प्रत्येक विधि एक नियत क्रम में संचालित की जाती है। उसी तरह, परमेश्वर की आराधना करने का एक क्रम है। हर स्थानीय चर्च की विशेष परिस्थिति के अनुसार आराधना का कुछ अलग सा क्रम हो सकता है। आराधना का सामान्य क्रम निम्म लिखित है:
1) शांत प्रार्थना
हम अपनी आंखें बंद करते हुए, पवित्र मन के साथ परमेश्वर से प्रार्थना करते हैं(भज 143:5); यह खामोशी से की जाती है।
2) प्रशंसा
हम नए गीत के साथ परमेश्वर को धन्यवाद और महिमा देते हैं(प्रक 5:13); इस समय हम खड़े होकर गीत गाते हैं।
3) प्रार्थना
धन्यवाद, महिमा, पश्चात्ताप और आशाओं के क्रम से प्रार्थना की जाती है। आम तौर पर उपदेशक प्रार्थना करता है।(इस समय भी सब सदस्य खड़े होते हैं) प्रार्थना के बाद, सब बैठ जाते हैं।
4) प्रशंसा
हम आराधना के विषय के अनुसार परमेश्वर की स्तुति और महिमा गाते हैं। उदाहरणत: सब्त के दिन विश्राम के बारे में गीत और प्रत्येक पर्व पर उस पर्व के बारे में गीत गाना अच्छा है।
5) प्रार्थना
यह एक पूरक प्रार्थना का समय है जब हम परमेश्वर को धन्यवाद और महिमा देते हैं, और उनसे अपनी इच्छा प्रकट करते हैं, और उनसे उपदेशक को आशीष देकर सदस्यों को अच्छे चारे खिलाने में उसकी मदद करने की विनती करते हैं, ताकि आराधना के द्वारा सभी सदस्यों को परमेश्वर की इच्छा का आभास हो सके और आशीर्वाद मिल सके।
6) विशेष प्रशंसा
वह प्रशंसा गीत, जो गायक-दल के माध्यम से परमेश्वर की प्रशंसा में प्रस्तुत किया जाता है, आराधना को और अधिक अनुग्रहमय बनाता है। ऐसी कोई स्थिति न बनती हो, तो इसे छोड़ सकते हैं।
7) उपदेश
उपदेशक सदस्यों को पूरे हृदय से परमेश्वर का वचन सुनाता है, ताकि वे परमेश्वर का अनुग्रह और उनकी इच्छा महसूस कर सकें। जैसे जब हम भोजन नहीं खाते, हमारे शरीर भूख और प्यास से परेशान होंगे, वैसे ही जब हम आत्मिक भोजन, यानी परमेश्वर का वचन नहीं खाते, हमारी आत्माएं कमजोर और बीमार होंगी। इसलिए वचन सुनना हमारी आत्मा के लिए अति आवश्यक है।
8) भेंट चढ़ाना और प्रशंसा
हम एक अनुग्रहपूर्ण गीत के साथ परमेश्वर की प्रशंसा करते हुए अपनी भेंट अर्पित करते हैं।
9) भेंटों के लिए प्रार्थना
यह अच्छा है कि संचालक, ऐल्डर, मिशनरी या वरिष्ठ डीकनेस दशमांश एंव भेंटों के लिए प्रार्थना करे। वह परमेश्वर का धन्यवाद करता है और उनसे दशमांश एंव भेंटों पर आशीषित करने की मांग करता है।
10) सूचना
संचालक चर्च या सदस्यों के बारे में अच्छे समाचार सूचित करता है, और आधिकारिक खबरों की सूचना भी देता है। सदस्य खुशी और दुख साथ बांटने के द्वारा प्रेम को बढ़ाते हैं और याद करते हैं कि वे सब एक देह के अंग हैं।
11) हमारी इच्छा की प्रार्थना
सारे सदस्य इसे साथ बोलकर प्रार्थना करते हैं।
12) शांत प्रार्थना
सब सदस्य शांत मन में परमेश्वर से संपर्क करते हैं। इस प्रार्थना में वे इसके लिए परमेश्वर को धन्यवाद देते हैं कि उन्होंने उन्हें आराधना में शामिल होने की अनुमति दी है, और विनती करते हैं कि परमेश्वर का अनुग्रह और आशीष हमेशा साथ रहे।
13) समापन
संचालक सदस्यों को अगली आराधना के नियत समय की सूचना देता है और आराधना समाप्त करने की घोषणा करता है।
* यदि वार्षिक पर्व की आराधना और सप्ताह की आराधना एक ही दिन में हो, तो वार्षिक पर्व की विधि सहित आराधना आयोजित की जाती है।
आइए हम पवित्र और अनुग्रहपूर्ण ढंग से परमेश्वर की आराधना करते हुए परमेश्वर से बहुत सी आशीष प्राप्त करें।
- पुनर्विचार के लिए प्रश्न
- आराधना किस क्रम में संचालित की जाती है?