बाइबल के वचन
बाइबल Q&A
आपके मन में उठने वाले प्रश्नों का उत्तर बाइबल के द्वारा दिया जाएगा।
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आज ईसाई धर्म एक सबसे बड़ा धार्मिक समूह है जिसको मानने वालों की संख्या दुनिया में सबसे ज्यादा है। लेकिन मुझे कहा गया कि प्रथम चर्च के युग में ईसाइयों के ऊपर अत्यंत अत्याचार हुआ था। उन पर क्यों अत्याचार किया गया था? और वे कैसे अत्यंत अत्याचार के बीच अपना विश्वास कायम रख सके थे?
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पापों की क्षमा और उद्धार के बीच में क्या अंतर है?
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क्या सच में आत्मा का अस्तित्व है?
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यीशु ने क्रूस पर निश्चित रूप से कहा, “पूरा हुआ।” अगर ऐसा हो, तो हमें अब से सब्त का दिन और फसह का पर्व जैसे किसी भी नियम का पालन करने की जरूरत नहीं है, है न?
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पुराने नियम में एक बार भी “यीशु” नाम नहीं पाया गया है। तब, यीशु के चेले कैसे उन्हें मसीह के रूप में पहचान पाए और उन पर विश्वास कर सके?
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हम पवित्र आत्मा को “परमेश्वर” कहते हैं, और हम यह भी कहते हैं कि हम पर्व के दौरान पवित्र आत्मा पाते हैं। हम कैसे पवित्र आत्मा की परिभाषा कर सकते हैं?
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आज चर्च यीशु मसीह पर विश्वास करते हैं। लेकिन 2,000 वर्ष पहले जब यीशु आए, तब क्यों लोगों ने यीशु पर विश्वास नहीं किया और उन्हें क्रूस पर चढ़ा दिया?
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सभी चर्च सुसमाचार का प्रचार करने का दावा करते हैं, लेकिन सुसमाचार का अर्थ अस्पष्ट है। सुसमाचार क्या है?
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बाइबल में, एक दृश्य है जहां यीशु ने लोगों को यह कहते हुए डांटा, “तुम व्यर्थ मेरी उपासना करते हो।” जब वे परमेश्वर की पूजा करते थे, क्यों यीशु ने कहा कि उनकी उपासना व्यर्थ है?
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चर्च ऑफ गॉड सिय्योन कहलाता है। क्या इसका कोई कारण है?
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सवाल: बाइबल कहती है कि जब यीशु दूसरी बार आएंगे तो वह “महिमा” के साथ आकाश के बादलों पर आएंगे। तो मैं इस सत्य को नहीं समझ सकता कि उनको साधारण मनुष्य के रूप में आना है।
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चर्च ऑफ गॉड सब्त और फसह जैसे पर्वों पर ज्यादा महत्व देता है, जो अन्य चर्च नहीं मनाते। इसका कोई विशेष कारण है?