सब्त का दिन
परमेश्वर ने हमें सृष्टिकर्ता परमेश्वर को स्मरण करने का दिन, सब्त का दिन मनाने की आज्ञा दी। यह विश्राम का दिन है, परन्तु सब से बढ़कर परमेश्वर की आकाश और पृथ्वी की सृष्टि को स्मरण करने का दिन है। परमेश्वर ने सब्त के दिन को दूसरे दिन से अलग किया और इसे दस आज्ञाओं में से चौथी आज्ञा के रूप में नियुक्त किया।
“तू विश्रामदिन को पवित्र मानने के लिये स्मरण रखना।”निर्ग 20:8
परमेश्वर के लोगों को परमेश्वर के इच्छानुसार विश्रामदिन यानी सब्त के दिन को पवित्र मनाना चाहिए। परमेश्वर इसके अनुसार कि वे सब्त का दिन मनाते हैं या नहीं, अपने लोगों को दूसरे लोगों से अलग करते हैं(यहेज 20: 11-17; यश 56: 1-7)।
तब सप्ताह का कौन सा दिन, सातवां दिन सब्त है?
बाइबल यीशु के पुनरुत्थान के दिन के द्वारा गवाही देती है कि सब्त का दिन शनिवार है।
सप्ताह के पहले दिन भोर होते ही वह जी उठ कर(TEV बाइबल में, रविवार)…मर 16:9
सप्ताह का पहला दिन जब यीशु जी उठे, रविवार है। इसलिए दुनिया भर में ईसाई रविवार को यीशु का पुनरुत्थान का दिन मनाते हैं। चूंकि सप्ताह का पहला दिन रविवार है, तो निसंदेह सातवां दिन सब्त शनिवार है। इसलिए यीशु और चेलों ने जिन्होंने यीशु के उदाहरण का पालन किया, सब्त का दिन यानी शनिवार को आत्मा और सच्चाई से परमेश्वर की आराधना की।
फिर वह[यीशु] नासरत में आया, जहां पाला पोसा गया था; और अपनी रीति के अनुसार सब्त के दिन आराधनालय में जाकर…लूक 4:16
पौलुस अपनी रीति के अनुसार उनके पास गया, और तीन सब्त के दिन पवित्र शास्त्रों से उनके साथ वाद-विवाद किया।प्रे 17:2
सब्त का दिन जिसे प्ररितों के युग तक मनाया जाता था, रविवार की आराधना में बदल दिया गया जब 321 ईस्वी में रोमन सम्राट कॉन्सटेंटाइन ने रविवार को छुट्टी के दिन के रूप में घोषित किया। परमेश्वर की व्यवस्था रोमन सम्राट की राजनीतिक शक्ति से पूरी तरह से बदल दी गई। परिणाम स्वरूप आज सभी चर्च रविवार को आराधना मनाते हैं। परन्तु, यीशु के द्वारा स्थापित चर्च ऑफ गॉड परमेश्वर की व्यवस्था अर्थात् सब्त का दिन मनाता है। यह इसलिए क्योंकि चर्च ऑफ गॉड के सदस्यों के हृदयों पर यीशु के वचन, जो हमें बचाना चाहते हैं, उत्कीर्ण हैं।