माता का प्रेम जिसे मैं ने महसूस नहीं किया था

लिमा, पेरू से मेर्टी मारिएला पोलाक ब्रेनेर

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मेरा जन्म होने से पहले, मेरा परिवार पेरू की राजधानी, लिमा में रहता था। एक दिन, पेरू में एक बहुत ही शक्तिशाली भूकम्प हुआ। उस समय, मेरे पिताजी गृह प्रशासन मंत्रालय में काम करते थे, और वह कुछ पेशेवर लोगों के समुह के साथ मिलकर भूकम्प से क्षतिग्रस्त हिस्सों की पुनस्र्थापना के काम के प्रभारी थे। इस काम के कारण, मेरा परिवार आनकाशी में स्थित उआराज में रहने के लिए चला गया। कुछ सालों के बाद, छह भाई–बहनों में सबसे छोटी बहन के रूप में मेरा जन्म हुआ। मेरा सबसे बड़ा भाई मुझ से तेरह साल बड़ा था। मेरे पूरे परिवार ने प्रेम के साथ मेरी देखभाल की।

एक सुबह, मैं ने उठकर अपने कमरे की खिड़की से बाहर देखा। सफेद मोतियों जैसी चीजें आकाश से गिर रही थीं। ‘कितना सुन्दर है!’ मैं उन्हें छूना चाहती थी। मैं ने जल्दी से और चुपके से उस गलियारे को पार किया जो मेरे और मेरे भाई–बहनों के कमरों को अलग करता था। मैं नंगे पांव ही उस सफेद मोतियों से ढके आंगन में दौड़ी चली गई। इसके बारे में न सोचते हुए कि मेरे हाथों का रंग नीला पड़ रहा है, मैं उन सफेद और ठंडे मोतियों से खेलती रही। उसी समय, किसी ने जल्दी से मुझे उस जमी हुई जमीन से उठा लिया। वह मेरी माता थीं। मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि उन्होंने ऐसा क्यों किया। उन बर्फ के मोतियों के साथ मुझे बड़ा मजा आ रहा था। मेरी माता यह बोलते हुए परेशान हो गई कि उन्हें ठीक से मेरी देखभाल करनी चाहिए थी। लेकिन मुझे पता नहीं था कि उन्होंने ऐसा क्यों कहा था।

उस रात को, मुझे बहुत तेज बुखार हो गया। मुझे पीड़ित देखकर मेरी माता सिसकने लगी। लेकिन यह तो केवल शुरुआत ही थी। कुछ समय बाद, मुझे सांस लेने में भी बहुत परेशानी होने लगी। जब मेरी माता ने मुझे अपनी बांहों में उठा लिया, तो मैं ने खांस कर मेरी माता के कुर्ते पर लहू के दाग लगा दिए। मुझे ऐसे देखकर, उन्होंने तुरन्त ही मेरी नाक बंद कर दी और मुझे निकट के अस्पताल में ले गई। अस्पताल जाने के रास्ते में, मुझे लगातार खांसी आ रही थी और लहू निकल रहा था।

डॉक्टर ने मुझे इंजेक्शन देना चाहा।

“कृपया नहीं… उससे दर्द होता है!”

मैंने अपनी माता से विनती की, लेकिन उन्होंने मुझे कसकर पकड़ लिया ताकि मैं हिल–डूल न सकूं। जब मुझे इंजेक्शन लगाया गया, तो मुझे दर्द हुआ और मैं बहुत जोर से रोई। मैं ने शिकायत की कि क्यों उन्होंने ऐसा किया। उस क्षण, मैं ने अपनी माता को देखा। वह भी लगातार आंसू बहा रही थीं।

बाद में, जैसे–जैसे मैं बड़ी हुई, मैं ने उन ओलों के कारण मुझे हुई बीमारी की गंभीरता को जाना जिन्हें मैं सफेद मोती कहकर उनके साथ लापरवाही से खेल रही थी। यदि मेरी माता ने लहू बहने से रोकने के लिए मेरी नाक की नसों को जोर से न दबाया होता, तो शायद मैं ज्यादा लहू बह जाने के कारण गंभीर परिस्थिति में पड़ गई होती। और केवल इस वजह से कि मुझे दर्द होगा, यदि मेरी माता ने मुझे इंजेक्शन न दिलवाया होता, तो मेरी परिस्थिति और भी बुरी हो जाती। मुझे मेरी माता के प्रेम को समझने में कई साल लग गए।

उसी प्रकार सुसमाचार का प्रचार करते समय भी ऐसा लगता है कि मैं ने स्वर्गीय माता के बलिदान को गहराई से नहीं समझा है जो हम सब की देखभाल करती हैं। स्वर्गीय माता अपनी सन्तानों को बचाने के लिए अकथनीय परिश्रम करती हैं। कभी–कभी माता हमें शुद्ध होने की प्रक्रिया में रखती हैं ताकि हम सब स्वर्ग में प्रवेश करने योग्य स्वर्गीय प्राणियों में बदल जाएं। लेकिन, उस समय, मैं यह नहीं सोचती कि अपनी कमजोर सन्तानों देखकर, माता को कितना दुख होता होगा।

अब से, मैं याद रखूंगी कि स्वर्गीय माता हमेशा हमें सबसे उत्तम चीजें देती हैं। माता को याद करते हुए जो मेरी देखभाल करती हैं, मैं किसी भी परिस्थिति में आनन्द और खुशी के साथ विश्वास के मार्ग पर चलूंगी।