चाहे झूठ के साथ सत्य को छिपाने की कोशिश करे
मत 28:1-15
दो स्त्रियां यीशु की कब्र पर पहुंचीं और वहां एक स्वर्गदूत से मिलीं। स्वर्गदूत ने उनसे कहा कि यीशु जी उठे हैं, तब वे बड़े आनन्द के साथ यीशु के चेलों को यह समाचार सुनाने के लिए दौड़ गईं।
पहरुए भी नगर में गए और जो कुछ कब्रिस्तान में घटा थ, उस सब की सूचना महायाजकों को जा सुनाई।
महायाजकों ने पुरनियों से मिलकर एक योजना बनाई। उन्होंने पहरुओं को बहुत सा धन देकर कहा, “तुम यह कहो कि ‘रात को जब हम सो रहे थे, तो उसके चेले आकर उसकी लाश को चुरा ले गए।’ और यदि तुम्हारी यह बात हाकिम के कान तक पहुंचेगी, तो हम उसे समझा लेंगे और तुम्हें जोखिम से बचा लेंगे।”
जैसा पहरुओं को बताया गया था, वैसे ही उन्होंने यहां-वहां झूठी अफवाह फैलाई। यह झूठी अफवाह यहूदियों में व्यापक रूप से फैल गई।
महायाजकों ने झूठी बातें गढ़कर यीशु के पुनरुत्थान के सत्य को छिपाने के लिए प्रयास किया। लेकिन सत्य किसी न किसी दिन जरूर प्रकट होता है। उस समय भले ही कुछ लोगों ने थोड़े समय तक झूठी बातों से धोखा खाया, मगर अब देखिए, आज पूरी दुनिया के लोग यीशु के पुनरुत्थान पर विश्वास करते हैं और उद्धारकर्ता के रूप में यीशु का प्रचार करते हैं।
तो इस युग में क्या घटित हो रहा है? इस युग में भी लोग अक्सर बाइबल में स्पष्ट रूप से लिखे गए नई वाचा के सत्य का इनकार करते हैं और हर प्रकार की झूठी अफवाहें फैलाकर परमेश्वर के द्वारा स्थापित किए गए चर्च को बदनाम करते हैं। इसका परिणाम 2,000 साल पहले हुए परिणाम के समान होगा। क्योंकि चाहे अंधकार सत्य को छिपाने के लिए कितनी भी कोशिश क्यों न करे, लेकिन सत्य की ज्योति ठीक अपने समय पर अवश्य ही प्रकट होती है। अंधकार ज्योति से कभी नहीं जीत सकता।
परन्तु यदि हमारे सुसमाचार पर परदा पड़ा है, तो यह नष्ट होनेवालों ही के लिये पड़ा है। और उन अविश्वासियों के लिये, जिन की बुद्धि इस संसार के ईश्वर ने अन्धी कर दी है, ताकि मसीह जो परमेश्वर का प्रतिरूप है, उसके तेजोमय सुसमाचार का प्रकाश उन पर न चमके … वही हमारे हृदयों में चमका कि परमेश्वर की महिमा की पहिचान की ज्योति यीशु मसीह के चेहरे से प्रकाशमान हो। 2कुर 4:3-6