परमेश्वर के वचन संपूर्ण हैं

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परमेश्वर के वचन संपूर्ण हैं, और इन्हें स्वीकार न करने का कोई कारण नहीं है। परमेश्‍वर के वचन को संपूर्ण रूप से मानना ही आशीष और उद्धार प्राप्त करने का एकमात्र मार्ग है, क्योंकि परमेश्वर केवल उन लोगों पर ही आशीष उंडेलते हैं जो उनके वचनों का संपूर्ण रूप से पालन करते हैं।

1. नूह का जहाज

उन दिनों में जब बारिश नहीं होती थी, परमेश्वर ने नूह को एक बड़ा जहाज बनाने की आज्ञा दी। जहाज का आकार जिसे परमेश्वर ने बनाने की आज्ञा दी, ऐसा था कि उसकी लंबाई 450 फीट(137 मीटर), उसकी चौड़ाई 75 फीट(23 मीटर), उसकी ऊंचाई 45 फीट(14 मीटर) थी। चूंकि उन दिनों में जहाज बनाने के लिए आज के जैसी तकनीक नहीं थी, इसलिए परमेश्वर की आज्ञानुसार जहाज का निर्माण करना लगभग असंभव था। नूह को बहुत से मजदूर एवं सामग्रियों की जरूरत हुई होगी, और उनमें बहुत खर्च हुआ होगा। कुछ विद्वानों का कहना है कि उन दिनों की तकनीक से नूह के जहाज बनाने में 40 से 120 वर्षों का समय लगा होगा। इससे हम अंदाजा लगा सकते हैं कि इस काम को करने के लिए नूह को बहुत धीरज रखना पड़ा।

लेकिन इस कठिन परिस्थिति में भी, नूह ने पूर्ण रूप से परमेश्वर की आज्ञा का पालन किया, क्योंकि जहाज बनाना परमेश्वर का वचन था। परिणामस्वरूप, नूह और उसका परिवार बच गया जबकि दूसरे लोग जलप्रलय से नष्ट हो गए।

2. यरीहो नगर

जब इस्राएली यरदन नदी पार करके कनान देश में प्रवेश करने ही वाले थे, उन्होंने यरीहो नगर का सामना किया जिसे एक अजेय नगर के रूप में जाना जाता था। तब परमेश्वर ने उन्हें यरीहो नगर को नष्ट करने की गुप्त योजना बताई। परमेश्वर की यह योजना थी कि वे छह दिनों तक हर रोज एक बार शहर के चारों ओर घूमें और सातवें दिन सात बार घूमें और याजकों के नरसिंगा फूंकने पर सब एक साथ जयजयकार करें।

एक नगर को जीतने का सामान्य तरीका ऐसा होगा कि हमला करने की योजना बनाना, दमदमा बनाना और फाटकों को तोड़ने के लिए युद्ध के यंत्र, सीढ़ी, तीर, भाले, ढाल और इत्यादि बनाना। हालांकि, परमेश्वर ने मानव समझ से परे एक अजीब योजना का पालन करने का आदेश दिया।

पहले दिन, वे एक बार नगर के चारों ओर घूमे, लेकिन कुछ नहीं हुआ। दूसरे दिन, वे नगर के चारों ओर उसी तरीके से घूमे, फिर भी कुछ नहीं हुआ। तीसरे, चौथे, पांचवें और छठे दिन, उन्होंने वही काम किया और फिर भी कुछ नहीं हुआ। जिन लोगों को पूर्ण विश्वास नहीं था, वे काफी चिंतित रहे होंगे; वे इस तरह के मनुष्य विचार में फंस गए होंगे कि, ‘फाटकों को तोड़ने के लिए युद्ध के यंत्र बनाना, तलवार की धार को तेज करना और भाले बनाना बेहतर होगा।’

सातवें दिन जब वे सात बार नगर के चारों ओर घूमे, तो शायद ऐसे लोग भी हुए होंगे जिन्होंने गहरी निराशा में डूब जाकर यह सोचा कि ‘क्या यह वास्तव में गिर जाएगा?’ या ‘हम थकान के मारे अंत में गिर जाएंगे।’ लेकिन, जिन्होंने पूरी तरह से परमेश्वर के वचन का पालन किया, उन्हें परमेश्वर ने क्या परिणाम दिया? जब वे सभी यरीहो नगर की ओर जोर से चिल्लाए, तो शहरपनाह एक पल में ढह गई। इस प्रकार, वे एक पल में यरीहो नगर पर विजय प्राप्त कर सके और प्रतिज्ञा का देश, कनान विरासत में प्राप्त कर सके।

अब तक, हमने उन लोगों के इतिहास को देखा है, जिन्होंने परमेश्वर के वचन का पूर्ण रूप से पालन करते हुए बड़ी आशीषों को प्राप्त किया। इस युग में भी, हम स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने की आशीष तब प्राप्त कर सकते हैं जब हम परमेश्वर के वचन का पूर्ण रूप से पालन करते हैं। परमेश्वर हमेशा हमारी भलाई के लिए धर्मी और अच्छे मार्ग पर हमारा मार्गदर्शन करते हैं। आइए हम परमेश्वर के वचन का पूर्ण रूप से पालन करें और परमेश्वर की प्रचुर आशीष प्राप्त करें।

पुनर्विचार के लिए प्रश्न
1. यरीहो नगर को नष्ट करने का परमेश्वर का तरीका क्या था?
2. आइए हम उस अनुभव के बारे में सोचें कि हमने परमेश्वर के वचन का पूर्ण रूप से पालन करके परमेश्वर की आशीष प्राप्त की।