प्रायश्चित्त के दिन का अर्थ

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सब्त और तीन बार में सात पर्व इत्यादि परमेश्वर के पर्व, जिनका वर्णन बाइबल में है, वे सिर्फ पुराने नियम की व्यवस्था नहीं हैं, लेकिन उनमें से हर एक के पास मानवजाति के उद्धार के लिए महान अर्थ है। परमेश्वर सिय्योन के लोगों को बचाते हैं जो पर्व मनाते हैं और जिन्होंने पर्वों के अनुसार बलिदान(आराधना) चढ़ाकर परमेश्वर से वाचा बांधी है, उन्हें “मेरे भक्त” कहकर बुलाते हैं(यश 33:20-24; भज 50:1-5)। परमेश्वर यह भी कहते हैं कि वह अपनी संतानों को इकट्ठा करेंगे जो अंतिम दिनों में पर्व मनाने के लिए प्रयास करती हैं, और पृथ्वी के सभी लोगों में उनकी कीर्ति और प्रशंसा फैलाएंगे(सपन 3:14-20)।

बाइबल में परमेश्वर की प्रतिज्ञाओं के अनुसार, लोग जो परमेश्वर के नियत पर्वों सहित उनकी व्यवस्था, नियम और विधियों को महत्वपूर्ण मानते और उनका पालन करते हैं, वे सभी आशीष और महिमा पाएंगे। अब, आइए हम परमेश्वर के पर्वों में से प्रायश्चित्त के दिन के अर्थ को जांचें।

प्रायश्चित्त के दिन की शुरुआत

प्रायश्चित्त का दिन, जो पवित्र कैलेंडर के अनुसार सातवें महीने के दसवें दिन पर आता है, वह तीन बार में सात पर्वों में से एक पर्व है। पुराने नियम के समय में, लोगों के सभी पापों के प्रायश्चित्त के लिए केवल महायाजक ने वर्ष में एक बार प्रायश्चित्त के दिन पर परमपवित्रस्थान में प्रवेश किया था।

प्रायश्चित्त का दिन अन्य तीन बार में सात पर्वों की तरह, मूसा के कार्य से शुरू हुआ। जब इस्राएली मिस्र से मुक्त हुए और जंगल में आए, तब परमेश्वर ने लोगों को उनके लिए आवश्यक व्यवस्था देने के लिए सीनै पर्वत पर मूसा को बुलाया। परमेश्वर के द्वारा बुलाए जाने पर, मूसा सीनै पर्वत पर चढ़ गया और उसने चालीस दिनों तक उपवास करने के बाद पत्थर की पटियाएं पाईं जिन पर परमेश्वर ने स्वयं दस आज्ञाओं को लिखा था, और वह पर्वत पर से नीचे उतरा।

लेकिन, मूसा का चालीस दिनों तक इंतजार करते हुए, इस्राएलियों ने सोचा कि मूसा मर चुका होगा क्योंकि वह इतने लंबे समय तक पहाड़ से नीचे नहीं आया था। चूंकि उन्होंने सोचा कि उन्होंने अपना नेता खो दिया है, तो उन्होंने एक देवता बनाने का प्रस्ताव रखा जो उन्हें कनान में ले जाएगा, और आखिर में उन्होंने सोने का एक बछड़ा बनाया और उसके चारों ओर खाते पीते और नाचते हुए उस मूर्ति की उपासना की। जब मूसा पर्वत पर से नीचे उतरा, तब उसने यह भयानक दृश्य देखा। इस बात से वह इतना क्रोधित हुआ कि उसने पत्थर की पटियाओं को नीचे फेंका और वे टुकड़े टुकड़े हो गईं। उस दिन, आंतरिक युद्ध हुआ और 3,000 लोगों को मार डाला गया। तब इस्राएलियों ने अपने पापों के लिए गहराई से पश्चाताप किया और अपने सारे गहने उतार लिए, और मूसा ने परमेश्वर से लोगों के पाप क्षमा करने की विनती की(निर्ग 32-33)।

उनके ईमानदार पश्चाताप के परिणाम में, परमेश्वर ने मूसा को फिर से दस आज्ञाओं को प्राप्त करने के लिए सीनै पर्वत पर चढ़ने की अनुमति दी। इस तथ्य में कि इस्राएलियों को फिर से दस आज्ञाओं की नई पटियाएं दी गईं, उनके पाप को क्षमा करने की परमेश्वर की इच्छा शामिल है। मूसा फिर से सीनै पर्वत पर चढ़ गया, और चालीस दिन उपवास करने के बाद उसने दूसरी बार दस आज्ञाओं को प्राप्त किया, और वह दिन जब वह पर्वत से नीचे उतरा, प्रायश्चित्त के दिन के रूप में नियुक्त किया गया(निर्ग 34)।

प्रायश्चित्त के दिन की विधि में प्रकट हुआ प्रायश्चित्त का सिद्धांत

पुराने नियम के समय में, प्रायश्चित्त के दिन पर परमेश्वर को पापबलि चढ़ाए जाते थे – याजक के लिए एक बछड़ा और लोगों के लिए एक बकरा। एक और बकरा था जिसे अजाजेल कहा जाता था। महायाजक दो बकरों के लिए चिट्ठी डालता था – एक चिट्ठी परमेश्वर के लिए और दूसरी अजाजेल के लिए। पहले बकरे को पापबलि के रूप में चढ़ाने के बाद, याजक इस्राएलियों के सभी अपराध और पाप को अजाजेल के सिर पर डाल देता और जंगल में निर्जन स्थान में उसे छोड़ देता था।

और हारून उस पापबलि के बछड़े को जो उसी के लिये होगा चढ़ाकर अपने और अपने घराने के लिये प्रायश्चित्त करे। और उन दोनों बकरों को लेकर मिलापवाले तम्बू के द्वार पर यहोवा के सामने खड़ा करे; और हारून दोनों बकरों पर चिट्ठियां डाले, एक चिट्ठी यहोवा के लिये और दूसरी अजाजेल के लिये हो। और जिस बकरे पर यहोवा के नाम की चिट्ठी निकले उसको हारून पापबलि के लिये चढ़ाए; परन्तु जिस बकरे पर अजाजेल के लिये चिट्ठी निकले वह यहोवा के सामने जीवित खड़ा किया जाए कि उस से प्रायश्चित्त किया जाए, और वह अजाजेल के लिये जंगल में छोड़ा जाए… “जब वह पवित्रस्थान और मिलापवाले तम्बू और वेदी के लिये प्रायश्चित्त कर चुके, तब जीवित बकरे को आगे ले आए; और हारून अपने दोनों हाथों को जीवित बकरे पर रखकर इस्राएलियों के सब अधर्म के कामों, और उनके सब अपराधों, अर्थात् उनके सारे पापों को अंगीकार करे, और उनको बकरे के सिर पर धरकर उसको किसी मनुष्य के हाथ जो इस काम के लिये तैयार हो जंगल में भेजके छुड़वा दे। वह बकरा उनके सब अधर्म के कामों को अपने ऊपर लादे हुए किसी निर्जन स्थान में उठा ले जाएगा; इसलिये वह मनुष्य उस बकरे को जंगल में छोड़ दे।” लैव 16:6-10, 20-22

लैव्यव्यवस्था में प्रायश्चित्त के दिन की विधियां पापों की क्षमा के सिद्धांतों को दिखाती हैं। पुराने नियम के समय में, जब इस्राएली पाप करते थे, तब वे याजक के पास अपने पापों के लिए एक जानवर को बलि के रूप में लाते थे। तब याजक उस पशु को बलि करके उसका कुछ लहू पवित्रस्थान में वेदी पर लगाता था। जब याजक उनके लिए प्रायश्चित्त करता था, तब उनके पाप अस्थायी रूप से पवित्रस्थान पर लादे जाते थे और प्रायश्चित्त के दिन पर उनके सभी पाप अजाजेल के बकरे पर लादे जाते थे। तब पवित्रस्थान शुद्ध हो जाता था और अजाजेल बकरा सभी के पापों को अपने ऊपर लादे हुए किसी निर्जन स्थान में भटक कर मर जाता था, इससे सभी पाप गायब हो जाते थे।

प्रायश्चित्त के दिन की विधियों में पापबलि मसीह को दर्शाता है, और अजाजेल बकरा शैतान को दर्शाता है। हमारे किए सभी पाप और अपराध, पापबलि और पवित्रस्थान से दर्शाए गए मसीह पर थोड़े समय के लिए लादे जाते हैं, और वे प्रायश्चित्त के दिन पर पाप का मूल, शैतान पर लादे जाते हैं। शैतान पर हमारे सभी पाप लादकर उसे अथाह कुंड में डाला जाता है, और अंत में उसे अनन्त आग की झील में डाला जाएगा।

पवित्रस्थान, पापबलि और अजाजेल बकरे की असलियत

शैतान के द्वारा भरमाए जाकर, जिसने खुद को परमेश्वर के सिंहासन से भी अधिक खुद को ऊंचा करने की कोशिश की, हमने जाने या अनजाने में परमेश्वर के खिलाफ विद्रोह करने का पाप किया। हालांकि, परमेश्वर स्वयं पवित्रस्थान बने और हमारे सभी पापों के लिए मरने के द्वारा हम पर अपने प्रायश्चित्त का अनुग्रह प्रदान किया।

हमारा पवित्र आराधनालय आदि से ऊंचे स्थान पर रखे हुए एक तेजोमय सिंहासन के समान है। हे यहोवा, हे इस्राएल के आधार, जितने तुझे छोड़ देते हैं वे सब लज्जित होंगे; जो तुझ से भटक जाते हैं उनके नाम भूमि ही पर लिखे जाएंगे, क्योंकि उन्होंने बहते जल के सोते यहोवा को त्याग दिया है। यिर्म 17:12-13

हमारे पाप पवित्रस्थान के रूप में दर्शाए गए परमेश्वर पर अस्थायी रूप से लादे जाते हैं। उसके बाद, हमारे पाप शैतान पर जिसे अजाजेल के रूप में दर्शाया गया है, लादे जाते हैं। सिर्फ पवित्रस्थान ही नहीं लेकिन पापबलि भी मसीह को दर्शाता है। स्वर्गदूतों की दुनिया में किए गए हमारे पाप पशुओं के लहू से क्षमा नहीं किए जा सकते, लेकिन सिर्फ मसीह के बहुमूल्य लहू से उनका प्रायश्चित्त हो सकता है।

क्योंकि व्यवस्था, जिसमें आनेवाली अच्छी वस्तुओं का प्रतिबिम्ब है पर उनका असली स्वरूप नहीं… परन्तु उनके द्वारा प्रति वर्ष पापों का स्मरण हुआ करता है। क्योंकि यह अनहोना है कि बैलों और बकरों का लहू पापों को दूर करे… फिर यह भी कहता है, “देख, मैं आ गया हूं, ताकि तेरी इच्छा पूरी करूं,” अत: वह पहले को उठा देता है, ताकि दूसरे को नियुक्त करे। उसी इच्छा से हम यीशु मसीह की देह के एक ही बार बलिदान चढ़ाए जाने के द्वारा पवित्र किए गए हैं… इब्र 10:1-4, 9-11

व्यवस्था आनेवाली अच्छी वस्तुओं का प्रतिबिम्ब है। पुराने नियम में पापबलि की असलियत मसीह थी। यीशु मसीह ने हमारे पापों के लिए क्रूस पर बलिदान होकर, प्रायश्चित्त के दिन के पापबलि, बछड़े या बकरे की भूमिका को पूरा किया। उन्होंने अपने बहुमूल्य लहू के द्वारा एक ही समय में हमारा प्रायश्चित्त पूरा किया और हमारे सभी पाप और अपराधों को शैतान पर लाद दिया। इस प्रकार, मसीह ने हमारे लिए स्वर्ग के राज्य में वापस जाने का मार्ग खोल दिया।

दूसरे दिन उसने यीशु को अपनी ओर आते देखकर कहा, “देखो, यह परमेश्वर का मेम्ना है जो जगत का पाप उठा ले जाता है।” यूह 1:29

हम को उसमें उसके लहू के द्वारा छुटकारा, अर्थात् अपराधों की क्षमा, उसके उस अनुग्रह के धन के अनुसार मिला है… इफ 1:7

उनके प्रायश्चित्त के बलिदान के बिना, स्वर्ग में किए हमारे पापों के प्रायश्चित्त का कोई मार्ग नहीं था। परमेश्वर के बलिदान के द्वारा, हमारे पाप शैतान पर लादे गए हैं और हमारे लिए स्वर्ग वापस जाने का शानदार मार्ग खोला गया है।

जैसे अजाजेल निर्जन स्थान में भटकने के बाद मर जाता था, ठीक वैसे शैतान जो अजाजेल के रूप में दर्शाया गया है, वह अथाह कुंड में बंद किए जाने के बाद अनंत नरक की सजा पाएगा।

फिर मैं ने एक स्वर्गदूत को स्वर्ग से उतरते देखा, जिसके हाथ में अथाह-कुंड की कुंजी और एक बड़ी जंजीर थी। उसने उस अजगर, अर्थात् पुराने सांप को, जो इब्लीस और शैतान है, पकड़ के हज़ार वर्ष के लिये बांध दिया… उन का भरमानेवाला आग और गन्धक की उस झील में, जिसमें वह पशु और झूठा भविष्यद्वक्ता भी होगा, डाल दिया जाएगा; और वे रात दिन युगानुयुग पीड़ा में तड़पते रहेंगे। प्रक 20:1-10

ठीक जैसे अजाजेल बकरा निर्जन स्थान में छोड़ दिया गया था, हमारे सभी पाप और अपराध वापस शैतान पर लादे जाते हैं जो उन सभी के लिए भुगतान करेगा और आखिर में उसे दूसरी मृत्यु यानी आग की झील में डाला जाएगा। यह प्रायश्चित के दिन में निहित गहरा अर्थ है जिसे आज हम मनाते हैं।

पापबलि के बलिदान का अर्थ

स्वर्गीय पिता और माता के बलिदान के बिना, हम कभी भी पैसे, सम्मान, ज्ञान या किसी और चीज से उद्धार प्राप्त नहीं कर सकते। केवल पिता और माता के बलिदान के द्वारा ही हम पापों की क्षमा प्राप्त कर सकते हैं और स्वर्ग लौटने की आशा के साथ जी सकते हैं। हमें हर समय इस तथ्य को मन में रखना चाहिए, और हम में से एक को भी उनके अनुग्रह से दूर नहीं जाना चाहिए। आइए हम कुछ वचनों को देखें जो पिता और माता के पवित्र बलिदान का वर्णन करते हैं।

जो समाचार हमें दिया गया, उसका किसने विश्वास किया? और यहोवा का भुजबल किस पर प्रगट हुआ?… निश्चय उसने हमारे रोगों को सह लिया और हमारे ही दु:खों को उठा लिया; तौभी हम ने उसे परमेश्वर का मारा-कूटा और दुर्दशा में पड़ा हुआ समझा। परन्तु वह हमारे ही अपराधों के कारण घायल किया गया, वह हमारे अधर्म के कामों के कारण कुचला गया; हमारी ही शान्ति के लिये उस पर ताड़ना पड़ी, कि उसके कोड़े खाने से हम लोग चंगे हो जाएं। हम तो सब के सब भेड़ों के समान भटक गए थे; हम में से हर एक ने अपना अपना मार्ग लिया; और यहोवा ने हम सभों के अधर्म का बोझ उसी पर लाद दिया… अत्याचार करके और दोष लगाकर वे उसे ले गए; उस समय के लोगों में से किसने इस पर ध्यान दिया कि वह जीवतों के बीच में से उठा लिया गया? मेरे ही लोगों के अपराधों के कारण उस पर मार पड़ी। यश 53:1-8

परमेश्वर ने हमारे पापों की क्षमा के लिए कोड़े खाने और हमारी शान्ति के लिए ताड़ना सहन करने का मार्ग स्वेच्छा से चुना। वह दूसरी बार आने पर भी बलिदान के मार्ग पर चले और हमें पापों से छुड़ाने के लिए हमेशा अहसास करने देते थे और नई वाचा की व्यवस्था की स्मरण दिलाते थे।

पुराने नियम की व्यवस्था के अनुसार, इस्राएली हमेशा नर और मादा पशु के बीच फरक करते हुए पापबलि के रूप में पशुओं को चढ़ाते थे। जब वे साधारण समयों में पाप करते थे, तब पापबलि के लिए केवल बकरा ही नहीं लेकिन मादा बकरी का भी उपयोग किया जाता था। यह एक छाया है जो दिखाता है कि न केवल स्वर्गीय पिता हमारे पापों को उठाते हैं, बल्कि स्वर्गीय माता भी हमारे पापों को उठाती हैं।

“जब कोई प्रधान पुरुष पाप करके, अर्थात् अपने परमेश्वर यहोवा की किसी आज्ञा के विरुद्ध भूल से कुछ करके दोषी हो जाए, और उसका पाप उस पर प्रगट हो जाए, तो वह एक निर्दोष बकरा बलिदान करने के लिये ले आए; और बकरे के सिर पर अपना हाथ धरे, और बकरे को उस स्थान पर बलि करे जहां होमबलिपशु यहोवा के आगे बलि किये जाते हैं; यह पापबलि ठहरेगा… और याजक उसके पाप के विषय में प्रायश्चित्त करे, तब वह क्षमा किया जाएगा।” लैव 4:22-26

“यदि साधारण लोगों में से कोई अज्ञानता से पाप करे, अर्थात् कोई ऐसा काम जिसे यहोवा ने मना किया हो करके दोषी हो, और उसका वह पाप उस पर प्रगट हो जाए, तो वह उस पाप के कारण एक निर्दोष बकरी बलिदान के लिये ले आए; और वह अपना हाथ पापबलिपशु के सिर पर रखे, और होमबलि के स्थान पर पापबलिपशु का बलिदान करे… यदि वह पापबलि के लिये एक भेड़ी का बच्चा ले आए, तो वह निर्दोष मादा हो, और वह अपना हाथ पापबलिपशु के सिर पर रखे, और उसको पापबलि के लिये वहीं बलिदान करे जहां होमबलिपशु बलि किया जाता है… इस प्रकार याजक उसके पाप के लिये प्रायश्चित्त करे, और वह क्षमा किया जाएगा।” लैव 4:27-35

हमारे पाप और अधर्म के कारण, पिता ने हमारे बदले दुख उठाया और माता अन्त तक शैतान के विरुद्ध महान आत्मिक युद्ध में लड़ते हुए, हमारी रक्षा करने और स्वर्ग के मार्ग पर हमारी अगुवाई करने के लिए अब भी शरीर में दुख उठा रही हैं। कौन ऐसा दर्दभरा जीवन सहन कर सकेगा?

फिर भी, यदि हम पश्चाताप न करें लेकिन स्वर्गीय पिता और माता के महान प्रेम और अनुग्रह का विश्वासघात करें, तो हम स्वर्ग में कभी नहीं जा सकते। इसलिए परमेश्वर जब प्रचार करने लगे तो उन्होंने सबसे पहले यह कहा, “मन फिराओ, क्योंकि स्वर्ग का राज्य निकट है”(मत 4:17)। अब से, हमें हर दिन पश्चाताप का जीवन जीना चाहिए ताकि हम पिता और माता की परिपक्व संतान के रूप में पश्चाताप के योग्य फल उत्पन्न कर सकें।

आइए हम पश्चाताप के योग्य फल उत्पन्न करें

नए नियम में, प्रायश्चित्त का दिन वह दिन है जब हम पिछले एक वर्ष के दौरान किए पापों सहित अतीत में किए अपने सभी पापों और अधर्म का परमेश्वर के सामने अंगीकार करते हैं और उनका पश्चाताप करते हैं। पापियों के पास अपने पापों को छिपाने की आदत होती है, लेकिन हमें अपने पापों को नहीं छिपाना चाहिए। जब हम अपने पापों का अंगीकार करें और पश्चाताप करें, तब परमेश्वर हमारी प्रार्थनाओं का जवाब देंगे और हमारे पापों को क्षमा करेंगे(भज 32:3-5)।

सच्चे पश्चाताप का मतलब है फिर से वही पाप को न दोहराना। हम पिता और माता के बलिदान के द्वारा पाप से मुक्त किए गए हैं। हालांकि, यदि हम फिर से पाप करें, तो उनका प्रायश्चित्त करने का कोई और तरीका नहीं है या आगे कोई बलिदान नहीं है। हमारे पाप के कारण पिता और माता को बहुत दर्द हुआ था, फिर भी यदि हम फिर से पाप करके पिता और माता को दर्द देते हैं, तो हम कैसे उद्धार की अपेक्षा कर सकते हैं?

स्वर्ग में पाप करने के बाद, हमें यहां पृथ्वी पर फिर से पाप करने का मूर्ख कार्य नहीं करना चाहिए। यदि हम महसूस किए बिना कि क्यों पिता और माता सब दुख उठा रहे हैं, या यह जाने बिना कि क्या हम परमेश्वर की महिमा को ढकते हैं या उसे प्रकट करते हैं, अपनी खुद की दुष्ट अभिलाषाओं के द्वारा खींचे जाकर पाप में रहें, तो हमें खुद अपने पापों की कीमत चुकानी पड़ेगी। जिन्होंने एक बार ज्योति पाई है, और जो स्वर्गीय वरदान का स्वाद चख चुके हैं, और पवित्र आत्मा के भागी हो गए हैं, यदि वे फिर से पाप करें, तो वे मसीह को फिर से क्रूस पर चढ़ाने वाले हैं; उनके पापों के प्रायश्चित्त के लिए कोई बलिदान बाकी नहीं(इब्र 6:4-6)।

गहराई से दृढ़ संकल्प बनाकर कि बुरे बेटे और बेटियां नहीं बनेंगे जो पिता और माता को फिर से क्रूस पर चढ़ाते हैं, आइए हम अनन्त स्वर्गीय राज्य के लोगों के रूप में विश्वास में पवित्र और धर्मी जीवन जीएं। सभी सिय्योन के लोगों को हमेशा स्वर्गीय पिता और माता को धन्यवाद और महिमा देनी चाहिए जिन्होंने हमारे सभी पाप और अधर्म को क्षमा किया है और पश्चाताप का जीवन जीने में हमारा नेतृत्व किया है।

हमें छोटे बच्चों की तरह हमेशा कुड़कुड़ाना नहीं चाहिए जो सिर्फ प्यार पाने की चाहत रखते हैं। इसके बजाय, आइए हम इस बारे में सोचें कि हम कैसे पिता और माता के द्वारा पूरे किए जा रहे पश्चाताप और उद्धार के महान कार्य में भाग लेंगे। मैं ईमानदारी से आप सभी से कहता हूं कि आप मसीह की देह के अंग और परमेश्वर की परिपक्व संतान के रूप में दुनिया भर के सभी लोगों को बचाने के लिए हर संभव प्रयास करें।