
स्थापन पर्व यहूदियों का एक त्योहार था जो किसलेव नामक महीने के 25 वें दिन पर मनाया जाता था; यह मूसा के नियम का नहीं है।
यरूशलेम में स्थापन पर्व मनाया जा रहा था; और जाड़े की ऋतु थी। यीशु मन्दिर में सुलैमान के ओसारे में टहल रहा था। यूह 10:22–23
यूनान साम्राज्य (ग्रीस) जिसने मादी–फारस साम्राज्य को हराया था, वह सिकंदर महान की मृत्यु के बाद चार सेनापतियों के द्वारा चार अलग अलग राज्यों में विभाजित हुआ था: कैसेन्डर का राज्य (मैसेडोनिया), सेल्युकुस का राज्य (सीरिया), लीसीमाचुस का राज्य (एशिया माइनर), और टॉलेमी का राज्य (मिस्र)। इन राज्यों के प्रत्येक राजा ने सिंकदर का उत्तराधिकारी होने का दावा किया। कुछ समय बाद, एशिया माइनर में लीसीमाचुस का राज्य सीरिया के सेल्युकुस के राज्य के द्वारा नष्ट हो गया, और तीन राज्य बचे रहे।
यहूदा जो बेबीलोन और मादी–फारस साम्राज्य का उपनिवेश हो गया था, यूनान साम्राज्य के शासन के अंतर्गत आ गया। यहूदा मूल रूप से मिस्र के टॉलेमी साम्राज्य का एक भाग था, लेकिन लगभग 100 वर्षों के बाद जैसे ही मिस्र सीरिया के विरुद्ध युद्ध में हार गया (लगभग 198 ई.पू.), वह सीरिया साम्राज्य की अधीनता में आ गया।
जब सेल्युकुस (सीरिया) के राज्य में अंतियोकस चौथा (इसके आगे “अंतियोकस”) सिंहासन पर बैठा, तब उसने अपने सभी उपनिवेशों को यूनान के देवताओं की उपासना करने के लिए मजबूर किया और उनमें यूनानी पद्धति लागू करने की घोषणा की; वह उन लोगों को मार डालता था जो अपने देवताओं की उपासना करते थे। इसने पूरे साम्राज्य में सिर्फ समाज के अनेक पहलुओं में नहीं, पर लोगों की जीवनशैली में भी व्यापक रूप से प्रभाव डाला।
कुछ यहूदियों ने यूनानी पद्धति को स्वीकार किया। उन्होंने अपनी पारंपरिक जीवनशैली एवं विश्वास को दूर फेंककर और यूनानी जीवनशैली का पालन करके अंतियोकस के साथ सहयोग किया; उन्होंने यूनान के देवताओं की उपासना की, यूनानी क्रीड़ा–स्थल में खेलों में भाग लिया, और यूनानी कपडे. पहने।
सीरिया के राजाओं ने यहूदी याजकों से रिश्वत ली जिन्होंने उनके साथ मैत्रीपूर्ण संबंध रखा, और उनमें से एक को महायाजक के रूप में नियुक्त किया। कुछ यहूदियों ने बाद में राजा को रिश्वत देने का वादा करके महायाजक का पद खरीदने की कोशिश की। वे सिर्फ चुपचाप देखते रहे जब अंतियोकस ने भवन की सब पवित्र की हुई वस्तुओं और पात्रों को लूटा, और उन्होंने राजा को रिश्वत देने के लिए मंदिर की वस्तुओं को भी चुरा लिया और उन्हें बेच दिया।
अंतियोकस ने यहूदियों को खतना करने से और सब्त व पर्वों को मनाने से मना किया। उसने उनके साथ यूनानी देवताओं की उपासना करने के लिए जबरदस्ती की, और जो उसके आदेश को नहीं मानते उन्हें वह मार डालता था। परमेश्वर का मंदिर जीउस की मूर्ति समेत विभिन्न प्रकार की मूर्तियों (यूनानी देवताओं की गढ़ी हुई मूर्तियां) से भर गया। इसलिए परमेश्वर का मंदिर मूर्तिपूजा की जगह बन गया, जहां यूनानी और धर्मत्यागी (यूनानी पद्धति ग्रहण किए हुए यहूदी) यूनानी देवताओं की उपासना करते थे।
भक्त यहूदियों को अत्याचार से बचने के लिए पहाड़ों और जंगलों में भागना पड़ा। जब उन्हें परमेश्वर के आदेश और नियम मनाते हुए पाया गया, तब उन्हें राजा के आदेश से मार डाला गया। परमेश्वर का भय रखने वाले बहुत से यहूदी मारे गए।
उस समय, परमेश्वर के नियमों का पालन करने की कोशिश करनेवाले लोगों में से एक नेता प्रकट हुआ। वह मत्ताथीयास था जो लेवी के गोत्र का था, और उसके पांच पुत्र थे। मत्ताथीयास और उसके पुत्रों ने शहर में ऊंची आवाज से चिल्लाकर कहा, “हर कोई जो नियम का पालन करने के लिए उत्साही है, वह बाहर आओ,” और उन्हें इकट्ठा किया जो परमेश्वर के नियम मनाना चाहते थे और अंतियोकस के खिलाफ एक विद्रोह का नेतृत्व किया।
तब राजा के अधिकारी मत्ताथीयास के पास गए और उसे धन और सम्मान देकर अपना मन बदलने के लिए बहुत मनाने की कोशिश की, लेकिन उसका विश्वास नहीं डगमगाया। वह उन लोगों के साथ जो परमेश्वर के नियम का पालन करना चाहते थे, शहर को छोड़कर पहाड़ों में भाग गया। उन्होंने अंतियोकस के विरुद्ध लड़ने के लिए सेना को संगठित किया और बहुत स्थानों में स्थापित की गई यूनानी मूर्तियों और वेदियों को ढा दिया।
मत्ताथीयास के मरने के बाद, उसका तीसरा बेटा, यहूदा मकाबी यहूदी सेना का नेता बन गया। वह इतना बहादुर और जोशीला था कि उसने देश भर में धार्मिक स्वतंत्रता के लिए संघर्ष का प्रसार किया और बहुत से यहूदियों को लड़ाई में हथियार उठाने के लिए प्रेरित किया। उस समय, अंतियोकस पारथी से युद्ध कर रहा था, और वह यहूदियों के विद्रोह को काबू में करने के लिए अपनी मुख्य सेना को नहीं भेज सका। फिर भी, उसने बहुत बड़ी सेना भेजी जिसकी मकाबी की सेना से तुलना नहीं हो सकती। संख्या में और सैनिक शक्ति में आगे होने के बावजूद, उसकी सेना मकाबी के द्वारा कई बार हार गई, और उसे पीछे हटना पड़ा। मकाबी और उसके अनुयायियों ने मंदिर से सब मूर्तियों को बाहर फेंककर और सब कुछ साफ करके मंदिर को शुद्ध किया और किसलेव नामक यहूदी महीने के 25 वें दिन परमेश्वर के मंदिर को पवित्र बनाकर पुन:स्थापित किया। किसलेव के 25 वें दिन के बाद आठ दिनों तक, यहूदियों ने मंदिर के पुन:स्थापन की खुशी मनाई। इन आठ दिनों के त्योहार को स्थापन पर्व कहा जाता है।
स्थापन पर्व परमेश्वर का पर्व नहीं है। यह सिर्फ यहूदियों की राष्ट्रीय छुट्टी का दिन है। इसी कारण हम स्थापन पर्व नहीं मनाते। हालांकि, हमें उन लोगों की मानसिकता को अपने हृदयों पर उत्कीर्ण करना चाहिए जिन्होंने पहाड़ों और जंगलों में असुविधाजनक जीवन जीते हुए भी और बहुत कठिनाइयों का सामना करते हुए भी सिर्फ परमेश्वर की उपासना की और मंदिर की रक्षा करने की कोशिश की।