हार्दिक शब्द परिवार को बचाते हैं!
एक छोटी लेकिन सबसे बड़ी चीज जो आप अपने परिवार के लिए कर सकते हैं वह स्नेह और देखभाल भरे हार्दिक शब्दों को कहना है।
ऐसी कहावतें हैं: “शब्दों के पांव नहीं होते, लेकिन वे दूर यात्रा करते हैं,” और “शब्दों से भारी कर्ज भी चुकाया जा सकता है।” यह दिखाता है कि शब्द कितने शक्तिशाली होते हैं। शब्द परिवार की खुशियों का नियंत्रण करते हैं; वे पारिवारिक संबंध को तोड़ सकते हैं या पारिवारिक प्रेम को मजबूत कर सकते हैं।
परिवार के सदस्यों के बात करने का तरीका दिखाता है कि उनका पारिवारिक संबंध कितना मजबूत और शांतिपूर्ण है। “जो कुछ तुम करते हो क्यों ऐसा ही होता है?” “तुम पूरे दिन घर पर कुछ न करते हुए रहते हो!” “तुम्हारा मन सख्त है!” यदि सदस्य दूसरे व्यक्ति की भावनाओं को न समझते हुए इस प्रकार के शब्दों का उपयोग करें तो परिवार में प्रेम मौजूद नहीं हो सकता।
हर कोई प्यारा घर चाहता है। जब आप काम के बाद थके हुए वापस घर आएं तब क्या आप बहुत खुश नहीं होंगे यदि एक हार्दिक माहौल से आपका घर भरा हो? आपके घर का तापमान बढ़ाने का तरीका हार्दिक शब्द कहना है। चाहे आप हीटर चालू करके घर को कितनी ही गर्म करें, यदि घर में सिर्फ खामोशी है या यदि परिवार ठंडे या कठोर शब्द कहता है और एक दूसरे पर चिल्लाता है, तो घर के अंदर बहुत ठंडक होगी।
कई सर्वेक्षण के अनुसार, करीब आधे उत्तरदाताओं ने कहा कि वे तीस मिनट से भी कम समय के लिए अपने परिवारवालों के साथ संवाद करते हैं। एक घर में रहने के बावजूद उनके पास एक दूसरे से बात करने का समय नहीं होता, परन्तु और दुख की बात यह है कि परिवार की बातचीत जो आधे घंटे से भी कम समय की होती है, वह मतभेद के साथ समाप्त होती है। ऐसे बहुमूल्य समय को एक दूसरे के साथ झगड़ा करते हुए बिताना कितनी दुखद बात है!
इसका मतलब यह नहीं कि अपने परिवार के साथ लंबे समय तक बातचीत करना हमेशा अच्छा है। यदि आप एक दूसरे को सामर्थ्य और साहस दे सकते हैं और एक दूसरे के प्रेम की पुष्टि कर सकते हैं, तो थोड़ा समय भी काफी हो सकता है। “मुझे आप पर भरोसा है,” “ठीक है। ऐसा होता है,” “तुम्हारे कारण मां और पापा खुश हैं।” इस तरह की अभिव्यक्तियां घर के तापमान को बढ़ाती हैं, परिवार के माहौल को सजीव करती हैं और परिवार को बचाती हैं।
शाब्दिक दुर्व्यवहार हिंसा है
कठोर शब्दों का उपयोग हद से ज्यादा होता है। किशोरों के मुंह से आसानी से गलियां निकलती हैं। बहुत सारे लोग अपने काम पर बॉस या ग्राहकों के शाब्दिक दुर्व्यवहारों के कारण अपनी नौकरी छोड़ देते हैं। मीडिया में भी, शुद्ध किए बिना आसानी से कठोर शब्द कहे जाते हैं, और दर्शक इसे देखने का आनंद उठाते हैं। यह साइबर दुनिया में और बदतर है जहां गुमनामी की गारंटी है।
संचार विशेषज्ञ पेट्रीसिया एवांस ने कहा, “शाब्दिक दुर्व्यवहार यह दिखाने का एक माध्यम है कि एक व्यक्ति दूसरे से उच्च है। यह शारीरिक दुर्व्यवहार जैसे दिखाई नहीं देता, लेकिन बहुत बड़ा दर्द देता है। पीड़ित भ्रम में पड़ता है और धीरे-धीरे उसका आत्मसम्मान टूट जाता है।” आक्रमक शब्दों या आपत्तिजनक भाषा के माध्यम से अपनी श्रेष्ठता दिखाने की कोशिश करना एक बड़ी गलती है। बात करने का वह तरीका दूसरे व्यक्ति को बाहर रूप से नम्र बना सकता है, लेकिन अंदर से नहीं; दूसरा व्यक्ति कभी भी मन से स्वीकार नहीं करता कि बोलने वाला उससे उच्च है।
लोग गलतियां करने से डरते हैं। और अवश्य ही, वे सिर्फ गलतियों के परिणाम से नहीं डरते लेकिन इस बात से भी डरते हैं कि दूसरों से उन्हें क्या सुनने मिलेगा। “क्या तुम वह भी ठीक से नहीं कर सकते?” “मैं तुमसे क्या अपेक्षा करूं?” “मुझे तुम पर भरोसा नहीं करना चाहिए था।” लोग भयभीत होते हैं क्योंकि दिल को बेधने वाले ये शब्द पहले उनके दिमाग में आते हैं। भले ही उनकी गलती हो, लेकिन यदि इन शब्दों से उन पर हमला किया जाए, तो वे प्रतिकूल भावना महसूस करेंगे और सोचेंगे, ‘यह एक गंभीर गलती भी नहीं है!’ ‘मैं देखूंगा कि तुम वह काम कैसे करते हो!’
बच्चे जो माता–पिता के शाब्दिक दुर्व्यवहार सुनते हुए बड़े हुए हैं, वे पटरी से उतर सकते हैं। यहां तक कि वयस्क भी अपमानजनक शब्द से डगमगाते हैं। तब उन छोटे बच्चों के बारे में क्या? कोई फर्क नहीं पड़ता चाहे आप अपने कठोर शब्दों को इस तरह सुनने के लिए अच्छे शब्द के साथ लपेटें, “यह सलाह तुम्हारे लिए है,” यदि यह बात सुननेवाले को तनाव देती है, तो प्रभाव शून्य है, बल्कि नकारात्मक है। क्या कभी आपने सोचा है, ‘चूंकि हम एक परिवार हैं, इसलिए मैं यह उसे कहता हूं जो वह सुनना नहीं चाहता। मेरे अलावा कौन उसे यह इस तरह कहेगा?’ जिम्मेदारी की इस भावना के साथ, क्या आपने उनकी गलतियों पर उंगली नहीं उठाई और उन्हें तनाव नहीं दिया? यदि आप किसी चीज को बताना चाहते हैं, तो आपको वह हार्दिक शब्दों से करना चाहिए ताकि उन्हें चोट न पहुंचे। सिर्फ तब ही वे महसूस करेंगे कि आपकी सलाह प्रेम और चिंता के कारण है, और वह हार्दिकता उन्हें बदलती है।
गलियां, या कोई शब्द जो किसी के बाहरी रूप को तुच्छ समझता है, किसी की क्षमता की उपेक्षा करता है, और किसी के व्यक्तित्व का अपमान करता है, वे सब हिंसा हैं। यह आपके परिवार को कमजोर और बीमार करने का शॉटकर्ट है। यदि घर के अंदर बंदूकें, चाकू और बम का ढेर हो, यह कितना निर्दयी और भयानक होगा? शाब्दिक दुर्व्यवहार एक हथियार की तरह है। हथियार का उपयोग करने वाले को खुद ही उसकी कीमत चुकानी होगी। हमारा मस्तिष्क यह फर्क नहीं करता कि जो हमारे मुंह से बाहर आता है वह स्वयं के लिए है या किसी और के लिए है। मस्तिष्क उन दुर्व्यवहार शब्दों को जो किसी और के लिए होते हैं, वह खुदके लिए भी लेता है।
हमारा जीवन सिर्फ अच्छी बातों को कहने के लिए भी बहुत छोटा है। “यह बहुत निराशाजनक है” या “यह क्रोध दिलाता है” या “मैं इससे थक चुका हूं,” इस तरह के शब्दों से भ्रष्ट हुए जीवन कभी भी खुश नहीं हो सकता। आपकी बोलने की आदतों और अपने परिवार से बात करने के आपके तरीके को जांचें।
दयालु शब्द की शक्ति
वर्ष 2015 गर्मियों में, 30 वर्ष की उम्र का एक आदमी आयरलैंड के डबलिन में हैपनी पुल के जंगले पर अपने पैर झुलाते हुए बैठा था। उसकी आंखों से आंसू बहते थे। वह अपना जीवन त्याग देने पर था। तब एक 16 वर्ष का लड़का, जेमी ने पुल पार करते हुए उसे देखा। वह उस आदमी के पास गया और उससे पूछा, “क्या आप ठीक हैं?” जैसे वह लड़का उससे बातें करता रहा, तो वह आदमी सुरक्षित जगह पर आ गया और उसने अपना मन बदला। तीन महीनों के बाद, लड़के को उस आदमी से एक टेक्स्ट मेसेज मिला जो अपना खुदका जीवन समाप्त करने पर था। उसके मेसेज में लिखा था कि उसकी पत्नी गर्भवती है और उन्होंने अपने बच्चे का नाम “जेमी” रखने का फैसला किया। आदमी ने कहा कि “क्या आप ठीक हैं?” इन शब्दों ने उसका जीवन बचाया और वे शब्द अब भी उसके दिमाग में गूंजते हैं।
पार्क जी संग, दक्षिण कोरिया का एक फुटबॉल नायक, ने कहा कि फुटबॉल प्रबंधक, गुस हिडिंक के दयालु शब्दों ने उसका जीवन बदल दिया: जब पार्क अप्रसिद्ध खिलाड़ी था, एक दिन वह अपने घायल पैर के कारण मैच में नहीं भाग लेकर अकेले लॉकर रूम में बैठा हुआ था, तब हिडिंक ने कहा, “तुम्हारे पास एक दृढ़ मनोबल है। उस मनोबल के साथ, तुम एक महान फुटबॉल खिलाड़ी बन सकोगे।”
पार्क एकमात्र व्यक्ति नहीं था जिसका जीवन एक प्रोत्साहन के शब्द से बदल गया। ऐसे शब्दों का मूल्य किसी भी चीज से बदल नहीं सकता। “हमारे परिवार के लिए कड़ी मेहनत करने के लिए धन्यवाद,” ये शब्द पति के कंधों को सीधा कर सकते हैं। “तुम किस अभिनेत्री से भी अधिक सुंदर हो,” ये शब्द पत्नी की झुर्रियां निकाल दे सकते हैं। “मम्मी और पापा, मैं आपसे प्रेम करता हूं,” और “मैं तुमसे प्रेम करता हूं, मेरा बेटा और मेरी बेटी,” इस तरह के शब्द माता–पिता और बच्चों को संसार में सबसे खुश लोग बनाते हैं।
दलायु शब्द एक क्रोधित व्यक्ति को शांत करते हैं। जब आपके परिवार में कोई क्रोधित है, तब यदि आप आक्रमक शब्दों का उपयोग करें, जैसे कि, “तुम हद से ज्यादा गुस्सा दिखा रहे हो,” या “तुम क्यों वह मुझ पर गुस्सा निकाल रहे हो,” या “मैंने क्या किया?” तो यह आग में घी डालने जैसा है। ऐसी स्थिति में, बेहतर होगा यदि आप उसकी बात सुनें और यह कहते हुए नाराज हुए व्यक्ति के साथ सहानुभूति दिखाएं कि, “माफ कीजिए” या “तुम्हें उसके बारे में बहुत गुस्सा आया” या “क्या तुम मुझे बताना चाहते हो कि तुम क्यों नाराज हो?” तब वह जल्दी ही शांत होगा।
सबसे अच्छे माता–पिता वह हैं जो अपनी संतानों को अच्छी चीजें कहते हैं, वे नहीं जो अच्छे कपड़े देते हैं और उन्हें अच्छे स्कूल में भेजते हैं। सबसे अच्छा पति वह है जो अपनी पत्नी को दयालु शब्द कहता है, वह नहीं जो ज्यादा पैसे कमाता है। सबसे अच्छी पत्नी वह है जो दयालु शब्दों से अपने पति को ऊर्जा देती है। दयालु शब्दों में जीवन-शक्ति है। अपने दैनिक जीवन में अपने परिवार को वह शक्ति प्रदान करें।
होलोकॉस्ट के दौरान, एक लड़की और उसका छोटा भाई ऑशविट्ज एकाग्रता शिविर जाने वाली ट्रेन पर थे। जब लड़की को पता चला कि उसके भाई ने अपने जूते खो दिए हैं, तो वह बहुत क्रोधित हुई और कहा, “क्या तुम अपने जूतों की भी देखभाल नहीं कर सकते? तुम्हें क्या हुआ है?” वह आखिरी बात थी जो उसने अपने भाई से कही थी। वे फिर एक दूसरे को कभी नहीं देख सके। वह बच गई और उसका भाई नहीं बच गया। और ऑशविट्ज शिविर से बाहर आते समय, उसने ठान लिया, “अब से, मैं सिर्फ वही शब्द कहूंगी जिनसे मुझे शर्मिंदा न होना पड़े, यदि वे मेरे जीवन के आखिरी शब्द हों।”
हमारा जीवन अप्रत्याशित है। उस आखिरी शब्द के बारे में सोचिए जो आपने आज अपने परिवार से कहा। क्या वह आपके परिवार के लिए छोड़े जाने योग्य कुछ अच्छा शब्द था या कुछ ऐसे शब्द थे जिन्हें अपने परिवार से सदा के लिए अलग होने पर भी आपको पछतावा नहीं होगा?