आराधना के बारे में

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आराधना स्वयं को दीन बनाते हुए और उन परमेश्वर को प्रार्थना और प्रशंसा के साथ महिमा और धन्यवाद देते हुए हमारे आदर की भावना व्यक्त करने की एक विधि है, जो हम मरणाधीन मानव जाति को स्वर्ग के राज्य में ले जाने के लिए अनंत जीवन, उद्धार और पापों की क्षमा देते हैं।

तब, हमें किस दिन परमेश्वर की आराधना करनी चाहिए? वे दिन जो हमें परमेश्वर की आराधना करनी चाहिए, इस प्रकार है:

पहले, हमें सब्त के दिन परमेश्वर की आराधना करनी चाहिए।

सब्त का दिन सृष्टिकर्ता परमेश्वर की सामर्थ्य को स्मरण करने का दिन है। सब्त का दिन मनाने के द्वारा, हम पुष्टि करते हैं कि परमेश्वर ने आकाश और पृथ्वी की सृष्टि की, और हम इस दिन उनकी अद्भुत सामर्थ्य की स्तुति करते हैं और आशीष, जिसे परमेश्वर ने हमारे लिए तैयार किया है, बहुतायत से पाते हैं।

यों आकाश और पृथ्वी और उनकी सारी सेना का बनाना समाप्‍त हो गया। और परमेश्‍वर ने अपना काम जिसे वह करता था सातवें दिन समाप्‍त किया, और उसने अपने किए हुए सारे काम से सातवें दिन विश्राम किया। और परमेश्‍वर ने सातवें दिन को आशीष दी और पवित्र ठहराया; क्योंकि उसमें उसने सृष्‍टि की रचना के अपने सारे काम से विश्राम लिया। उत 2:1-3

बाइबल में सब्त का दिन शनिवार है। इसलिए शनिवार को आराधना की जानी चाहिए। सब्त के दिन के अतिरिक्त, तीसरे दिन की आराधना है जो मंगलवार शाम को की जाती है(गिन 19:1-22)।

दूसरा, हमें पर्वों में आराधना करनी चाहिए।

पुराने नियम के समय में, सब्त के दिन और पर्वों में, भेड़, बकरी, आदि पशु को पापबलि के रूप में चढ़ाया जाता था, जिसके लहू से लोगों को अपने सारे पापों की क्षमा मिलती थी। यह एक छाया है जो दिखाती है कि हमारे पापों के लिए हमारे बदले मसीह का बलिदान होगा। शायद ऐसे कुछ लोग हो सकते हैं जो धर्मी जन के लिए मरते हैं। परन्तु जब हम पापी ही थे, तभी मसीह हमारे लिए बलिदान हुए(रो 5:6-11)। ऐसा महान बलिदान प्रत्येक पर्व में समाया हुआ है। प्रत्येक पर्व की आराधना के द्वारा, हम स्वयं को दीन बनाते हुए मसीह के उस बलिदान और प्रेम के लिए धन्यवाद देते है जो हम, निकम्मे पापियों के लिए क्रूस पर अपने बहुमूल्य लहू बहाते हुए मरे, और मसीह को अपने आदर की भावना व्यक्त करते हैं।

प्रत्येक पर्व में उसका भविष्यवाणी संबंधी अर्थ और परमेश्वर का प्रयोजन होता है। ये वार्षिक पर्व हैं जो हमें मनाना चाहिए: फसह का पर्व, अख़मीरी रोटी का पर्व, पुनरुत्थान का दिन (प्रथम फल का पर्व), पिन्तेकुस्त का दिन (सप्ताहों का पर्व), नरसिंगों का पर्व, प्रायश्चित्त का दिन और झोपड़ियों का पर्व(लैव 23:1-38)।

परमेश्वर उन आराधकों को ढूंढ़ते हैं जो सच्चाई और आत्मा से उनकी आराधना करते हैं, और उन्होंने ऐसे सच्चे आराधकों को आशीषित करने का वादा किया है। इसलिए, हमें परमेश्वर जो हमारा गंतव्य स्थान अनंत मृत्युदंड की सजा से स्वर्ग के राज्य की ओर ले जाते हैं, उसका अनुग्रह और प्रेम के लिए धन्यवाद देते हुए अपने पूरे हृदय, आत्मा और मन के साथ परमेश्वर की आराधना करनी है।

पुनर्विचार के लिए प्रश्न
आराधना का अर्थ क्या है?
सभी आराधना बताइए जो हमें परमेश्वर के सामने मनाना चाहिए।