माता की शिक्षाओं में से तेरहवीं शिक्षा
“हमें वर्तमान समय के कष्टों को इसलिए धैर्य से सहना चाहिए क्योंकि स्वर्ग का राज्य हमारा होगा।”
विश्वास का जीवन जीते समय, हम कठिन और कष्टदायक क्षणों का सामना करते हैं। कभी-कभी हम सत्य के लिए सताए जाते हैं या शैतान द्वारा परखे जाते हैं; हम सिय्योन में भाइयों और बहनों के साथ कठिनाइयों का सामना करते हैं; या हम अपने दैनिक जीवन में समस्याओं का सामना करते हैं। प्रत्येक सदस्य दुःख और कठिनाई सहते हुए विश्वास के मार्ग पर चलता है। परमेश्वर ने हमें आने वाले स्वर्ग के बारे में सोचकर सभी दुखों को सहने के लिए कहा है।

परमेश्वर स्वर्ग में हमारे लिए अकल्पनीय आशीष तैयार कर रहे हैं। वहां कोई शोक, पीड़ा या विलाप नहीं होगा। वहां केवल अनन्त आनंद और खुशी होगी। भले ही पृथ्वी पर हमारा जीवन कठिन हो और पीड़ाओं से भरा हो, लेकिन जब हम स्वर्ग की महिमा के बारे में सोचते हैं, तो हम कभी हार नहीं मानेंगे।
अनन्त स्वर्ग के राज्य की आशीष की तुलना में, पृथ्वी पर का शोक और पीड़ा अस्थायी है। हमें मूर्ख नहीं बनना चाहिए जो केवल पृथ्वी की छोटी और अस्थायी चीजों के कारण महिमामय और अनन्त स्वर्ग के राज्य को छोड़ देते हैं। अब स्वर्ग का राज्य निकट है। हमें स्वर्ग की आशा के साथ अंत तक धीरज रखते हुए परमेश्वर द्वारा प्रतिज्ञा की गई सभी आशीषें प्राप्त करने वाली स्वर्गीय संतान बनना चाहिए।
और यदि सन्तान हैं तो वारिस भी, वरन् परमेश्वर के वारिस और मसीह के संगी वारिस हैं, कि जब हम उसके साथ दु:ख उठाएं तो उसके साथ महिमा भी पाएं। क्योंकि मैं समझता हूं कि इस समय के दु:ख और क्लेश उस महिमा के सामने, जो हम पर प्रगट होनेवाली है, कुछ भी नहीं हैं। रो 8:17-18
- पुनर्विचार के लिए प्रश्न
- माता की शिक्षाओं में से तेरहवीं शिक्षा क्या है?