छ मानते थे। ऐसे पूर्वाग्रह और भेदभाव के कारण, फरीसियों ने बाइबल की भविष्यवाणी के विरुद्ध दावा किया कि कोई भविष्यद्वक्ता कभी गलील से नहीं आएगा, और यीशु का तिरस्कार किया(यश 9:1–2)।

उन्होंने उसे उत्तर दिया, “क्या तू भी गलील का है? ढूंढ़ और देख कि गलील से कोई भविष्यद्वक्ता प्रगट नहीं होने का।” यूह 7:52

उनका अन्त जिन्होंने मसीह का इनकार किया

यहूदियों ने बाइबल की भविष्यवाणी और यीशु के स्वर्ग के राज्य के सुसमाचार पर कोई ध्यान नहीं दिया और मसीह के शारीरिक पहलुओं को देखकर उनका इनकार किया। इसलिए 70 ई। में रोमन सैनिकों के आक्रमण से वे पूरी तरह से नष्ट हो गए, जिस प्रकार वे अपने पाप की कीमत चुकाने के लिए जोर से चिल्लाए थे, “इसका लहू हम पर और हमारी संतान पर हो(मत 27:25; लूक 21:20–23)!” द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, नाजियों के द्वारा करीब 60 लाख यहूदी लोग बुरी तरह मारे गए।

इसे दोहराने की मूर्खता न करने के लिए, हमें बाइबल की भविष्यवाणियों को देखकर मसीह को महसूस करना चाहिए। जो मसीह की गवाही देती है, वह बाइबल की भविष्यवाणी है। वह मसीह के शारीरिक पहलू नहीं हैं, जैसे कि उनका जीवन, परिस्थिति, परिवेश, शारीरिक परिवार, निवास की जगह इत्यादि। इसलिए यीशु ने कहा, “धन्य है वह मनुष्य, जो मेरे कारण ठोकर न खाए,” और प्रेरितों ने जिन्होंने सब जातियों में यीशु के बारे में गवाही दी जो शरीर में आए परमेश्वर थे, यह घोषणा की कि वे मसीह को शरीर के अनुसार नहीं जानेंगे।

और धन्य है वह, जो मेरे कारण ठोकर न खाए। मत 11:6

अत: अब से हम किसी को शरीर के अनुसार न समझेंगे, यद्यपि हम ने मसीह को भी शरीर के अनुसार जाना था, तौभी अब से उस को ऐसा नहीं जानेंगे। 2कुर 5:16

बाइबल मसीह की गवाही देती है

शैतान ने 2,000 वर्ष पहले मसीह के शारीरिक पहलुओं के द्वारा यहूदियों की बुद्धि को अंधी कर दी, ताकि मसीह के तेजोमय सुसमाचार का प्रकाश उन पर न चमक सके। वह आज भी एक जैसा काम कर रहा है।

और उन अविश्वासियों के लिये, जिन की बुद्धि को इस संसार के ईश्वर ने अन्धी कर दी है, ताकि मसीह जो परमेश्वर का प्रतिरूप है, उसके तेजोमय सुसमाचार का प्रकाश उन पर न चमके। 2कुर 4:4

इस स्थिति में भी मसीह को सही तरह से ग्रहण करने के लिए, हमें प्रेरितों की तरह बाइबल की भविष्यवाणियों को देखने के बाद मसीह को महसूस करने के लिए बुद्धि रखनी चाहिए(प्रे 17:2; 8:30–35)। यदि आप यहूदियों की तरह बाइबल की भविष्यवाणियों को अनदेखा करें और शारीरिक पहलुओं को देखें, तो यह परमेश्वर के कारण ठोकर खाने, गिर जाने, चकनाचूर होने और फन्दे में फंसने का एक बहुत मूर्ख फैसला करने जैसा होगा और साथ ही उद्धार को त्यागकर विनाश के मार्ग को चुनने जैसा होगा।

इस युग में बाइबल की भविष्यवाणियों के अनुसार, परमेश्वर जीवन के सत्य को, जो शैतान के द्वारा छीन लिया गया था, पुन:स्थापित करने के लिए फिर से पृथ्वी पर शरीर में आए हैं(दान 7:22; लूक 18:8; इब्र 9:28)। 2,000 वर्ष पहले, परमेश्वर को हर तरह से अपमानित किया गया था और ठट्ठों में उड़ाया गया था, और वह क्रूस पर अत्यधिक यातनाओं से गुजरे थे, जो शब्दों में व्यक्त नहीं की जा सकतीं। शायद उनके लिए फिर से पृथ्वी पर आना सजा की तरह था, लेकिन वह सिर्फ अपनी उन संतानों को बचाने के एकमात्र उद्देश्य से, जिन्हें नरक की आग की झील में दर्द से तड़पना था, फिर से शरीर में आए हैं।

उन परमेश्वर को हमें शारीरिक पहलुओं के द्वारा नहीं, लेकिन केवल बाइबल की भविष्यवाणियों के द्वारा पहचानना चाहिए। यदि आप बाइबल की 66 पुस्तकों की भविष्यवाणियों का अध्ययन करें, तो आप इसे लेकर आश्वस्त होंगे कि पिता और माता जो नई वाचा के सत्य को पुन:स्थापित करके मानव जाति को उद्धार दे रहे हैं, परमेश्वर ही हैं जिनकी बाइबल गवाही देती है। यदि हम प्रेरितों की तरह बाइबल की भविष्यवाणियों पर ध्यान दें, तो परमेश्वर अवश्य ही अपनी ज्योति को हमारे हृदयों में चमकाएंगे, ताकि हम मसीह की महिमा को पहचान सकें।

तुम पवित्रशास्त्र में ढूंढ़ते हो, क्योंकि समझते हो कि उसमें अनन्त जीवन तुम्हें मिलता है, और यह वही है, जो मेरी गवाही देता है। यूह 5:39

इसलिये कि परमेश्वर ही है, जिसने कहा, “अन्धकार में से ज्योति चमके,” और वही हमारे हृदयों में चमका कि परमेश्वर की महिमा की पहिचान की ज्योति यीशु मसीह के चेहरे से प्रकाशमान हो। 2कुर 4:6