हमारे प्रार्थना करने का कारण क्या है? कुछ लोग बिना उद्देश्य के अनिश्चित प्रार्थना करते हैं। लेकिन, यदि हम प्रार्थना करने के कारण और उद्देश्य को जानते हैं, तो हम और अधिक सच्चे दिल से प्रार्थना कर सकते हैं।
आइए हम देखें कि हमें क्यों प्रार्थना करनी चाहिए।

1) परमेश्वर का धन्यवाद करने के लिए
हमारे प्रतिदिन के जीवन में, हम बहुत बार परमेश्वर के अनुग्रह और प्रेम का अनुभव करते हैं और उनका एहसास करते हैं। हम उन बहुत सी आशीषों के लिए जो परमेश्वर हम पर बरसाते हैं, धन्यवाद करने के लिए प्रार्थना करते हैं। हम धन्यवाद की प्रार्थना इस प्रकार करते हैं; हम भोजन के समय परमेश्वर से दिन भर की रोटी के लिए धन्यवाद की प्रार्थना करते हैं, और हम इसके लिए धन्यवाद की प्रार्थना करते हैं कि हमारी कठिन समस्याएं परमेश्वर की सहायता के द्वारा हल हो गई हैं, और हम इस बात के लिए धन्यवाद की प्रार्थना करते हैं कि चाहे हमें कितनी भी मुश्किलों का सामना क्यों न करना पड़े, परमेश्वर हमारे लिए आशा बनेंगे। इस तरह, जब कभी हम विभिन्न परिस्थितियों में परमेश्वर के प्रेम का एहसास करते हैं, हमें परमेश्वर का धन्यवाद करना चाहिए। यदि हमें परमेश्वर को उनके अनुग्रह के लिए धन्यवाद देने की आदत होती है, तब परमेश्वर हमें ऐसी बहुत सी बातें देंगे जिनके लिए हम धन्यवाद करेंगे।
2) परमेश्वर से सहायता पाने के लिए
हम अपने जीवन में बहुत सी मुश्किलों का सामना करते हैं। लेकिन हमारी क्षमता सीमित है, तो हम परमेश्वर की सहायता की जरूरत है। इसलिए हमें परमेश्वर से प्रार्थना करनी चाहिए जो हमारी कमजोरी के बारे में जानते हैं और हमारी सहायता करते हैं(यश 41:10)।
3) परमेश्वर के वचनों का पालन करने के लिए(जो हम चाहते हैं उसे पाने के लिए)
यीशु ने हम से इस प्रकार वादा किया है कि वह निश्चय ही हमारी प्रार्थनाओं का जवाब देंगे;
मांगो तो तुम्हें दिया जाएगा, ढूंढ़ो तो तुम पाओगे, खटखटाओ तो तुम्हारे लिए खोला जाएगा। मत 7:7–8
विश्वास के मार्ग में ऐसी बहुत सी बातें हैं जो हमें मांगनी चाहिए, ढूंढ़नी चाहिए और खटखटानी चाहिए। जैसा कि यीशु ने कहा है, जब हम मांगते, ढूंढ़ते और खटखटाते हैं, तब परमेश्वर हमारी अभिलाषाओं को पूरा करेंगे।
4) परीक्षा पर विजयी होने के लिए
यीशु ने 40 दिनों तक उपवास और प्रार्थना करने के बाद, शैतान की परीक्षा पर विजय प्राप्त की(मत 4:1–11)। उन्होंने कहा, “तुम हर समय सावधान होकर प्रार्थना में लगे रहो कि तुम परीक्षा में न पड़ो।”(लूक 21:34–36) जब दानिय्येल बेबीलोन में बंदी बनाया गया था, वह दिन में तीन बार यरूशलेम की ओर प्रार्थना करता था। वह हर दिन ईमानदारी से परमेश्वर से प्रार्थना करने के द्वारा, सिंहों की मान्द से भी बचाया गया(दान 6:19–25)। अय्यूब ने परमेश्वर से प्रार्थना करने के द्वारा, शैतान की परीक्षा पर विजय प्राप्त की(अय 42:10)। और जब योना ने परमेश्वर की आज्ञा मानने का निर्णय करके, परमेश्वर से पश्चात्ताप की प्रार्थना की, वह नीनवे के दुष्ट लोगों को पश्चात्ताप और उद्धार की ओर मोड़ सका(योना 2:1–3:10)।
जैसे बहुत से विश्वास के पूर्वजों ने प्रार्थना के द्वारा कठिनाइयों पर विजय पाई, वैसे ही हमें भी सभी प्रकार की कठिनाइयों और परीक्षाओं पर जय पाने के लिए प्रार्थना को अपने जीवन में उतारना चाहिए।
हमें इसलिए परमेश्वर से प्रार्थना करनी चाहिए कि हम उन बहुत सी अनुग्रह के लिए जो परमेश्वर हमें प्रदान करते हैं, धन्यवाद कर सकते हैं और सर्वशक्तिमान परमेश्वर की सहायता मांग सकते हैं। साथ ही, विभिन्न प्रकार की परिक्षाओं पर जय पाने के लिए है। हमें धन्यवाद की प्रार्थना और ईमानदारी से अर्पित करने की प्रार्थना जिससे परमेश्वर प्रसन्न होते हैं, के द्वारा बहुत सी आशीषें प्राप्त करनी चाहिए।
- पुनर्विचार के लिए प्रश्न
- अय्यूब शैतान की गंभीर परीक्षा पर विजय प्राप्त कर सका, इसका कारण क्या है?
- हमें क्यों परमेश्वर से प्रार्थना करनी चाहिए?