आराधना के उद्देश्य

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हम मूल रूप से स्वर्ग के पापी हैं। हमारे परमेश्वर की आराधना करने का उद्देश्य क्या है?

पहला, परमेश्वर के साथ घनिष्ठ संबंध बनाने के लिए

जो उपासना का विषय बन जाता है, वह परमेश्वर है, जिन्होंने आकाश और पृथ्वी की सृष्टि की, मनुष्यों को जीवन का श्वास दिया, हमें पापों से बचाया और सत्य के वचनों के द्वारा हम से स्वर्ग का राज्य देने का वादा किया।

परमेश्वर में, जिन्होंने सब कुछ बनाया, किसी चीज का अभाव नहीं है। फिर भी, उन्होंने हमें आज्ञा दी है कि हम उनकी आराधना करें। यह इसलिए नहीं है कि वह हमें अपनी सेवा करवाना चाहते हैं, बल्कि इसलिए है कि वह हम, आराधकों को बहुतायत से आशीष और स्वर्ग के राज्य के लोग, यानी अपनी सन्तान होने का अधिकार देना चाहते हैं।

आराधना के द्वारा, हम परमेश्वर और हमारे संबंध को माता–पिता और बच्चों के संबंध, राजा और प्रजाओं के संबंध, सृष्टिकर्ता और सृष्टि के संबंध के जैसा समझते हुए, परमेश्वर के साथ घनिष्ठ संबंध बनाते हैं। हमें आराधना के द्वारा जांच कर पता लगाना चाहिए कि हम किस देवता की सेवा करते हैं। जब हम आराधना के द्वारा परमेश्वर के अनुग्रह के लिए उनकी स्तुति करें, तब परमेश्वर और हमारे बीच का संबंध प्रेम के बंधन से अधिक मजबूत होगा।

और मैं तुम्हारे मध्य चला फिरा करूंगा और तुम्हारा परमेश्वर होऊंगा और तुम मेरी प्रजा होगे। लैव 26:12

परन्तु वह समय आ रहा है, वरन् आ गया है, जब सच्चे आराधक पिता की आराधना आत्मा और सच्चाई से करेंगे, क्योंकि पिता अपने लिए ऐसे ही आराधक चाहता है। यूह 4:23

दूसरा, पापों की क्षमा पाने के लिए और परमेश्वर के साथ मेल मिलाप करने के लिए

परमेश्वर की आराधना करने का सबसे बड़ा उद्देश्य पापों की क्षमा की आशीष पाना है, क्योंकि हमारे पापों ने हमें हमारे परमेश्वर से अलग कर दिया है(यश 59:1–3)। पुराने नियम के समय में, इस्राएली पापों की क्षमा पाने के लिए मेमने या बकरे जैसे पशु को बलि करके उसके लहू से पापबलि चढ़ाते थे। अब हम जो एक बार परमेश्वर से अलग किए गए थे, पाप से छुड़ाए गए हैं, और हमने फिर से परमेश्वर के साथ मेल मिलाप कर लिया है। क्योंकि मेमने के रूप में दर्शाए गए मसीह स्वयं हमारे पापों के लिए बलिदान हुए(इफ 2:12–19)। इसलिए हमारे लिए मसीह के प्रेम और बलिदान को याद करने और उनका स्मरण करने के लिए परमेश्वर की आराधना करना आवश्यक है।

तीसरा, परमेश्वर को धन्यवाद और महिमा देने के लिए

परमेश्वर सृष्टिकर्ता हैं जिन्होंने सब कुछ बनाया। हम मनुष्यों को अपने जीवन में परमेश्वर की अधिक से अधिक कृपा मिली है जब हम अनजान थे। परमेश्वर सभी कार्यों की योजना बनाते हैं और हमारी भलाई के लिए उन्हें कार्यान्वित करते हैं। वह खामोशी से हमसे प्रेम करते हैं। परमेश्वर महिमा, आदर और धन्यवाद के योग्य हैं। उनकी आराधना करना हमारे लिए, जो उनकी सृष्टि हैं, बिल्कुल स्वाभाविक है।

हे हमारे प्रभु और परमेश्वर, तू ही महिमा, आदर और सामर्थ्य के योग्य है, क्योंकि तू ने ही सब वस्तुओं को सृजा, और उनका अस्तित्व और उनकी सृष्टि तेरी इच्छा से हुई प्रक 4:11

चौथा, आशीषित किए जाने के लिए

परमेश्वर उन आराधकों को ढूंढ़ते हैं जो सच्चाई और आत्मा से उनकी आराधना करते हैं, और उन्होंने ऐसे सच्चे आराधकों को आशीषित करने का वादा किया है। परमेश्वर को एक हजार होमबलि चढ़ाने के द्वारा, सुलैमान ने परमेश्वर से बुद्धि पाई और वह उन सभी राजाओं से बढ़कर जो उससे पहले थे, सबसे बुद्धिमान राजा बना। सुलैमान ने परमेश्वर की आशीष में अपने राज्य को बहुत ही शक्तिशाली बनाया(1रा 3:4–14)।

इस तरह, परमेश्वर उन्हें पापों की क्षमा, उद्धार और आशीष प्रदान करते हैं जो उनकी आराधना करते हैं। हमें आत्मा और सच्चाई से परमेश्वर की आराधना करते हुए परमेश्वर से ज्यादा आशीष प्राप्त करनी चाहिए।

पुनर्विचार के लिए प्रश्न
हमारे परमेश्वर की आराधना करने का उद्देश्य क्या है?
सुलैमान ने परमेश्वर को एक हजार होमबलि चढ़ाने के द्वारा, कौन सी आशीष पाई?