परमेश्वर की सहायता के बिना हम कुछ भी हासिल नहीं कर सकते। परमेश्वर इंतजार करते हैं कि हम उनसे मदद मांगें(मत 7:7-8), और अदृश्य रूप से हमारी प्रार्थनाओं पर कान लगाते हैं। इसलिए, हमें निरंतर प्रार्थना में लगे रहने का प्रयास करना चाहिए(1थिस 5:17)।
प्रार्थना के विषय क्या होने चाहिए?
- आप पहले परमेश्वर के राज्य और उनकी धार्मिकता की खोज करें(मत 6:25-34)।
- सम्पूर्ण बुद्धि के लिए प्रार्थना करें(याक 1:5)।
- प्रार्थना करें कि आप परीक्षा में न पड़ें।(लूक 22:40)।
- प्रार्थना करें कि आप पर पवित्र आत्मा उंडेल दें(लूक 11:13)।
- प्रार्थना करें कि वचन सुनाने का द्वार खोल दें(कुल 4:2-6)।
- प्रार्थना करें कि आप साहस से सुसमाचार के रहस्य को प्रकट कर सकें(इफ 6:18-19)।
- प्रार्थना करें कि आप पूर्ण विश्वास के साथ परमेश्वर की इच्छा पर स्थिर रहें(कुल 4:12)।
- प्रार्थना करें कि परमेश्वर आपकी आंखें खोल दें, कि आप सत्य की अद्भुत बातें समझ सकें(भज 119:18)।
- प्रार्थना करें कि आप दूसरों को क्षमा करें(मर 11:25)।
- पापों से पश्चाताप करने की प्रार्थना करें(प्रे 8:22)।
- प्रार्थना करें कि आपका विश्वास जाता न रहे(लूक 22:32)।
इसके अलावा, हमें प्रार्थना के द्वारा अपनी परेशानियों और इच्छाओं के लिए परमेश्वर से मदद मांगनी चाहिए, और हमें विश्वास करना चाहिए और जो हमने प्रार्थना की है उस पर संदेह नहीं करना चाहिए(मर 11:24)। लेकिन, हमारे सांसारिक अभिलाषाओं के लिए की जाने वाली प्रार्थना का जवाब कभी नहीं दिया जाएगा(याक 4:2-3)।
यीशु ने स्वयं हमें प्रार्थना के द्वारा सुसमाचार का कार्य करने का एक नमूना दिखाया। भले ही वह सर्वशक्तिमान परमेश्वर हैं, जो प्रार्थना किए बिना हमें बचा सकते हैं, लेकिन उन्होंने कहा कि स्वर्गीय पिता हमारी सभी प्रार्थनाओं को सुनते हैं, और हमें परमेश्वर से यत्न से प्रार्थना करने का एक नमूना दिखाया(लूक 11:9-13)। आइए हम, “निरंतर प्रार्थना में लगे रहो,” परमेश्वर की इस इच्छा का पालन करें और परमेश्वर का अनुग्रह और आशीष प्राप्त करें।
- पुनर्विचार के लिए प्रश्न
- 1. परमेश्वर किस प्रकार की प्रार्थनाओं का जवाब नहीं देंगे?
- 2. आइए हम पीछे मुड़कर अपनी प्रार्थनाओं को जांचें और परमेश्वर को प्रसन्न करने वाली प्रार्थना करें।