माता की शिक्षाओं में से तीसरी शिक्षा
"सुंदर मन में कोई घृणा नहीं होती और वह एक संपूर्ण प्रेम को जन्म देता है।"
संसार में कोई भी संपूर्ण नहीं है क्योंकि हम सब पापी हैं। प्रत्येक में खूबियां और कमियां हैं। चाहे किसी का चरित्र कितना भी अच्छा क्यों न लगता हो, उसमें कुछ कमियां होती हैं, और चाहे किसी का चरित्र कितना भी दोषपूर्ण क्यों न लगता हो, उसमें कुछ खूबियां होती हैं। यदि हमारे मन में घृणा है तो हम दूसरों में केवल दोष पांएगे, परन्तु जब हमारे पास सुंदर मन होता है, तब हम कुछ अच्छी और सुंदर बातें खोज सकते हैं।
हर परिस्थिति में सुंदर मन रखना आसान नहीं है। लेकिन, यदि हम परमेश्वर के वचन पर निर्भर रहकर हमारे भाइयों और बहनों को सुंदर मन के साथ देखें, तो हम जैसा माता की शिक्षाओं में वर्णित है वैसे संपूर्ण प्रेम पूरा कर सकते हैं और हमारे परमेश्वर को खुशी दे सकते हैं।
हमें याद रखना चाहिए कि परमेश्वर हमारे भाइयों और बहनों से उतना ही प्रेम करते हैं जितना वह मुझ से करते हैं। समय समय पर, हम भूल जाते हैं कि हमारे भाई और बहनें बहुत ही मूल्यवान हैं, और उनमें दोष ढूंढ़ते हैं। परन्तु, परमेश्वर के दृष्टिकोण से, हमारे सभी भाई और बहनें मूल्यवान प्राणी हैं जिन्हें परमेश्वर धैर्यपूर्वक 6,000 वर्षों के लंबे समय से संपूर्ण बना रहे हैं। परमेश्वर हमारे सभी भाइयों और बहनों से प्रेम करते हैं, इसलिए उन्होंने अपने प्राण त्याग देने से उन्हें बचाना चाहा। परन्तु, क्या होगा यदि हम उनसे घृणा करें? परमेश्वर कितने शोकाकुल होंगे! भले ही हमारे भाइयों और बहनों में कमियां दिखाई दें, आइए हम याद रखें कि परमेश्वर उनसे प्रेम करते हैं, और उन्हें सुंदर मन के साथ मूल्यवान समझें। यदि हम परमेश्वर के बारे में सोचें जो हमसे प्रेम करते हैं भले ही हम पाप से भरे हुए हैं, तो हमारे पास उन्हें सुंदर मन से न देखने का कोई कारण न होगा।
- पुनर्विचार के लिए प्रश्न
- माता की शिक्षाओं में से तीसरी शिक्षा क्या है?
- आइए हम इसके बारे में बात करें कि जब हमें अपने भाइयों और बहनों की कमियां देखने पर भी क्यों सुंदर मन रखना चाहिए।