अब उड़ने का समय है

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यह अच्छी तरह से जाना जाता है कि पक्षी अंडे देने के समय से लेकर उनके बच्चे के अंडों से निकलने तक अंडों के प्रति खुद को बहुत अधिक समर्पित करते हैं। ऐसा कहा जाता है कि पक्षी अपने शरीर को नीचे जमीन पर नहीं रखते। लेकिन वे अंडों को सेने के लिए अपने शरीर को जमीन पर चिपकाकर बैठते हैं और सभी अंडों को बराबरी से सेने के लिए अपना पूरा ध्यान लगाते हैं।

एक बार जब बच्चे अंडों से निकलते हैं, तब माता–पिता पक्षी भोजन खोजने में व्यस्त हो जाते हैं। भले ही वे हर दिन अनगिनत बार भोजन लाते हैं, लेकिन वे अपने मुंह में कभी–कभार ही भोजन लाते हैं।

इस तरह माता–पिता पक्षी अपने बच्चों के प्रति समर्पित होते हैं। लेकिन जब उनके बच्चों के लिए अपना घोंसला छोड़ने का समय आता है, तब वे कठोर व्यवहार करते हैं। वे पहले की तरह बच्चों को नहीं खिलाते। जब भी बच्चे मां गते हैं, यदि माता–पिता पक्षी उन्हें भोजन दें, तो बच्चों का वजन बढ़ जाएगा और इसी वजह से उन्हें उड़ने में मुश्किल होगी। बच्चे शायद इसके लिए दुखी हो सकते हैं, लेकिन माता–पिता के लिए यही एक सर्वोत्तम तरीका है जिससे उनके बच्चे उड़ सकते हैं।

हमारे प्रति परमेश्वर के समर्पण की तुलना पक्षियों के समर्पण से नहीं की जा सकती। स्वर्ग के परमेश्वर हमें बचाने के लिए इस पृथ्वी पर आए जहां पापी रहते हैं, और वे हर प्रकार के बलिदान और समर्पण से हमारा पालन–पोषण करते हैं।

कभी–कभी कठिन जिंदगी के कारण हमें ऐसा लग सकता है कि परमेश्वर हमसे प्रेम नहीं करते। लेकिन हमें यह याद रखना चाहिए कि परमेश्वर के उद्धार के कार्य में कोई चूक नहीं होती। परमेश्वर के प्रेम में कोई कमी नहीं रहती। अब वह समय आ गया है जब हमें घोंसले से बाहर निकलकर अपने आत्मिक पंखों को फड़फड़ाना चाहिए।