
मेरे परिवार के सदस्यों के बीच बहुत घनिष्ठ और आत्मीय संबंध होता है। मेरे माता–पिता मेरे साथ हमेशा एक दोस्त की तरह पेश आते हैं, और जब हम एक साथ होते हैं, तो हमेशा हंसी–खुशी का माहौल बना रहता है। मेरी सहेलियां जिनके पास बड़े भाई हैं, कहती हैं कि वे अक्सर एक दूसरे से झगड़ते और बहस करते हैं, लेकिन मेरा अपने बड़े भाई के साथ बहुत ही अच्छा रिश्ता है।
शायद इसलिए अपने उच्च विद्यालय के दिनों में जब मैंने अपनी एक सहेली के द्वारा सत्य प्राप्त किया, तब सबसे पहले मेरे मन में अपने परिवार का ख्याल आया। उस समय मुझे एक ग्रामीण क्षेत्र से शहर में स्थानांतरित हुए थोड़ा ही समय बीता था, इसलिए मुझे इस बात की चिंता थी कि मुझे शायद कुछ बुरे मित्र मिल सकते हैं। लेकिन सिय्योन के सदस्य इतने दयालु थे कि उन्होंने मुझे यह बात सोचने पर मजबूर किया कि, ‘संसार में क्या इन सदस्यों की तरह लोग अभी भी हो सकते हैं?’ बाइबल के वचन बहुत ही स्पष्ट थे। ‘इस दुनिया में मेरा जन्म क्यों हुआ और मृत्यु के बाद क्या होनेवाला है?’ इस तरह के भय से युक्त सभी सवालों का साफ जवाब मुझे दिया गया।
मैं अपने प्यारे परिवार को अच्छे वचन और प्रेम से भरे सिय्योन के बारे में बताना चाहती थी। लेकिन मेरे परिवार की प्रतिक्रिया उदासीन और कठोर थी। इससे पहले कि मेरी बात खत्म हो, मेरे माता–पिता ने यह कहते हुए मेरे विश्वास का विरोध किया, “यह कैसे संभव हो सकता है कि एक परिवार जो बौद्ध धर्म में विश्वास रखता है, चर्च को स्वीकार करे?” पहले मेरा भाई मेरे पक्ष में था, लेकिन बाद में हमारे चर्च के बारे में कुछ झूठी निंदात्मक बातें सुनने के बाद, उसने अपना मन बदला और कहा, “तुम किसी भी चर्च में जा सकती हो, लेकिन चर्च ऑफ गॉड में मत जाओ।” वे सभी अपनी बातों पर इतने अटल रहते थे कि मैं आगे कुछ नहीं कह सकी।
कुछ वर्ष बीत गए। मैंने स्कूल से ग्रेजुएशन पूरा कर लिया। मैंने अपनी उन सहेलियों को जिनसे मैं अक्सर मिलती थी, और सहकर्मियों को सुसमाचार का प्रचार किया। सिय्योन के भाई–बहनों के साथ सुसमाचार के कार्य के लिए कठिन परिश्रम करते हुए, मुझमें अपने परिवार का सत्य की ओर नेतृत्व करने की तीव्र इच्छा पैदा होने लगी। जब भी मैं देखती थी कि सिय्योन के सदस्य अपने परिवारजनों जैसे कि मां–बाप या भाई–बहन के साथ वचनों का अध्ययन करते हैं, एक साथ मजेदार बातें करते हैं या आराधना के बाद एक साथ मिलकर घर वापस जाते हैं, तब मेरी इच्छा और भी अधिक बढ़ जाती थी।
मैंने फिर हिम्मत बांधी और अपने परिवार को वचन का प्रचार करने की कोशिश की, लेकिन एक दरवाजे की कुंडी की तरह उनके हृदय कसकर बंद थे। मेरे माता–पिता लगातार मेरे विश्वास के खिलाफ थे, और मेरे बड़े भाई ने भी नकारात्मक दृष्टिकोण बनाए रखी।
मुझे अपने माता–पिता के कारण और खासकर अपने भाई के कारण दुख महसूस हुआ, क्योंकि जब से वह सेना में शामिल हो गया, तभी से उसके साथ रहने का अवसर पहले की तुलना में काफी कम हो गया। केवल एक चीज जो मैं कर सकती थी, वह प्रार्थना थी। क्योंकि उसे घर से दूर रहकर कठिन सैन्य जीवन जीना था, मैंने प्रार्थना की कि वह सेना में परमेश्वर के प्रेम को समझ जाए और वहां सांत्वना महसूस करे।
लेकिन वह एक अनिश्चित प्रार्थना थी। मुझे यह संभव नहीं लग रहा था कि वह किसी और की बात सुनेगा, जबकि उसने अपनी खुद की बहन की बात भी नहीं सुनी। और चूंकि वह सैन्य अड्डे पर था जो एक सीमित जगह थी, इसलिए सत्य सुनना उसके लिए असंभव लग रहा था। लेकिन मैंने प्रार्थना करना जारी रखा, क्योंकि यदि परमेश्वर नेतृत्व करें तो कुछ भी असंभव नहीं होता है।
काफी लंबा समय गुजर गया और इस दौरान मेरा भाई कई बार छुट्टी लेकर घर आया था। एक दिन उसने मुझे फोन किया और मुझे बताया कि वह फिर से छुट्टी पर घर आने वाला है। चूंकि “माता” लेखन और तस्वीर प्रदर्शनी पास ही के सिय्योन में आयोजित की गई थी, मैंने उसे प्रदर्शनी में आमंत्रित किया। भले ही मुझे नहीं लगा कि उसका चर्च में आने का मन नहीं कर रहा है, लेकिन उसने कहा कि वह नहीं आ सकता क्योंकि छुट्टी के दौरान उसके बहुत सारे अपॉइंटमेंट हैं। लेकिन जब वह छुट्टी पर घर आया, हालात बदल गया। उसके कुछ अपॉइंटमेंट रद्द हो गए थे, और इसलिए प्रदर्शनी में आने के लिए उसके पास समय था।
एक अच्छी भावना के साथ उसके साथ सिय्योन जाने के क्षण से लेकर प्रदर्शनी देखने तक, ऐसा लगा जैसे कि मैं सपना देख रही हूं। मैं विश्वास नहीं कर सकी कि मेरा भाई सिय्योन में है जिसे वह वास्तव में पसंद नहीं करता था, और वह मेरी बगल में खड़ा होकर लेखन और तस्वीरों को देख रहा है जिनमें परमेश्वर का प्रेम शामिल है।
जब मेरा भाई हर एक लेखन और तस्वीर को देख रहा था, वह एक मां की विशिष्ट कहानी से प्रेरित हो गया जिसने अपने बच्चे को दसियों मधुमक्खियों के डंक से बचाने के लिए तुरन्त उसे अपनी बांहों में समेट लिया था, क्योंकि उसे भी बचपन में इस तरह का अनुभव हुआ था। मेरा भाई भावावेश में हो गया और उसने अपनी भावनाओं को छिपाने की कोशिश की, लेकिन आखिरकार उसके आंसू निकल आए।
प्रदर्शनी देखने के बाद, उसने अपना विचार व्यक्त किया, “चलो मां और पिताजी के साथ फिर से आते हैं।” यह सुनकर मेरी आंखें आश्चर्य से चौड़ी हो गईं। मुझे नहीं पता था कि वह इतना प्रेरित हो जाएगा। सिर्फ यही आश्चर्य की बात नहीं थी। जैसे ही हम एक पुस्तक कैफे में जाकर बैठे, एक लीडर–सदस्य ने मेरे भाई को बाइबल के वचन दिखाए और उसे फसह का पर्व मनाने और स्वर्ग की आशीष प्राप्त करने के लिए कहा। तब उसने कहा,
“मैंने फसह का पर्व मनाया है!”
मुझे लगा कि मैंने कुछ गलत सुना। जब हम हक्के–बक्के हो गए थे, तब मेरे भाई ने हमें कुछ बातें बताईं जो पहले उसके साथ घटी थीं।
ये बातें उस समय घटी थीं जब उसने अपने रंगरूट प्रशिक्षण को समाप्त कर लिया था। उसे ग्वांगजू के एक सैन्य अड्डे पर तैनात किया गया और वहां पलटन का नेता और कुछ सैनिक चर्च ऑफ गॉड के सदस्य थे। वे दयालु और ईमानदार थे। उन लोगों के साथ रहने के दौरान वह हमारे चर्च के प्रति नकारात्मक धारणा से छुटकारा पा सका। इस बीच, उसके पास अपना हृदय पूरी तरह से खोलने और सत्य को ग्रहण करने के लिए एक अवसर आया। वह ग्वांगजू यूनिवसियाद खेल प्रतियोगिता थी।
चूंकि वह ग्वांगजू में आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम था, मेरे भाई को उसका समर्थन करने के लिए वहां भेजा गया था। वहां, उसने चर्च ऑफ गॉड के समर्थकों को देखा जो बड़े जोश के साथ हर एक खेल में एथलीटों को प्रोत्साहित कर रहे थे। वह चर्च के सदस्यों को देखकर बहुत प्रेरित और भावुक हुआ जो थके रहने पर भी एक स्वर में दूर देशों से आए एथलीटों का समर्थन कर रहे थे। इससे वह पूरी तरह से हमारे चर्च के प्रति बुरे विचारों से छुटकारा पा सका। वह उन सैनिकों के साथ जो हमारे चर्च के सदस्य हैं, आसपास के सिय्योन में गया और परमेश्वर की सन्तान बन गया।
उसने कहा कि उस समय के बाद वह हर महीने सिय्योन में आराधना और वचन का अध्ययन कर रहा है। यह सुनकर मैं खुशी से फूली नहीं समा रही थी और बहुत शुक्रगुजार थी। जब कभी मैं ऐसी अनुग्रहपूर्ण कहानी सुनती थी कि सेना में किसी ने सत्य को ग्रहण किया है, तो मैं कितना चाहती थी कि मेरा भाई भी सत्य ग्रहण करे, इसे मैं शब्दों में बयान नहीं कर सकती। मेरे भाई को बचाने के लिए, परमेश्वर ने उन नबियों को तैयार किया जो परमेश्वर का प्रेम मेरे भाई के पास पहुंचा देंगे, और उसे भाई–बहनों की सुन्दर एकता देखने की अनुमति दी ताकि उसका कठोर हृदय पिघल जाए। परमेश्वर सच में अपने आपमें प्रेम हैं।
यह देखकर कि कैसे मेरे भाई का सत्य की ओर नेतृत्व किया गया है, मुझे एहसास हुआ कि एक आत्मा बचाने के लिए प्रेम कितना महत्वपूर्ण है। दरअसल, जब मैं अपने भाई के साथ प्रदर्शनी देखने जा रही थी, मुझे अपने भाई के लिए बहुत खेद महसूस हुआ। पहले मुझे लगा था कि किसी और के मुकाबले मैं उसके ज्यादा करीब हूं और उसके दिल की सब बातें जानती हूं, लेकिन मैं पहली बार ही उसके साथ कहीं दूसरी जगह जा रही थी, और मैं सच में नहीं जानती थी कि उसे क्या पसंद है। भले ही मैं मानती थी कि मैं उससे प्रेम करती हूं, पर उसकी छोटी चीजों पर भी मैंने थोड़ा–सा भी ध्यान नहीं दिया। मुझे अपने आप पर शर्म महसूस हुई। जिनसे मैं प्रेम करती हूं, उन लोगों की देखभाल करना स्वाभाविक बात है, लेकिन कोई प्रयास किए बिना मैं बस इतना चाहती थी कि उसे यह पता चले कि मेरे मन में क्या है।
मैं परमेश्वर को धन्यवाद देती हूं जिन्होंने मेरी कमियों पर दोष लगाने के बजाय मेरे भाई के उद्धार के लिए योजना बनाई और उसके लिए कार्य किया। मैं अपने भाई के सैन्य अड्डे पर तैनात सिय्योन के भाइयों को भी अपना आभार व्यक्त करना चाहती हूं। मैं इस बात को नहीं भूलूंगी कि इन सभी आशीषों की शुरुआत उन भाइयों के सच्चे हृदय और प्रयास से हुई जिन्होंने अपने कठिन सैन्य जीवन में भी एक आत्मा बचाने के लिए मेहनत की।
मैं भी परमेश्वर और सदस्यों के दिखाए हुए प्रेम का अभ्यास करने के लिए और अधिक प्रयास करूंगी। भले ही लोग अभी सत्य को अस्वीकार करते हैं और इससे मुंह मोड़ते हैं, लेकिन मैं हार नहीं मानूंगी और उनकी आत्माओं की देखभाल करते हुए उन्हें उचित वचन का प्रचार करना जारी रखूंगी। तब उनके हृदयों के मजबूती से बन्द हुए दरवाजे खुल जाएंगे और उनके कठोर हृदय पिघल जाएंगे। कभी–कभी प्रचार करना मुझे बोझ जैसा लगता है और मैं हिम्मत खो देती हूं, लेकिन मैं सुसमाचार के पथ पर चलना कभी भी बंद नहीं करूंगी, क्योंकि वह व्यक्ति जिसे मैं प्रचार करने में संकोच करूंगी, वह शायद किसी का बेटा या बेटी या भाई या बहन हो सकता है जिसे वे वास्तव में बचाना चाहते हों। वह ऐसी संतान हो सकती है जिसे स्वर्गीय पिता और माता हजारों सालों से बड़ी बेसब्री से खोज रहे हों।