मेरा विशेषधिकार

योंगइन, कोरिया स जू यंग मी

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मेरे पति और मैं योंगइन में एक छोटा सा रेस्तरां चला रहे हैं। पहले मैं सिर्फ अपने पति के लिए एक सहायक थी जो रसोइया है, लेकिन समय बीतने के बाद, मुझे एक सहायक से ज्यादा काम करना पड़ा। हर दिन रेस्तरां में सुबह 9 बजे से रात 9 बजे तक काम करने के कारण मेरे पास अपने लिए कोई समय नहीं था। मैं अपने पति के लिए जितना संभव हो उतना मदद करना चाहती थी जो बहुत मेहनत से काम कर रहा था, लेकिन साथ ही मेरे दिमाग में यह विचार घूमता रहा, ‘मैं यहां से कब निकल सकूंगी।’

कभी–कभी मुझे पूराने दिनों की याद आती थी जब मैं यहां आने से पहले भाई और बहनों के साथ खुशी से सुसमाचार का कार्य करती थी, तब मैं उन दिनों में वापस जाने के लिए बहुत इच्छुक थी। मेरे विपरीत जो हर दिन उग्र जीवन जीती थी, मैं उन भाइयों और बहनों से ईर्ष्या करती थी जो अपने खाली समय का आनन्द लेते हुए सुसमाचार का प्रचार करते थे।

सिय्योन में एक बहन ने मुझे दिलासा देने के लिए कहा कि मैं सुसमाचार प्रचार करने के लिए अच्छी परिस्थिति में काम कर रही हूं, लेकिन सच कहूं, तो मैं उनसे सहमत नहीं हो सकी। मुझे डर लगा कि मैं निकट आ रहे स्वर्ग के राज्य से छूट जा सकती हूं, इसलिए मैंने कभी कभी रेस्तरां में प्रचार किया, लेकिन मुझे प्रचार में भाग लेने की खुशी महसूस नहीं हुई क्योंकि मुझे लगातार ग्राहकों जो किसी भी समय आ सकते हैं, और कई अन्य चीजों के बारे में सोचना पड़ता था।

लेकिन हाल ही में, हमारे रेस्तरां के एक कर्मचारी ने परमेश्वर की संतान बनने की आशीष प्राप्त की। और मुझे यह भी पता चला कि एक पार्ट टाइम कर्मचारी हमारी बहन थी, जिसने अतीत में सत्य को ग्रहण किया था। पहले मैंने सोचा था कि माता ने मुझे प्रोत्साहित करने के लिए इन आत्माओं को भेजा हैं, लेकिन मेरे दिल में यह बात गूंजने लगी।

‘यह एक विशेषाधिकार स्थान है जहां सिर्फ मैं सुसमाचार का प्रचार कर सकती हूं!’

परमेश्वर ने उन आत्माओं को बुलाकर जिनके पास अपने व्यस्त जीवन के कारण सत्य के वचन को सुनने का कोई समय नहीं हैं, मुझे जी भर के सत्य का प्रचार करने के लिए इस स्थान की अनुमति दी है। हालांकि, मैंने केवल इसे अदृश्य सलाखों के जेल के रूप में माना था। और मैं यह पहचानने में विफल रहा था कि 4 साल तक यहां काम करते हुए मेरे आसपास में कई बदलाव हुए हैं।

यहां पर काम करते हुए मैंने हर साल फल पैदा किया था। सबसे पहले, मेरे पति ने जो लंबे समय तक मेरा धार्मिक जीवन को नहीं समझता था, यहां अपने रेस्तरां को शुरू करने के बाद सत्य को ग्रहण किया और यहां तक कि वह इस स्तर तक पहुंचा कि वह आराधना के दौरान दिए गए उपदेशक के सवालों का सही जवाब देता है। मेरा पति खाना खाने से पहले धन्यवाद की प्रार्थना करता है। यह कुछ ऐसा काम है जो मैं पहले इसके बारे में कभी कल्पना भी नहीं कर सकती थी, इसलिए जब मैं उसे प्रार्थना करते हुए देखती हूं, मेरे चेहरे पर अनायास ही मुस्कान आ जाती है और मुझे शक्ति मिलती है।

अब हमारे रेस्तरां में चार स्वर्गीय परिवार के सदस्य काम कर रहे हैं। जैसे जीवन का जल बिना सूखकर हमेशा बहता हैं, वैसे ही परमेश्वर लगातार हमारे रेस्तरां में स्वर्गीय परिवार के सदस्यों को भेज रहे हैं।

मुझे अफसोस है कि मैंने यह न जानते हुए कि परमेश्वर प्रत्येक आत्मा के लिए सही परिस्थिति देते हैं और वहां आशीष देते हैं, अपनी हालत से निराश होकर समय बर्बाद किया था। इसलिए मैंने सुसमाचार की योजना बनाई है जिसे मैं अपने विशेषाधिकार स्थान पर पूरी कर सकती हूं, वह इस रेस्तरां के सभी कर्मचारियों को पिता और माता की बांहों में अगुवाई करना है। इस लक्ष्य को पूरा करने तक मैं परमेश्वर के द्वारा दिए गए समय और परिस्थिति में अपना सर्वोत्तम प्रयास करूंगी।